SHRI RAM AUR GILAHARI KI KAHANI

 श्री राम और गिलहरी की MORAL STORY

पढ़े नन्ही गिलहरी का सेतु निर्माण में क्या योगदान था और श्री राम ने गिलहरी को क्या आशीर्वाद दिया 


लंका युद्ध से पहले जब समुद्र ने श्री राम से समुद्र पर सेतु बनाने का सुझाव दिया। समुंदर ने कहा कि प्रभु आपकी सेना में नल और नील नाम के दो भाई हैं उन दोनों को लड़कपन में आशीर्वाद मिला था कि उनका  स्पर्श  होते ही पहाड़ भी तर जाएंगे। आप उनकी सहायता से सेतु का निर्माण करें।

मैं आपकी प्रभुताई को हृदय में धर कर अपने बल के अनुसार आपकी सहायता करूंगा। समुंद्र के वचन सुनकर श्री राम जी ने मंत्रियों को बुलाया और उनको शीघ्र सेतु निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए आज्ञा दी। जाम्बवान ने नल- नील दोनों भाइयों को सारी कथा सुना कर सेतु निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए कहा।

वानरों के समूहों वृक्षों और पर्वतों को उखाड़ कर लाते और नल नील को देते वह दोनों अच्छे से सेतु का निर्माण कर रहे थे । उसी समय एक गिलहरी को जब सेतु निर्माण के कार्य के बारे में पता चला तो उसने भी इस शुभ कार्य के लिए अपना योगदान देने की सोची।

गिलहरी समुद्र में जाती स्वयं को पानी में भिगोती और फिर वापस आकर रेत में लोटती और जाकर जहां सेतु बन रहा था वहां झटके से सारी रेत वहां गिरा देती।

यह देख कर वानर सेना उस पर हंसने लगी कि इतने बड़े पत्थरों के आगे तुम्हारे यह कंकड़, पत्थर और रेत क्या काम आएंगी।

श्री राम बड़े ध्यान से देख रहे थे कि गिलहरी कितनी निष्ठा से सारा काम कर रही थी। वानरों की बात सुनकर श्री राम ने गिलहरी को स्नेह से उठाया लिया।

श्री राम वानर सेना से कहने लगे कि सेतु निर्माण में गिलहरी का भी विशेष योगदान है। वानर सेना ने आश्चर्य से पूछा प्रभु वो कैसे?

श्री राम ने वानर सेना को बताया कि गिलहरी जिन छोटे छोटे कंकड़ पत्थर और रेत को जहां छोड़ा था उसने कैसे बड़े बड़े पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ कैसे सेतु को मजबूती प्रदान की है। इसलिए गिलहरी का योगदान भी बाकी वानर सेना के जैसे ही अमूल्य है।

श्री राम ने गिलहरी की सराहना करते हुएं बड़े प्यार से उसकी पीठ पर हाथ फेरा। श्री राम के आशीर्वाद के रूप में गिलहरी की पीठ पर काली-भूरी धारियों के निशान बन गए। तभी से यह मान्यता है कि गिलहरी के शरीर पर जो धारियां है वे श्री राम की उंगलियों के निशान के रूप उनका आशीर्वाद है।

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