SHRI KRISHNA KI KITNI PATNIYA THI
Shi Krishna story:श्री कृष्ण की कितनी पत्नियां थी ?
श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। श्री कृष्ण के बारे में सभी को जानने की उत्सुकता होती है कि उनकी कितनी पत्नियां थी(How many wifives of lord Krishna) और उनके नाम क्या थे?
श्री कृष्ण 16108 पत्नियां थी। जिनमें से 8 उनकी पटरानियां थी और 16100 श्री कृष्ण की रानियां थीं।
श्री कृष्ण की आठ पटरानियां थी जिनके नाम
1. रूक्मिणी
2. जामवंतन्ती
3. सत्यभामा
4. कालिंदी
5. मित्रवृंदा
6.नग्नजिती
7.भद्रा
8. लक्ष्मणा
श्री कृष्ण की 16100 रानियां थीं जिनको श्री कृष्ण ने नरकासुर की कैद से मुक्त करवाया था।
श्री कृष्ण और रुक्मिणी विवाह
रूक्मिणी श्री कृष्ण की पत्नी थी और उन्होंने श्री कृष्ण के साथ प्रेम विवाह किया था। उन्हें माता लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है।
रूक्मिणी जी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की कन्या थी। रूक्मिणी के पांच भाई थे रूक्मी ,रूक्मरथ, रूक्मबाहू, रूक्मेश और रूक्माली। रूक्मिणी का भाई रूक्मी उनका विवाह शिशुपाल से करवाना चाहता था लेकिन रूक्मिणी ने जब से नारद जी के मुख से श्री कृष्ण के बारे में सुना था वह मन से उन्हें अपना पति मान चुकी थी।
इसलिए उन्होंने श्री कृष्ण को संदेश भेजा कि जब वह मां अम्बिका के मंदिर में दर्शन करने जाएं तो आप मेरा अपहरण कर लेना क्योंकि मैं शिशुपाल से नहीं आपसे विवाह करना चाहती हूं।
श्री कृष्ण ने उनके इस निवेदन को स्वीकार किया और सभी राजाओं के बीच से रूक्मिणी जी को ऐसे हरण करके ले गए जैसे सिंह अपने भाग को ले जाता है और द्वारिका पुरी पहुंच कर शास्त्रों के अनुसार उनका पाणिग्रहण किया।
श्री कृष्ण और जामबन्ती विवाह
श्री कृष्ण पर जब प्रसेन को मार कर स्यमंतकमणि को चुराने का आरोप लगा श्री कृष्ण उसे ढूंढने निकले। वहां उन्होंने प्रसेन और उसके घोड़े को सिंह द्वारा मारा हुआ देखा और सिंह को भालू द्वारा मारा हुआ देखा तो श्री कृष्ण उनकी गुफा में प्रवेश कर गए और वहां श्री कृष्ण और जामवंत का 28 दिनों तक युद्ध चलता रहा। जब जामवंत जी को ज्ञान हुआ कि श्री कृष्ण तो मेरे आराध्य श्री राम के अवतार हैं तो उन्होंने क्षमा मांगी।
श्री कृष्ण जामबन्त जी से कहने लगे कि मैं इस गुफा में स्यमंतकमणि को लेने आया हूं ताकि अपने ऊपर मणि को चोरी करने के मिथ्या कलंक को दूर कर सकूं। इतना सुनते ही जामबन्त जी ने मणि श्री कृष्ण को भेंट कर दी। जामवन्त जी ने अपनी कन्या जामबन्ती का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया।
श्री कृष्ण और सत्यभामा विवाह
श्री कृष्ण ने स्त्राजित को बुलाकर मणि उसे वापस लौटा दी। स्त्राजित श्री कृष्ण पर स्यमंतकमणि चुराने के मिथ्या आरोप के कारण बहुत लज्जित महसूस कर रहा था। स्त्राजित ने अपनी सुन्दर कन्या सत्यभामा का विवाह श्री कृष्ण के साथ करवा दिया और मणि भी श्री कृष्ण को भेंट करनी चाही।
श्री कृष्ण और कालिंदी विवाह
एक दिन श्री कृष्ण और अर्जुन ने यमुना तट पर एक सुंदर कन्या को देखा तो श्री कृष्ण अर्जुन से कहने लगे कि तुम पूछ कर आओ कि सुंदर कन्या कौन है?
अर्जुन ने कन्या से जाकर पूछा कि तुम कौन हो? कहां से आई हो और क्या चाहती हो?
तब वह कन्या कहने लगी कि मैं सूर्य देव की पुत्री कालिंदी हूँ। भगवान विष्णु मुझे पति रूप में प्राप्त हो मैं इस इच्छा से यहां तपस्या कर रही हूं। जब तक भगवान मुझे दर्शन नहीं देंगे मैं तब तक यहां पर निवास करूंगी। अर्जुन ने सारी बात श्री कृष्ण को जाकर बताई। श्री कृष्ण सब कुछ पहले ही जानते थे उन्होंने कालिंदी को रथ पर बैठा लिया और द्वारिका पुरी जा कर शुभ नक्षत्र में कालिंदी से विवाह कर लिया।
श्री कृष्ण और मित्रवृंदा विवाह
विन्द-अनुविन्द की बहन मित्रवृंदा अपने स्वयंवर में श्री कृष्ण को पति रूप में वरण करना चाहती थी। लेकिन उसके दोनों भाईयों ने उसको ऐसा करने से रोका क्योंकि दोनों दुर्योधन के अधीन होने के कारण लालर थे। राजाधि देवी जोकि श्री कृष्ण की फूफी थी कि पुत्री को श्री कृष्ण सभी राजाओं के बीच से हरण करके ले गए।
श्री कृष्ण और नाग्नजिती विवाह
राजा नग्नजित की सत्या नाम की बहुत कान्तिवान पुत्री थी जिसे नाग्नजिती भी कहते थे। उस राजा का प्रण था कि वह उसके साथ अपनी कन्या का विवाह करेंगे जो तीक्ष्ण सींगों वाले सात सांडों को एक साथ जीत लेगा। बहुत से राजा अब तक आ चुके थे लेकिन सभी हार मान कर लौट गए थे।
श्री कृष्ण ने सात रूप धारण कर सातों सांडों को पकड़ लिया और रस्सी से बांध कर उनको ऐसे खींचने लगे जैसे कोई बालक काठ के घोड़े खींचता है। राजा ने अपनी कन्या का विधिपूर्वक पाणिग्रहण श्री कृष्ण से कर दिया।
श्री कृष्ण और भद्रा विवाह
श्री कृष्ण ने अपनी फूफी की पुत्री भद्रा जो कैकयदेश में पैदा हुई थी उसके संग मर्दन आदि भाईयों के देने पर उससे विवाह किया।
श्री कृष्ण और लक्ष्मणा विवाह
भगवान श्री कृष्ण ने मद्रदेश के राजा की पुत्री लक्ष्मणा जो कि सभी लक्षणों से युक्त थी को स्वयंवर से हरण कर लिया था।
श्री कृष्ण की 16100 रानियां
एक बार देवराज इन्द्र ने भगवान श्री कृष्ण से विनती की कि प्रागज्योतिषपुर के दैत्यों के राजा भौमासुर के अत्याचारों से सभी देवता त्रस्त हो चुके हैं।
उसने वरूण का छत्र, आदित्य के कुंडल और देवताओं की मणि छीन ली है। देवराज इन्द्र श्री कृष्ण से कहने लगे कि भौमासुर ने पृथ्वी के अनेकों राजाओं की सुंदर कन्याओं को अपना बंदी बना कर रखा है। प्रभु आप उन सबकी रक्षा करें।
श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ वहां पहुंचे और सत्यभामा की सहायता से मुर दैत्य और उसके छः पुत्रों का वध कर दिया।
जब भौमासुर को मुर दैत्य के वध का समाचार मिला तो वह श्री कृष्ण को मारने के लिए आ गया। श्री कृष्ण ने इस युद्ध में अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बनाया क्योंकि भौमासुर को स्त्री के हाथों मरने का वर प्राप्त था। इसलिए श्री कृष्ण ने सत्यभामा की मदद से भौमासुर दैत्य का वध कर दिया।
श्री कृष्ण ने भौमासुर के वध के पश्चात उसके द्वारा बंदी बनाई गई 16100 कन्याओं को मुक्त कर दिया। यह सभी कन्याएं भौमासुर द्वारा प्रताड़ित थी। भौमासुर द्वारा बंधक बना कर रखी गई इन कन्याओं को अपनाने के लिए कोई भी तैयार नहीं था।
श्री कृष्ण ने उन्हें आश्रय दिया और उन कन्याओं ने श्री कृष्ण को पति रूप में स्वीकार कर लिया। श्री कृष्ण उन सभी को द्वारिका पुरी ले गए।
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