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Showing posts from September, 2022

MATA LAL DEVI MANDIR AMRITSAR HISTORY

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माता लाल देवी मंदिर अमृतसर  अमृतसर शहर अपने सांस्कृतिक और इतिहासिक विरासत के कर लिए विश्व प्रसिद्ध है। अमृतसर में जहाँ सिखों का प्रसिद्ध गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर है वही दूसरी ओर जलियांवाला बाग की इतिहास धरोहर भी है। वही दुर्ग्याना मंदिर के साथ - साथ वहाँ का माता लाल देवी का एक पवित्र और बहुत ही रमणीय मंदिर है। माता लाल देवी मंदिर अमृतसर शहर के रानी का बाग इलाके में स्थित है । मंदिर प्रसिद्ध महिला संत माता लाल देवी जी को समर्पित है। माता लाल देवी मंदिर बहुत ही सिद्ध मंदिर है मान्यता है कि जो स्त्रियों संतान की इच्छा से आती है उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।मंदिर में मुख्य रूप से पुष्पों का प्रसाद दिया जाता है। माता लाल देवी मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत ही सुंदर है। मंदिर में वैष्णो माता मंदिर के जैसे गुफाएं बनी हुई है। मंदिर में गुफा में से निकल कर मां की तीनों पिण्डी के दर्शन करने पर एक अलौकिक अहसास होता है। भक्तों की जो भी मनोकामना होती है उसकी पूर्ति होने पर वह नारियल प्रसाद चढ़ाते हैं। । मंदिर में सभी ज्योतिर्लिंगों और सभी देवियों के स्वरूप विद्यमान है। जगन्नाथ मंदिर के जैसे जगन्नाथ जी

AMRITSAR LANGOOR MELA 2024

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अमृतसर लंगूर मेला 2024 शारदीय नवरात्रि अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 OCTOBER 2024 से शुरू हो रहे हैं। शारदीय नवरात्रि में प्रतिवर्ष अमृतसर शहर के बड़ा हनुमान मंदिर में 10 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला आयोजित किया जाता है। अमृतसर के दुर्गयाना मंदिर के परिसर में बने बड़ा हनुमान मन्दिर में श्रद्धलु देश विदेश से अपने बच्चों को लंगूर बनाने के लिए आते हैं। बड़ा हनुमान मंदिर एक चमत्कारिक मंदिर जहां हनुमान जी बैठी हुई मुद्रा में हैं और जहां दंपति संतान सुख की प्राप्ति के लिए हनुमान जी से मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूर्ण होने अपने बच्चे को 10 दिनों तक लंगूर बनाते हैं। बच्चों को क्यों बनाते हैं लंगूर  बड़ा हनुमान मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में है। मान्यता है कि इस मंदिर का संबंध रामायण काल से है जहां लव कुश ने हनुमान जी को वट वृक्ष के नीचे बांध दिया था। अश्वमेध यज्ञ के दौरान जब लव कुश ने घोड़ा पकड़ लिया था तो हनुमान जी यहां आए थे । ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी की प्रतिमा यहां पर स्वयं प्रकट हुई है । बड़ा हनुमान मंदिर के बारे में मान्यता है कि हनुमान जी अपने भक्तों क

PROPKAR KI MORAL STORY

 परोपकार क्या है  परोपकार शब्द पर और उपकार दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है दूसरों पर उपकार करना। परोपकार एक ऐसी भावना है जब व्यक्ति बिना किसी निजी स्वार्थ के किसी दूसरे की भलाई के बारे में सोचता है।   महर्षि दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग कर अपनी हड्डियों का वज्र बनाने के लिए देवताओं पर परोपकार किया था।  कई लोग बिना किसी स्वार्थ के राहगीरों को भोजन खिलाते हैं, पानी पिलाते हैं।  परोपकार पर एक नैतिक कहानी  एक बार एक राजा को दूसरे राज्य के राजा को सुरमे की एक डिबिया भेजी जिसके साथ एक संदेश था कि यह बहुत ही उपयोगी सुरमा है। इसकी खासियत यह है कि इस सुरमे को लगाते ही नैत्रहीन व्यक्ति की आंखों की रोशनी वापिस आ जाएगी। लेकिन यह सुरमा केवल दो आंखों में ही लगाया जा सकता है। इसलिए आप सोच समझ कर किसी योग्य व्यक्ति को चुनना जिसमें परोपकार की भावना हो ताकि वह नैत्र‌ प्राप्त कर किसी और का भला कर सके। अब राजा चिंतित हो गया कि यह सुरमा किस सुयोग्य व्यक्ति को दें क्योंकि उसके राज्य में नैत्रहीन व्यक्तियों की संख्या बहुत अधिक थी। फिर राजा को स्मरण हो आया कि उनके राज्य के राज वैद

SHARDIYA NAVRATRI 2023 DURGA KA VAHAN AUR SHUBH RANG(COLOUR)

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शारदीय नवरात्रि 2023 -  15 OCTOBER - 23 OCTOBER  हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि में मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच में रहती है. इस लिए भक्त माँ दुर्गा को खुश करने के लिए पाठ पूजा करते हैं. माँ की आरती, चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और माँ की भेंटे गाते हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा को चुनरी, सुहाग का सामान, नारियल, मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है . शारदीय नवरात्रि में 2023 मां दुर्गा किस वाहन पर आएगी और शारदीय नवरात्रि के शुभ रंग  शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 15 अक्टूबर रविवार से शुरू हो रहे हैं।  रविवार को नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण माता का वाहन इस बार हाथी होगा। माता जब हाथी पर सवार होकर आती है जो अधिक जल की वृष्टि कराने वाला संकेत है। पढ़े शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन का विशेष महत्व है.हर वर्ष नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है. जिससे भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत मिलता है .  देवीभागवत प

MAN KE HARE HAR HAI MAN KE JITE JEET

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मन‌ के हारे हार है मन के जीते जीत moral story   मन के हारे हार है मन के जीते जीत मुहावरे का अर्थ है- बड़ी से बड़ी विपत्ति पर भी अगर हम मन से हतोत्साहित हो जाते हैं तो हमें असफलता मिल सकती है लेकिन अगर हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर दृढ़ निश्चय अपनाते हैं तो हमारी सफलता निश्चित हो जाती है।  एक बात की छोटे से राज्य की राजा को अपने गुप्तचरों से सूचना मिली कि उसके पड़ोस का शक्तिशाली राज्य उस पर आक्रमण करने वाला है । राजा ने अपने सेनापति को मंत्रणा करने के लिए बुलाया। सेनापति कहने लगा कि," महाराज पड़ोसी राज्य बहुत ही शक्तिशाली है, उसकी सेना हम से चार गुना अधिक है। इसलिए मुझे लगता है कि उनसे युद्ध करने का कोई फायदा नहीं है। हमारी बहुत जानमाल की क्षति होगी। इसलिए हमें आत्मसमर्पण कर देना चाहिए।"  अपने मंत्री का यह निर्णय सुनकर राजा बहुत परेशान हो गया कि अगर सेनापति ऐसी बात कर रहा है तो सेना का मनोबल तो टूट ही जाएगा। सेना को युद्ध से पहले ही मन में बना लेगी कि हमें युद्ध से हार ही मिलेगी। राजा अपने राज्य के एक संत जी को बहुत मानता था। उसी दिन संत जी के मिलने गया और संत जी को सारी बात ब

SHRI KRISHNA KI KITNI PATNIYA THI

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Shi Krishna story:श्री कृष्ण की कितनी पत्नियां थी ? श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। श्री कृष्ण के बारे में सभी को जानने की उत्सुकता होती है कि उनकी कितनी पत्नियां थी(How many wifives of lord Krishna) और उनके नाम क्या थे?   श्री कृष्ण 16108 पत्नियां थी। जिनमें से 8 उनकी पटरानियां थी और 16100 श्री कृष्ण की रानियां थीं। श्री कृष्ण की आठ पटरानियां थी जिनके नाम 1. रूक्मिणी 2. जामवंतन्ती 3. सत्यभामा 4. कालिंदी 5. मित्रवृंदा 6.नग्नजिती 7.भद्रा 8. लक्ष्मणा श्री कृष्ण की 16100 रानियां थीं जिनको श्री कृष्ण ने नरकासुर की कैद से मुक्त करवाया था।   श्री कृष्ण और रुक्मिणी विवाह  रूक्मिणी श्री कृष्ण की पत्नी थी और उन्होंने श्री कृष्ण के साथ प्रेम विवाह किया था। उन्हें माता लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है।  रूक्मिणी जी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की कन्या थी।  रूक्मिणी के पांच भाई थे रूक्मी ,रूक्मरथ, रूक्मबाहू, रूक्मेश और रूक्माली। रूक्मिणी का भाई रूक्मी उनका विवाह शिशुपाल से करवाना चाहता था लेकिन रूक्मिणी ने जब से नारद जी के मुख से श्री कृष्ण के बारे में सुना था वह मन से उन्हें

SHRI KRISHNA RADHA AUR LALITA SAKHI

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श्री राधा कृष्ण की कहानी   श्री कृष्ण को राधा रानी से मिलने के लिए ज्योतिषी बनना पड़ा और ललिता सखी ने श्री कृष्ण को क्या चुनौती दी थी? LALITA SAKHI ललिता सखी  श्री राधा रानी की अष्टसखियां थी। ललिता सखी उनमें से एक प्रमुख सखी थी। श्री राधा रानी की अष्ट सखियों के नाम 1.ललिता  2.विशाखा 3.चित्रा 4.चंपकलता 5.रंगदेवी 7.तुंगविद्या  8.सुदेवी श्री राधा रानी की इन सखियों को अष्टसखी कहा जाता है। इन सखियों में सबसे प्रिय ललिता सखी थी। ललिता सखी श्री राधा रानी की निकुंज लीलाओं की साक्षी थी। स्वयं भगवान शिव ने ललिता सखी से सखीभाव की दीक्षा ली थी। श्री कृष्ण कई स्त्री का भेष धारण कर बरसाना आ जाते थे। राधा रानी की ललिता सखी इस बात को जानती थी। वह श्री कृष्ण से कहने लगी कि तुम कभी मालिन बन कर और मनिहारिन बन कर राधा रानी से मिलने आते हो और घुंघट के कारण तुम को कोई पहचान भी नहीं पाता। अगर हिम्मत है तो तुम पुरूष के भेष में श्री राधा रानी से मिलने आ कर दिखाओ।  ललिता सखी ने श्री कृष्ण को चुनौती दी कि अगर तुम कल पुरूष के वेश में राधा रानी से मिल कर दिखा दिया तो मैं राधा रानी की बजाय तुम्हारी दासी बन जाऊंगी औ