SHRI DAMODAR ASHTAKAM LYRICS IN SANSKRIT

कार्तिक मास में पढ़ें श्री दामोदर अष्टकम संस्कृत लिरिक्स  

श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार है। श्री दामोदर अष्टकम श्री कृष्ण की उस लीला को दर्शाता है जिसमें मां यशोदा के भय से भाग रहे हैं और मां यशोदा उन्हें पकड़ कर ऊखल से बांध रही है और रस्सी से बंधने के पश्चात उन्होंने नलकुबेर और मणिग्रीव नामक कुबेर के नारद जी द्वारा शापित पुत्र जो यमलार्जुन के वृक्षों के रूप में बदल गए थे श्री कृष्ण ने उनका उद्धार किया था। 




नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं,

लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानं।

यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं,

परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या।।१।।

पढ़ें दामोदर अष्टकम हिन्दी अर्थ सहित

रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तम्

कराम्भोज युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्

मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ

स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम्।।२।।


इतीदृक् स्वलीलाभिरानंद कुण्डे

स्वघोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्

तदीयेशितज्ञेषु भक्तिर्जितत्वम

पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे।।३।।


वरं देव! मोक्षं न मोक्षावधिं वा

न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह।

इदं ते वपुर्नाथ गोपाल बालं

सदा मे मनस्याविरास्तां किमन्यैः।।४।।


इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलैः

वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश्च गोप्या

मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे

मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभैः।।।५।


नमो देव दामोदरानन्त विष्णो

प्रसीद प्रभो दुःखजालाब्धिमग्नम्

कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु

गृहाणेष मामज्ञमेध्यक्षिदृश्यः।।६।।


कुबेरात्मजौ बद्ध-मूर्त्यैव यद्वत्

त्वया मोचितौ भक्ति भाजौ कृतौ च

तथा प्रेम-भक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ

न मोक्षे ग्रहो मेऽस्ति दामोदरेह।।७।।


नमस्तेऽस्तु दाम्ने स्फुरद्-दीप्ति-धाम्ने

त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने

नमो राधिकायै त्वदीय प्रियायै

नमोऽनन्त-लीलाय देवाय तुभ्यम्।।७।।

श्री कृष्ण को कृष्ण, मुरारी, द्वारिकाधीश, मयुर, लड्डू गोपाल आदि की नामों से जाना जाता है। उनमें से श्री कृष्ण का एक नाम दामोदर भी है। दाम का अर्थ होता है 'रस्सी' और उदर का अर्थ होता है 'पेट'। मां यशोदा ने कार्तिक मास में दिवाली के दिन श्री कृष्ण की शरारतों से तंग आकर उनके पेट को रस्सी से बांध कर ऊखल से बाँधा था ।इसलिए कार्तिक मास को दामोदर मास कहा जाता है। कार्तिक मास में दीप दान करना विशेष फलदाई माना गया है। कार्तिक मास में दामोदर अष्टकम पढ़ना चाहिए।

यमलार्जुन वृक्षों का उद्धार

श्री कृष्ण को द्वारिकाधीश क्यों कहा जाता है

श्री कृष्ण को रणछोड़ क्यों कहा जाता है 

श्री कृष्ण को लड्डू गोपाल क्यों कहा जाता है


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