AMRITSAR LANGOOR MELA 2023

अमृतसर लंगूर मेला 2023

शारदीय नवरात्रि अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 15 OCTOBER 2023 से शुरू हो रहे हैं।

शारदीय नवरात्रि में प्रतिवर्ष अमृतसर शहर के बड़ा हनुमान मंदिर में 10 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला आयोजित किया जाता है। अमृतसर के दुर्गयाना मंदिर के परिसर में बने बड़ा हनुमान मन्दिर में श्रद्धलु देश विदेश से अपने बच्चों को लंगूर बनाने के लिए आते हैं।

बड़ा हनुमान मंदिर एक चमत्कारिक मंदिर जहां हनुमान जी बैठी हुई मुद्रा में हैं और जहां दंपति संतान सुख की प्राप्ति के लिए हनुमान जी से मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूर्ण होने अपने बच्चे को 10 दिनों तक लंगूर बनाते हैं।




बच्चों को क्यों बनाते हैं लंगूर 

बड़ा हनुमान मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में है। मान्यता है कि इस मंदिर का संबंध रामायण काल से है जहां लव कुश ने हनुमान जी को वट वृक्ष के नीचे बांध दिया था। अश्वमेध यज्ञ के दौरान जब लव कुश ने घोड़ा पकड़ लिया था तो हनुमान जी यहां आए थे । ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी की प्रतिमा यहां पर स्वयं प्रकट हुई है ।

बड़ा हनुमान मंदिर के बारे में मान्यता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। लेकिन जो दंपती संतान सुख की प्राप्ति के लिए हनुमान जी से मन्नत मांगते हैं वे संतान की प्राप्ति होने पर अपने बच्चों को जहां पर लंगूर बनाते हैं।

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शायदीय नवरात्रि में लगता है मेला 

शारदीय नवरात्रि में प्रतिवर्ष नवरात्रों में लंगूर मेला लगता है क्योंकि संतान सुख की मन्नत पूर्ण होने पर लोग देश-विदेश से यहां आकर अपने बच्चों को लंगूर बनाते हैं। 

मंदिर परिसर में नवरात्रि में नज़ारा मनोरम होता है यहां नवजात शिशु से लेकर नौजवान  लंगूर  की पोशाक में दिखेंगे। नवरात्रि के दौरान जब बच्चे लंगूर  बनते हैं तो लोग नंगे पांव ढोल की थाप पर  10 दिन तक लगातार दो बार हनुमान जी के मंदिर दर्शन करने आते हैं।  दशहरे वाले दिन को लंगूर बनने वाला बच्चा रावण ,मेघनाथ के पुतलों को तीर मारता है और अगले दिन हनुमान मंदिर में हनुमान जी को माथा टेक कर  लंगूर अपने वस्त्र उतारते हैं.

लंगूर बनने वालों के लिए नियम 

शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा वाले दिन सबसे पहले पंडित जी से विधिवत तरीके से पूजा करवाने के पश्चात लंगूर बनने वाले लाल रंग का जरी वाला चोला पहनते हैं उनके हाथों में छड़ी होती है।

पहले दिन हनुमान जी को मिठाई, नारियल, पुष्प माला अर्पित किए जाते हैं।

लंगूर बनने वाले को दिन में दो बार माथा टेकने मंदिर में आना होता है।

मान्यता है कि बच्चों को माथा टिकाने वही ला सकता है जिसका बच्चे के साथ खून का रिश्ता हो।

लंगूर बनने वाला 10 दिन तक सुई धागे का काम नहीं कर सकता और ना ही कैंची चला सकते हैं ।

उन्हें जमीन पर सोना होता है ।

जूते चप्पल नहीं पहन सकते ।

चाकू से कटी हुई चीजें नहीं खानी चाहिए ।

सात्विक भोजन का सेवन करे। लहसुन, प्याज और मादक पदार्थों का सेवन वर्जित है।

 अपने कपड़े नहीं धो सकते।

लंगूर बनने वाले बच्चों के माता-पिता खेत्री नहीं  बीज सकते ।

कंजके  नहीं बिठा सकते ।

पूरे 10 दिन तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होता है।

दुर्गियाना मंदिर में लंगूर मेले के दिनों में बड़ा भक्ति मय माहौल होता है ।लंगूर बनने वाले जय श्रीराम, जय श्रीराम बोलते हैं ,और ढोल की थाप पर नाचते हैं। हनुमान जी के प्रति उनकी  श्रद्धा  देखते ही बनती हैं ।बड़ा हनुमान मंदिर अपने इस मेले के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

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