BHAGWAAN SHIV NE GOPI ROOP KYUN DHARAN KIYA

 भगवान शिव ने श्री कृष्ण की महारास में गोपी रूप क्यों धारण किया 


श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। श्री कृष्ण ने जब शरद पूर्णिमा के दिन गोपियों संग महारास का निश्चय किया तो श्री कृष्ण की बंसी की धुन से तीनों लोक आनंद मग्न हो गए। श्री कृष्ण की बांसुरी के कारण भगवान शिव का ध्यान भंग हो गया।

भगवान शिव अपना ध्यान छोड़ कर वृन्दावन में महारास के स्थल पर पहुंच गए। भगवान शिव और मां पार्वती जब रास स्थल पर प्रवेश करने लगे तो मां पार्वती को तो प्रवेश मिल गया। लेकिन भोलेनाथ को द्वार पर ललिता सखी ने रोक लिया। 

महारास में श्री कृष्ण के अलावा किसी और पुरुष को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। ललिता सखी ने भगवान शिव को इस विषय में बताया तो भगवान शिव कहने लगे कि तुम मुझे महारास में जाने का उपाय बताएं। ललिता सखी कहने लगी कि प्रभु आपको स्त्री वेश धारण करना पड़ेगा। 

भगवान शिव ललिता सखी से कहने लगे कि तुम मुझे शीघ्र स्त्री बना दो। ललिता सखी ने भगवान शिव का गोपी वेश में श्रृंगार किया और राधा कृष्ण के युगल मंत्र की दीक्षा दी।

भगवान शिव घूंघट ओढ़े महारास में शामिल हो कर भगवान श्री रासबिहारी, श्री राधा रानी और गोपियों के संग नृत्य और रास लीला करने लगे। श्री कृष्ण की बांसुरी सुन भगवान सुध बुध खो बैठे। 

 भगवान शिव अपने ढील डोल के कारण सभी सखियों से अलग दिखाई दे रहे थे। भगवान श्री कृष्ण जान गए कि भोलेनाथ उनकी रासलीला में आएं हैं तो भगवान ने सोचा कि चलो भगवान शिव के संग थोड़ी हंसी ठिठोली करते हैं।

श्री कृष्ण कहने लगे कि जो गोपियां घुंघट में है मैंने उनका मुख नहीं देखा मैं सबका चेहरा देखना चाहता हूं।

भगवान शिव सोचने लगे कि यह कन्हैया बीच रास क्या सूझा। भगवान कहने लगे कि चलो एक कतार में खड़े हो जाओ मैं बारी बारी से सबके दर्शन करूंगा। भगवान शिव कतार में सबसे अंत में खड़े हो गए कि हज़ारों गोपियां है इसलिए मेरा नंबर कहां आएगा।

लेकिन श्री कृष्ण कहने लगे कि मैं सबसे पीछे से गोपियों के दर्शन करने शुरू करूंगा तो भगवान शिव भाग कर कतार में सबसे आगे खड़े हो गए।

सब गोपियां आश्चर्य चकित हो गई कि यह कैसी गोपी है जो कन्हैया से शरमा कर इधर उधर भाग रही है। इसका डील डौल भी अन्य गोपियों की तुलना में भारी भरकम है।

श्री कृष्ण कहने लगे कि महारास में अब इस गोपी के साथ करूंगा और इतना कहते ही श्री कृष्ण ने भगवान शिव का घुंघट हटा दिया और कहने लगे कि आओ गोपेश्वर महादेव आपका महारास में स्वागत है।

श्री राधा रानी और गोपियों भगवान शिव के इस गोपी रूप को देखकर आश्चर्य चकित हो गई। श्री कृष्ण राधा रानी और गोपियों से कहने लगे कि यह गोपी साक्षात भगवान शिव हैं।

राधा रानी मुस्कुराते हुए भोलेनाथ से पूछने लगी कि प्रभु आपने यह गोपी रूप क्यों धारण किया?

भगवान शिव कहने लगे कि मैंने आपकी दिव्य महारास लीला देखने के लिए गोपी रूप धारण किया है।

राधा रानी ने भगवान शिव से प्रसन्न होकर वरदान मांगने के लिए कहा तो भोलेनाथ कहने लगे कि आपके चरणों में सदा मेरा वास हो मुझे ऐसा वरदान दे।

तब से भगवान शिव गोपेश्वर रूप में निवास करते हैं। वृन्दावन में गोपेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का प्रतिदिन गोपी रूप में श्रृंगार किया जाता है।

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