MAN KE HARE HAR HAI MAN KE JITE JEET

मन‌ के हारे हार है मन के जीते जीत moral story 

 मन के हारे हार है मन के जीते जीत मुहावरे का अर्थ है- बड़ी से बड़ी विपत्ति पर भी अगर हम मन से हतोत्साहित हो जाते हैं तो हमें असफलता मिल सकती है लेकिन अगर हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर दृढ़ निश्चय अपनाते हैं तो हमारी सफलता निश्चित हो जाती है। 



एक बात की छोटे से राज्य की राजा को अपने गुप्तचरों से सूचना मिली कि उसके पड़ोस का शक्तिशाली राज्य उस पर आक्रमण करने वाला है । राजा ने अपने सेनापति को मंत्रणा करने के लिए बुलाया।

सेनापति कहने लगा कि," महाराज पड़ोसी राज्य बहुत ही शक्तिशाली है, उसकी सेना हम से चार गुना अधिक है। इसलिए मुझे लगता है कि उनसे युद्ध करने का कोई फायदा नहीं है। हमारी बहुत जानमाल की क्षति होगी। इसलिए हमें आत्मसमर्पण कर देना चाहिए।"

 अपने मंत्री का यह निर्णय सुनकर राजा बहुत परेशान हो गया कि अगर सेनापति ऐसी बात कर रहा है तो सेना का मनोबल तो टूट ही जाएगा। सेना को युद्ध से पहले ही मन में बना लेगी कि हमें युद्ध से हार ही मिलेगी।

राजा अपने राज्य के एक संत जी को बहुत मानता था। उसी दिन संत जी के मिलने गया और संत जी को सारी बात बताई। संत जी कहने लगी कि," सबसे पहले तो वह अपने सेनापति को पकड़ कर जेल में डाल दें ।क्योंकि अगर वह स्वयं तो मन में हार ही चुका है दूसरा अगर वह सेनापति रहा तो तुम्हारी सेना का मनोबल भी गिरा देगा। 

राजन तुम सेना को इकट्ठा करो और युद्ध के लिए तैयार हो जाओ और पड़ोसी राजा के आक्रमण से पहले तुम उस पर हमला कर दो।

राजा कहने लगा कि," संत जी अगर सेनापति को जेल में डाल दूंगा तो सेना का नेतृत्व कौन करेगा?  संत जी कहने लगे कि," मैं करूंगा।"

 राजा सोचने लगे कि संत जी सेना का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं लेकिन राजा के पास इसके सिवाय कोई विकल्प ही नहीं था क्योंकि उसका सेनापति पहले ही मन से हार चुका था।

राजा ने संत जी की बात मान ली और सेनापति को जेल में डाल दिया। सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने की घोषणा करवा दी। सारी सेना के युद्ध के लिए चलने को तैयार थी। सेना जब मंदिर के पास पहुंची तो संत जी कहने लगे आप सब लोग जहां ठहरो मैं भगवान से पूछ कर आता हूं कि हमें युद्ध में जीत मिलेगी जा फिर हार।

कुछ सैनिक कहने लगे कि संत जी भगवान क्या आपके साथ बातें करते हैं? जो आपको बताएंगे कि हम जीतेंगे या हारेंगे। संत जी कहने लगे कि," इतने वर्षों के साधना कर रहा हूं इसलिए मुझे भगवान मेरे प्रश्नों का उत्तर बता देते हैं।"

संत जी अकेले मंदिर में गए प्रार्थना की और वापस आ गए। सेना ने संत जी से पूछा कि," महाराज भगवान ने क्या कहा? हम जीतेंगे या हारगे।"

संत जी कहने लगे कि भगवान ने कहा कि ,"अगर आज शाम को मंदिर के चबूतरे से प्रकाश निकलता हुआ दिखाई दिया तो आपकी जीत निश्चित है अब तो हार और जीत का पता शाम को ही चलेगा।"

सभी सैनिक उत्सुकता से शाम होने का इंतजार करने लगे और जैसे-जैसे शाम ढलने शुरू हुई मंदिर से प्रकाश निकलना शुरू हो गया। सेना में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके मन में उत्साह भर गया कि मंदिर से प्रकाश निकल रहा है अब तो हमारी जीत निश्चित है।

अगले दिन युद्ध शुरू हुआ और एक सैनिक सैनिक ने शत्रु के सेना के छक्के छुड़ा दिए। सेना के एक अंदर एक अलग सा उत्साह था कि अब तो जीत निश्चित है ।इसलिए पूरे जोश के साथ सेना लड़ी और जीत गई शत्रु राज्य के राजा ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली।

सेना जब अपने राज्य की ओर वापस लौट रही थी तो सभी सैनिक मंदिर के समीप रुक गए। सैनिक संत जी से कहने लगे कि," संत जी जाएं और भगवान का शुक्रिया कर आएं ।उनके आशीर्वाद से हम जीत गए हैं क्योंकि मंदिर में प्रकाश करके उन्होंने हमें इशारा दे दिया था कि हमारी जीत निश्चित है"।

संत जी मुस्कुराते हुए कहने लगे कि," यह बात सत्य है कि भगवान के आशीर्वाद से ही हम जीत प्राप्त कर सके हैं।"

 लेकिन उस दिन संध्या को मंदिर में प्रकाश इसलिए हुआ था क्योंकि जब मैं मंदिर में गया तो वहां पर मैंने पहले से ही एक बड़ा सा दीपक रखा हुआ था जो उसे मैंने जला दिया।

 जिस समय मैंने दीपक जलाया था उसमें सूर्य के प्रकाश में उस दिये की रोशनी नहीं दिख रही थी लेकिन जैसे-जैसे शाम ढली और अंधेरा हुआ दिए का प्रकाश मंदिर की चारों ओर फैल गया और रोशनी दिखने लगी ।

उस रोशनी को देखकर सारी सेना ने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया कि अब हमारी जीत पक्की है। आप लोगों के इस निश्चय के कारण ही आप लोगों को जीत प्राप्त हुई है। इसीलिए कहते हैं मन के हारे हार है मन के जीते जीत।

Moral - अगर हम बड़ी से बड़ी विपत्ति के आने पर भी मन से सफल होने का दृढ़ निश्चय कर लेते हैं तो हमारी सफलता निश्चित हो जाती है।

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