DHANTERAS 2023 KAB HAI
धनतेरस पर बर्तन और धनिया क्यों खरीदते हैं
DHANTERAS 2023
Friday, 10 November
धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को धनतेरस और धनत्रयोदशी भी कहा जाता है । इस दिन भगवान धन्वंतरी समुद्र मंथन के समय अमृत का कलश हाथ में लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते हैं।
धनतेरस का महत्व
मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन वैभव और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है और उनके नाम से दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती।
धनतेरस के दिन बर्तन और धातु खरीदने की परंपरा क्यों है
समुद्र मंथन के समय धन्वंतरी भगवान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे । इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। इस दिन लोग अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार चांदी, पीतल और स्टील के बर्तन भी खरीदते हैं ।
धनतेरस के दिन कुछ भी नया खरीदना शुभ माना जाता है ऐसा माना जाता है धनतेरस के दिन जो भी खरीदा जाए, उसमें 13 गुना की वृद्धि होती है ।इसलिए लोग इस दिन सोने- चांदी के गहने और सिक्के भी खरीदते हैं।
इस दिन चांदी के बर्तन खरीदने चंद्रमा का प्रतीक है जो मन को शीतलता देता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है।
धनतेरस के दिन धनिया क्यों खरीदते हैं
धन्वंतरी भगवान आरोग्य के देवता है और धनिए में औषधीय गुण होते हैं और मां लक्ष्मी को भी धनिया बहुत प्रिय हैं। इसलिए धनतेरस के दिन लोग धनिया खरीदते हैं और दिवाली वाले दिन उसकी पूजा करने के पश्चात अगले दिन उसे घर के आंगन के बगीचे में ,खेत में या फिर किसी गमले में उन बीजों बो दिया जाता हैं ।
ऐसी मान्यता है कि अगर धनिए का पौधा एकदम स्वस्थ निकलता है तो वर्ष भर आपकी आर्थिक स्थिति उत्तम रहेगी और यदि धनिया का पौधा पीला और कमजोर निकलता है तो आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है
धनतेरस के दिन दीपदान क्यों किया जाता है
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक हेम नाम का राजा था जिसका एक पुत्र था। ज्योतिषियों ने राजा को बताया था कि उस बालक के विवाह के चार दिन के पश्चात उसकी मृत्यु हो जाएगी। राजा यह सच्चाई जानकर दुःखी हुआ। उसने राजकुमार को ऐसे स्थान पर भेज दिया जहां उसे कोई स्त्री दिखाई ना दे ।
लेकिन देव योग से एक दिन एक सुंदर राजकुमारी वहां से निकली। दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गए और दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया। लेकिन जैसा कि ज्योतिषियों ने राजकुमार के विषय में बताया था, वैसा ही हुआ। दोनों के विवाह के चार दिन के पश्चात यम के दूत राजकुमार को लेने आ पहुंचे। राजकुमार की पत्नी की करुण पुकार सुनकर यमदूतों का हृदय भी द्रवित हो गया। लेकिन यमराज के दूतों का कहना था कि," यमराज की आज्ञा अनुसार उन्हें अपना कर्म करना पड़ेगा।"
यमराज के दूत यमराज से पूछते हैं कि ,"क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे कोई मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए।" यमदूतों द्वारा पूछे जाने पर यमराज कहने लगे कि ,"अकाल मृत्यु से बचने के लिए कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि की रात्रि में जो प्राणी मेरे नाम का पूजन करके दक्षिण दिशा में दीप दान करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता"। यही कारण है कि इस दिन लोग घर के दक्षिण दिशा में दीप जलाते हैं।
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