SHRI KRISHNA RADHA AUR LALITA SAKHI
श्री राधा कृष्ण की कहानी
श्री कृष्ण को राधा रानी से मिलने के लिए ज्योतिषी बनना पड़ा और ललिता सखी ने श्री कृष्ण को क्या चुनौती दी थी?
LALITA SAKHI ललिता सखी
ललिता सखी ने श्री कृष्ण को चुनौती दी कि अगर तुम कल पुरूष के वेश में राधा रानी से मिल कर दिखा दिया तो मैं राधा रानी की बजाय तुम्हारी दासी बन जाऊंगी और अगर तुम राधा रानी के महल तक ना पहुंच पाए तो तुम को मेरा दास बनना पड़ेगा। श्री कृष्ण ने ललिता सखी की चुनौती स्वीकार कर ली।
श्री कृष्ण वृन्दावन वापस आ कर अपने सखाओं संग मंत्रणा करने लगे कि कोई ऐसा उपाय बताओं कि जिससे मैं पुरुष भेष धारण कर राधा से बरसाना जा कर मिल सकूं और ललिता सखी की थी हुई चुनौती जीत जाऊं।
श्री कृष्ण के मित्र जो कि ब्राह्मण पुत्र थे कहने लगे कि कृष्ण तुम ज्योतिष बन जाओ क्योंकि स्त्रियों की कमज़ोरी होती है कि वह अपना हाथ दिखाने पंडित के सामने बैठ जाती है। ज्योतिष को कोई बरसाने में आने से रोकेगा भी नहीं। श्री कृष्ण को अपने सखाओंका यह विचार उत्तम लगा
अगले दिन श्री कृष्ण एक ज्योतिष का रूप धारण कर बरसाना पहुंच गए। माथे पर चंदन तिलक,गले में तुलसी की माला और अपने अंगों पर इस तरह से श्रृंगार किया की कोई भी उनको पहचान ना पाएं।
श्री कृष्ण बरसाने पहुंचे और वहां की औरतों का बिना उनका हाथ देखे उनका नाम और परिवार के बारे में सब कुछ बताने लगे। सभी औरते बहुत प्रसन्न थी कि ज्योतिषी सब कुछ सच बता रहा है। अब श्री कृष्ण से कहां कोई कुछ छिपा सकता है।
यह बात बरसाने महल तक पहुंची तो एक औरत ने ललिता सखी को बताया कि बरसाने में एक ज्योतिष आया है जो सबके बारे में सब कुछ सच सच बताता है।
ललिता सखी भी अपना हाथ दिखाने श्री कृष्ण के पास पहुंची तो श्री कृष्ण ने उसका नाम, गांव का नाम सब कुछ बताया तो ललिता सखी कहने लगी कि यह सब तो तुम गांव में किसी से भी पुछ कर बता सकते हो। बताना ही है तो ऐसा बताओ कि इस समय मेरे दिमाग में क्या चल रहा है।
श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए बोले कि इस समय तुम्हारा दिमाग किसी को यहां आने से रोकने के बारे में सोच रहा है। ललिता सखी ने पूरे महल में सख्त पहरा लगवाया था कि किसी भी सुरत में श्री कृष्ण महल तक ना पहुंच पाएं।
ललिता सखी उत्सुकता से श्री कृष्ण रूपी ज्योतिष से पूछने लगी कि क्या जिसे मैं रोकने के बारे में सोच रही हूं वह कब तक महल में आएंगा।
श्री कृष्ण कहने लगे कि दोपहर तक पहुंच जाएंगा। ललिता सखी ने पहरा दे रही सखियों को सचेत कर दिया।
ललिता सखी श्री कृष्ण से कहने लगी कि, पंडित जी मेरी सखी राधा का भी हाथ देख लो।
इतना सुनते ही श्री कृष्ण मुस्कुराने लगे। ललिता सखी ने पूछा कि पंडित जी आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं तो श्री कृष्ण कहने लगे कि, महल में तो पुरुषों के जाने पर पाबंदी है इसलिए।
ललिता सखी कहने लगी कि मैं स्वयं आपको महल में ले जाऊंगी आप केवल एक बार चल कर मेरी राधा सखी का हाथ देख लो। आप ज्योतिषी हो आपके वहां जाने पर किसी को कोई आपत्ती नही होगी।
ललिता सखी के बार बार आग्रह करने पर श्री कृष्ण उनके पीछे पीछे चल पड़े।
जैसे ही श्री कृष्ण राधा रानी के कक्ष के समीप पहुंचे तो श्री कृष्ण ने ललिता सखी को स्मरण कराया कि जिस को तुम आने से रोक रही थी कहीं वो आ ना जाएं।
ललिता सखी कहने लगी कि ठीक है महाराज आप कक्ष में चले मैं एक बार बाहर देखकर आती हूं।
श्री कृष्ण कक्ष में पहुंचे तो ललिता सखी राधा रानी से कहने लगी कि यह बहुत माने हुएं ज्योतिषी है। गांव की औरतों ने इनको अपना हाथ दिखाया है आप भी दिखा दो।
श्री कृष्ण ने राधा रानी के समीप बैठ कर उनका हाथ अपने हाथ में ले लिया और अपने बारे में इशारे से बताने के लिए उनके हाथ को थोड़ा सा दबा दिया।
ललिता सखी कहने लगी कि महाराज यह क्या कर रहे हैं? श्री कृष्ण कहने लगे कि मैं तो राधा रानी के कोमल हाथ की लकीरों को अच्छे से देख रहा हूं। फिर श्री कृष्ण जब राधा रानी के साथ को अपनी आंखों के समीप ले गए तो ललिता सखी कहने लगी कि यह क्या कर रहे हो।
श्री कृष्ण कहने लगे कि मैं तो हाथों की लकीरों का निरीक्षण कर रहा हूं।
उसी समय श्री कृष्ण ने ललिता सखी से पूछा कि समय क्या हुआ है ललिता सखी कहने लगी कि पंडित जी 12.00 बजे है।
उसी समय श्री कृष्ण ललिता सखी से कहने लगे कि देख लो मैं पुरुष भेष में राधा रानी के पास पहुंच ही गया।
ललिता सखी भी तपाक से बोली कि इतना मत इतराओ क्योंकि तुम को इस महल में लाने वाली मैं ही हूं। अगर मैं तुम को स्वयं इस महल में ना लाती तो तुम राधा रानी से कैसे मिल पाते।
जय श्री राधे कृष्ण की। जय ललिता सखी की।
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