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Showing posts from November, 2022

MARGASHIRSHA PURNIMA AANPURNA JAYANTI

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है।मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है ।इस दिन भगवान विष्णु का दत्तात्रेय अवतार भी हुआ था इसलिए इस दिन को दत्तात्रेय जयंती के रूप में भी जाना जाता है । मार्गशीर्ष मास के बारे में श्री कृष्ण ने स्वयं कहा गया है कि मैं महीनों में मार्गशीर्ष का पावन महीना हूं। इस दिन माता पार्वती ने अन्नपूर्णा देवी का रूप धारण किया था इसलिए इस दिन को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में भी मनाया माना जाता है।माँ अन्नपूर्णा संसार का भरण पोषण करती हैं ।इस दिन जो माता अन्नपूर्णा की पूजा करता है उसके घर पर अन्न धन की कमी नहीं होती‌‌। उसके अन्न भंडारे सदैव भरे रहते हैं। मार्ग शीर्ष पूर्णिमा का महत्व मार्ग शीर्ष पूर्णिमा का विशेष महत्व है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का फल 32 गुना अधिक मिलता है. इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।  श्री कृष्णा ने भगवत गीता में कहा है कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष का पावन महीना हूं। इस दिन पवित्र नदी, सरोवर में स्नान करना बहुत ही शुभ फलदाई माना गया है।

VIVAH PANCHMI KATHA SIGNIFICANCE

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विवाह पंचमी 2024 शुक्रवार, 6 दिसंबर  मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन  भगवान राम  और माता सीता का विवाह हुआ था। विवाह पंचमी के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है।  vivah panchmi katha  विवाह पंचमी के दिन अयोध्या और जनकपुर में भव्य विवाह समारोह का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी अयोध्या जी में चार दिवसीय रामायण मेला आयोजित किया जा रहा है। श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। श्री राम का जन्म राजा दशरथ के पुत्र के रूप में अयोध्या में हुआ और माता सीता का जन्म जनक पुरी में हुआ। राजा जनक जी के पास भगवान शिव का पिनाक धनुष था जिसे उठाना हर किसी के लिए संभव नहीं था। लेकिन एक दिन सीता माता जी ने भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था। उस दिन राजा जनक ने निश्चय किया कि जो भी भगवान शिव के धनुष को उठा कर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएंगा उनकी पुत्री उसका वरण करेंगी।  राजा जनक ने सीता जी के स्वयंवर के समय सब राज्यों को निमंत्रण भेजा। ऋषि विश्वामित्र को भी राजा जनक ने सीता जी के स्वयंवर का निमंत्रण भेजा था। श

BIHAR PANCHMI BANKE BIHARI PRAAKATY DIVAS

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 बिहार पंचमी बांके बिहारी प्राकट्य दिवस 2024 शुक्रवार, 6 दिसंबर  मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्वामी हरिदास की सघन उपासना के फलस्वरूप श्री बांके बिहारी जी का वृन्दावन के निधिवन में प्राकृट्य हुआ था। बांके बिहारी जी के इस प्राकट्य दिवस को बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है। ब्रजधाम के वृन्दावन में बांके बिहारी जी का प्राकट्य दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इसदिन बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं।  बांके बिहारी जी के प्राकट्य दिवस पर बिहारी जी का अभिषेक किया जाता है। उनके प्रतीकात्मक पदचिन्हों को दूध, दही ,घी और जल से स्नान कराया जाता है और चरणामृत को भक्तों में वितरित किया जाता है। इस दिन बिहारी जी के बाल रूप को पीले वस्त्र‌ और स्वर्ण आभूषण पहनाएं जाते हैं। उनको 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। मंदिर को रंग बिरंगे गुब्बारों और फूलों से सजाया जाता है।इस दिन मंदिर की छटा आलौकिक लगती है। बिहार पंचमी के दिन बांके बिहारी जी के साथ स्वामी हरिदास जी की भी पूजा की जाती है। इस दिन श्री हरिदास जी महाराज निधिवन से चांदी के रथ पर सवार होकर अपने लाडले बांके बि

GITA MAHOTSAV 2022 KURUKSHETRA

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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 19 November - 6 December   अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित जा रहा है। वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का सातवां संस्करण है। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2016 में मनाया गया था। गीता महोत्सव और गीता जयंती श्रीमद्भागवत गीता के प्रतीकात्मक जन्म के रूप में मनाई जाती हैं। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन को गीता का ज्ञान कुरुक्षेत्र में दिया था।  गीता महोत्सव 19 नवंबर से 6 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। 19 नवंबर से 6 दिसंबर तक सरस और शिल्प मेले का आयोजन किया गया है जिसमें देश के कलाकारों को अपनी  शिल्पकला दिखाने का सुनहरा अवसर मिलेगा।‌ 48 कोस कुरूक्षेत्र के 75 तीर्थों पर गीता महोत्सव पर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के क्रार्यक्रम का शुभारंभ गीता रन(दौड़) से होगा। ब्रह्म सरोवर के पावन तट पर प्रतिदिन भजन संध्या और पावन‌ आरती का आयोजन किया गया है। कथावाचक मुरारी बाप

UTPANNA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE IN HINDI

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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा और महत्व  Friday, 8 December 2023 एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है लेकिन मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि सतयुग में एकादशी भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थी। इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी या फिर उत्पत्ति एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अति प्रिय है क्योंकि इसी दिन एकादशी देवी भगवान के शरीर से प्रकट हुई थी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदाई होता है। इस दिन एकादशी व्रत करने से पूर्व जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।  उत्पन्ना एकादशी व्रत  का महत्व एकादशी का व्रत करने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है ।शत्रुओं का विनाश होता है और विघ्न दूर होते हैं ।जो मनुष्य एकादशी महात्म को पढ़ता या फिर सुनता है उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। भगवान श्री कृष्ण ने एकादशी का महत्व युधिष्ठिर को सुनाया था। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। एकादशी व्रत करने वाले को आरोग्य, संतान प्राप्ति होती है और मोक्ष का अधिकारी होता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन मां लक

SHRI BHAGAVAD GITA AARTI LYRICS IN HINDI

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श्री भगवद् गीता आरती लिरिक्स इन हिन्दी  श्री भगवद्गीता का उपदेश श्री कृष्ण ने मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को महाभारत के युद्ध से पहले अर्जुन को दिया था। इस दिन श्री भागवत गीता पढ़ना और आरती सुनना विशेष फलदाई माना जाता है । श्री भगवद् गीता आरती    जय भगवद् गीते,जय भगवद् गीते ।  हरि-हिय-कमल-विहारिणि,सुन्दर सुपुनीते ॥ जय भगवद् गीते।।  कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि, कामासक्तिहरा । तत्त्वज्ञान-विकाशिनि, विद्या ब्रह्म परा ॥  जय भगवद् गीते।।  निश्चल-भक्ति-विधायिनि,निर्मल मलहारी । शरण-सहस्य-प्रदायिनि,सब विधि सुखकारी ॥  जय भगवद् गीते।।   राग-द्वेष-विदारिणि, कारिणि मोद सदा । भव-भय-हारिणि, तारिणि परमानन्दप्रदा ॥  जय भगवद् गीते।।   आसुर-भाव-विनाशिनि,नाशिनि तम रजनी । दैवी सद् गुणदायिनि, हरि-रसिका सजनी ॥ जय भगवद् गीते।।   समता, त्याग सिखावनि, हरि-मुख की बानी । सकल शास्त्र की स्वामिनी, श्रुतियों की रानी ॥  जय भगवद् गीते।।   दया-सुधा बरसावनि,मातु ! कृपा कीजै । हरिपद-प्रेम दान कर,अपनो कर लीजै ॥  जय भगवद् गीते।। जय भगवद् गीते,जय भगवद् गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणि,सुन्दर सुपुनीते ॥ जय भगवद् गीत।।

GEETA JAYANTI SIGNIFICANCE IN HINDI

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 गीता जयंती 2023 22 December 2023 गीता जयंती मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाई जाती है. इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।  भगवत गीता में मानव जीवन के हर एक पहलू के बारे में बताया गया है. जो आज से 5000 पहले सार्थक थी, उतनी ही आज के समय में भी है। गीता में 18 अध्याय हैं और 700 श्लोक हैं।  युद्ध के मैदान में अर्जुन भीष्म पितामह, गुरु द्रोण, भाई-बन्धुओं को देखकर विचलित हो जाता हैं ।अर्जुन कहते हैं मैं अपने लोगों को मारकर युद्ध नहीं कर सकता इससे तो अच्छा मैं भिक्षा मांग लूंगा. भगवान श्री कृष्ण जो महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी थे शांति  से अर्जुन की बातें सुनते है। कृष्ण अर्जुन के द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर देते हैं ।अर्जुन के मन में जितने भी शंका होती हैं उसे दूर करते हैं। अर्जुन के साथ- साथ संजय ने भी वेद व्यास जी द्वारा  दी गई दिव्य दृष्टि से श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश को सुना था और  उनके दिव्य रुप को देखा था। गीता जयंती का महत्व संजय  के अनुसार जहां  श्री क

THARO KHOOB SAJYO SRINGAR BHAJAN LYRICS HINDI

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थारो खूब सज्यो श्रृंगार म्हारा साँवरिया सरकार भजन  Tharo khoob sajyo sringar bhajan lyrics in hindi  थारो खूब सज्यो श्रृंगार, म्हारा साँवरिया सरकार, फेरूँ माथे लुण राई, थारी लेउँ नजर उतार, कोई जादू कर देवेगी, कोई टोनों कर देवेगी, बच के रहीयो सरकार।। तर्ज – टूटे बाजूबंद री लूम। नागण सी लट या लटके, ऊपर से क्यों तू झटके, तने देख देख सांवरिया म्हारो, हिवड़ो यो भटके, कोई जादू कर देवेगी, कोई टोनों कर देवेगी, बच के रहीयो सरकार।। तेरी अखियाँ है कजरारी, तेरी चितवन जादूगारी, अइया आँखा ने मटकावे, मैं तो हारी रे दिल हारी, कोई जादू कर देवेगी, कोई टोनों कर देवेगी, बच के रहीयो सरकार।। क्यों होले से मुसकावे, क्यों कालजे तीर चलावे, कोई लेजा सी चुराके तने, समझ नहीं क्यों आवे, कोई जादू कर देवेगी, कोई टोनों कर देवेगी, बच के रहीयो सरकार।। तू मान ले ‘श्याम’ कहनो, अब छोड़ दे सजनो सवरनो, तेरो तो कुछ भी ना जासी, म्हाने पड़ जावेगे महंगो, कोई जादू कर देवेगी, कोई टोनों कर देवेगी, बच के रहीयो सरकार।। थारो खूब सज्यो श्रृंगार, म्हारा साँवरिया सरकार, फेरूँ माथे लुण राई, थारी लेउँ नजर उतार, कोई जादू कर देवेगी, कोई टोन

KHATU SHYAM CHALISA LYRICS IN HINDI

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श्री खाटूश्याम (श्याम बाबा) चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी  खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। उन्हें भक्त जो मांगते हैं बाबा उन्हें लाखों बार देते हैं इसलिए उनको लखदातार भी कहा जाता है। श्याम बाबा को श्री कृष्ण ने अपना नाम श्याम दिया था। खाटू श्याम का चालीसा पाठ करने से संकट दूर होते हैं। खाटू श्याम चालीसा हिन्दी में                 ।।दोहा।। श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद। श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद॥       ।। चौपाई ।। श्याम-श्याम भजि बारंबारा।  सहज ही हो भवसागर पारा॥ इन सम देव न दूजा कोई।  दीन दयालु न दाता होई॥ भीम सुपुत्र अहिलावती जाया।  कहीं भीम का पौत्र कहलाया॥ यह सब कथा कही कल्पांतर।  तनिक न मानो इसमें अंतर॥ बर्बरीक विष्णु अवतारा।  भक्तन हेतु मनुज तन धारा॥ वासुदेव देवकी प्यारे।  यशुमति मैया नंद दुलारे॥ मधुसूदन गोपाल मुरारी।  बृजकिशोर गोवर्धन धारी॥ सियाराम श्री हरि गोबिंदा।  दीनपाल श्री बाल मुकुंदा॥ दामोदर रण छोड़ बिहारी।  नाथ द्वारिकाधीश खरारी॥ नरहरि रूप प्रहलाद प्यारा। खम्भ फारि हिरनाकुश मारा॥ राधावल्लभ रुक्मिणि कंता।  गोपी बल्लभ कंस हनंता॥ मनमोहन चित चोर

BAWA BHANU NATH DARBAR DINANAGAR MAHOTRA BIRADRI

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MAHAJAN MAHOTRA BIRADRI MAL 2022 MONDAY ,7 NOVEMBER  श्री बावा भानू नाथ अखिल भारतीय महोत्रा(महाजन) देहरी अवांखी दरवाजा, दीनानाथ जिला गुरदासपुर, पंजाब बाबा भानू नाथ जी महोत्रा वंश के सभी महाजन के कुलदेवता है। महोत्रा वंश के महाजन सभी शुभ कार्य बावा जी को याद कर शुरू करते हैं। बावा जी के दरबार में नतमस्तक होने वाले की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भारत पाकिस्तान विभाजन के पश्चात बावा जी का दरबार दीनानाथ जिला गुरदासपुर में शोभायमान है।  भक्त बावा जी के दरबार में पूरा वर्ष कभी भी दर्शनों के लिए आ सकते हैं लेकिन हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन बावा जी के दरबार में विशाल पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर महाजन महोत्रा वंश के परिवार बावा जी के दरबार में दर्शन करने दूर दूर से आते हैं  2022 में पूर्णिमा के दिन ग्रहण के कारण अखिल भारतीय महोत्रा महाजन बिरादरी की वार्षिक मेल 7 नवंबर दिन सोमवार को लगेगी। 6 नवंबर को बावा जी के नाम का संकीर्तन और जागरण होगा।  पंचरत्नी स्नान                          4.30 बजे प्रातः बावा जी की आरती                  5.00 बजे प्रातः  बावा जी का खिचड़ी का भोग    5