Posts

Showing posts from December, 2022

DHANNA BHAKT KI KATHA

Image
धन्ना भगत की जयंती पर पढ़ें उनके पत्थर से भगवान को पाने की कथा  धन्ना भगत ने अपनी निश्छल भक्ति से पत्थर में से भगवान को पाया था। वह भगवान श्री कृष्ण के भक्त थे। 23 अप्रैल 2023 दिन रविवार को धन्ना भगत की जयंती मनाई जाएगी। धन्ना भगत की जयंती पर पढ़ें उनकी भक्ति पूर्ण कथा (devotional story) कैसे उन्होंने अपने प्रेम से भगवान को पाया था।  धन्ना जी का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। जब वह पांच साल के थे तो एक पंडित जी तीर्थ यात्रा से लौट कर उनके घर पर कुछ दिनों के लिए ठहरे। पंडित जी के पास एक शालीग्राम था। वह हर रोज स्नान के पश्चात शालीग्राम को स्नान करवाते। उनकी पूजा करते और उनको भोग लगा कर ही फिर स्वयं भोजन करते। पंडित जी को शालीग्राम की सेवा, पूजा करते देख धन्ना उनको कहते कि जब आप हमारे घर से जाए तो यह शालीग्राम जी मुझे दे जाना मैं भी आपके जैसे उनकी पूजा करूंगा। पंडित जी को लगा कि बच्चा शायद उन्हें खिलौना समझ रहा है। पंडित जी ने बहुत समझाया कि तुम अभी छोटे हो अभी तुम इन की सेवा नहीं कर पाओगे। माता पिता ने भी समझाया। लेकिन नन्हे बालक की जिद्द को देखकर पंडित जी को एक उपाय सूझा।  पंडित

SHRI BANKE BIHARI CHALISA LYRICS IN HINDI

Image
श्री बांके बिहारी चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी  श्री बांके बिहारी श्री कृष्ण का ही एक रूप है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। बांके बिहारी जी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। इस विग्रह में श्री राधा और श्री कृष्ण जी दोनों समाहित है इसके दर्शन करने पर श्री राधा कृष्ण दोनों के दर्शनों का फल प्राप्त होता है। श्री बांके बिहारी जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती और चालीसा पढ़ना चाहिए।    श्री बांके बिहारी चालीसा                ।। दोहा।।  बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल । स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ।।     ।। चौपाई ।। जै जै जै श्री बाँकेबिहारी । हम आये हैं शरण तिहारी ।। स्वामी श्री हरिदास के प्यारे । भक्तजनन के नित रखवारे ।। श्याम स्वरूप मधुर मुसिकाते । बड़े-बड़े नैन नेह बरसाते ।। पटका पाग पीताम्बर शोभा । सिर सिरपेच देख मन लोभा ।। तिरछी पाग मोती लर बाँकी । सीस टिपारे सुन्दर झाँकी ।। मोर पाँख की लटक निराली । कानन कुण्डल लट घुँघराली ।। नथ बुलाक पै तन-मन वारी । मंद हसन लागै अति प्यारी ।। तिरछी ग्रीव कण्ठ मनि माला । उर पै गुंजा हार रसाला ।। काँधे साजे सुन्दर पटका

HANUMAN JI KA VIVAH KAB KAISE KIS KE SATH HUA |HANUMAN STORY

Image
Hanuman jayanti Thursday , 6 April  हनुमान जयंती पर पढ़ें हनुमान जी का विवाह किस से हुआ पढ़ें हनुमान जी के विवाह की कहानी  Hanuman story  हनुमान जी श्री राम के परम भक्त माने जाते हैं। हनुमान जी बल और बुद्धि के देवता हैं। हनुमान जी को उनके भक्त ब्रह्मचारी के तौर पर जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का विवाह हुआ था लेकिन फिर भी उनका ब्रह्मचर्य भंग नहीं हुआ था।  महर्षि बाल्मीकि, रामचरितमानस और कम्भ रामायण में हनुमान जी के ब्रह्मचारी रूप का वर्णन मिलता है। लेकिन पराशर संहिता के अनुसार हनुमान जी का विवाह सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। इसका प्रमाण है तेलंगाना के खम्मम जिले के मंदिर में हनुमान जी की पूजा उनकी पत्नी के साथ की जाती है। हनुमान जी ने सूर्य देव से शिक्षा ग्रहण की थी। हनुमान जी ने सूर्य देव से नौ विद्याओं का ज्ञान लेने का निश्चय किया। शिक्षा ग्रहण करते समय हनुमान जी उनके साथ-साथ उड़ते थे, क्योंकि सूर्य देव कहीं भी और कभी भी रूकते नहीं थे।  सूर्य देव ने नौ में से जब पांच विद्याओं को हनुमान जी को सिखा दिया लेकिन बाकी की चार विद्याओं को सिखाने के लिए उनके सामने

SHIV KO TRIPURARI KYUN KAHTE HAI

Image
 भगवान शिव को त्रिपुरारी क्यों कहते हैं ? भगवान शिव त्रिदेवों ब्रह्मा , विष्णु और महेश में एक है। भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को भोलेनाथ, नीलकंठ आदि की नामों से पुकारा जाता है। उनमें से भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी है। भगवान शिव ने त्रिपुरों का नाश किया था इसलिए उन्हें त्रिपुरारी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र कार्तिकेय जी ने जब तारकासुर का वध कर दिया तो उसके पुत्रों ने अपनी पिता के वध का प्रतिशोध लेने के लिए ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की। तारकासुर के पुत्रों के नाम तारकाक्ष,कमलाक्ष और विद्युन्माली थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उनसे वर मांगने के लिए कहा। उन तीनों ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा तो ब्रह्मा जी कहने लगे कि," मैं अमर होने का वर नहीं दे सकता इसलिए तुम तीनों कोई और वरदान मांगो।" उन तीनों ने ब्रह्मा जी से कहा कि आप हमारे लिए तीन ऐसे नगरों का निर्माण करवाएं जिसमें हम बैठे-बैठे ही हम तीनों लोकों का भ्रमण कर सके। एक हज़ार साल बाद तीनों नगरों का एक नग

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

Image
बावा लाल दयाल जी आरती और अरदास लिरिक्स इन हिन्दी  बावा लाल दयाल जी आरती  ॐ जय बावा लाल गुरु, स्वामी जय श्री लाल गुरु। शरण पड़े जो आकर, दुःख जंजाल हरो।।   ॐ जय बावा लाल गुरु ।। सतयुग हंस राम श्री त्रेता द्वापर कृष्ण भये। कलियुग पतित उधारण, लाल दयाल भये। ॐ जय बावा लाल गुरु।। सतगुरु लाल हैं जिन के पुर्ण भाग किए। गृहस्थी हो या वैरागी, वें सब मुक्त भए ।  ॐ जय बावा लाल गुरु ।। हरि गुरु में नही भेदा, इन में जो भेद करे। वह नर पापी समझो ,जग में नही उधरे।  ॐ जय बावा लाल गुरु ।। हम सेवक तुम सतगुरु और न शरण कोई।  संशय सभी मिटाओ, मन में है जोई ।  ॐ जय बावा लाल गुरु ।। सब सेवक तुम शरणी, पूर्ण आस करो ।  अन्तर्यामी सतगुरू सब के पाप हरो ।  ॐ जय बावा लाल गुरु ।। मोह अज्ञान मिटा कर ,पावन बुद्धि करो। निर्मल भक्ति देकर , हृदय शुद्ध करो ।  ॐ जय बावा लाल गुरु ।। तुम्हारी आरती क्या कोई गावे, किस में है शक्ति। विषय विकार मिटा कर, दियो चरणन भक्ति। ॐ जय बावा लाल गुरु।। हरि गुरु लाल जी की आरती निश दिन जो गावे।  कहत 'हरि हर' सेवक हरि भक्ति पावे। ॐ जय बावा लाल गुरु ।। श्री बावा लाल जी की अरदास  ॐ श्री जाको ज

ISHWAR KE DHARSHAN

Image
  ईश्वर के दर्शन एक प्रेरणादायक कहानी  एक बार एक बहुत ही प्रजा वत्सल और दयालु राजा था। वह अपनी प्रजा की सेवा संतान की तरह करता था। उसकी ईश्वर में भी प्रगाढ़ आस्था थी। अपने प्रत्येक कार्य का श्रेय ईश्वर को देता और बहुत श्रद्धा भाव से भगवान की पूजा अर्चना करता था। एक बार उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे दर्शन दिये। भगवान को साक्षात देकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। भगवान कहने लगे कि," मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं ,तुम जो चाहे मांग लो।" राजा ने उत्तर दिया कि," प्रभु मेरे पास आप का दिया हुआ सब कुछ है। मैं आपके दर्शन मात्र से धन्य से हो गया हूं। अब मुझे किसी भी चीज की कोई अभिलाषा नहीं है। लेकिन मेरी इच्छा है कि जैसे आपने मुझे दर्शन दिए वैसे आप एक बार मेरी प्रजा , दरबारियों और स्वजनों को भी दर्शन दो।" भगवान कहने लगे कि," राजन्! ऐसा संभव नहीं है क्योंकि बिना भाव के वें मेरे दर्शन नहीं कर पाएंगे।" राजा की जिद्द के आगे भगवान को झुकना पड़ा।  भगवान कहने लगे कि," मैं कल पहाड़ी के ऊपर सब को दर्शन देने को तैयार हूं। तुम अपनी प्रजा को लेकर वहां पहुंच जान

MAKAR SANKRANTI KA MAHATVA KATHA DAAN

Image
 मकर संक्रांति 2023   मकर संक्रांति का हिन्दू धर्म में  बहुत महत्व है। सूर्य देव के एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करने को सक्रांति कहा जाता है । एक साल में 12 संक्रांति आती है लेकिन मकर संक्रांति का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सूर्य भगवान धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन तिल, गुड़ से बनी चीजें दान की जाती है और खाई जाती हैं। कई राज्यों में इसे उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है और लोग पतंग उड़ा कर त्योहार का मजा लेते हैं। मकर संक्रांति के दिन  किए गए जप, तप, दान का विशेष महत्व है । इस दिन किए हुए दान का फल बाकी दिनों से  दिए दान से कई गुना अधिक होता है। इस दिन गुड़, तिल और गरीबों को अनाज, कंबल आदि दिए जाते हैं । मकर सक्रांति के दिन खिचड़ी दान करने और खाना विशेष फलदाई माना जाता है। मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है  मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।  माना जाता है कि इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं जो मकर राशि के स्वामी माने जाते हैं ।इस दिन इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति कहा जाता है। इस दिन

GYAN KI BAAT MORAL STORY

ज्ञान‌ की बात प्रेरणादायक प्रसंग   पुराने समय की बात है ,एक व्यक्ति था व्यापार के लिए समुंदर पार किसी दूसरे देश में गया। जब भी कोई उसे परिचित मिलता उसके हाथों अपने परिवार के लिए धन और चिट्ठी पत्र भेज देता। दूसरे देश में व्यापार करते हुए जब उसने 18-19 साल गुजार दिए तब उसे लगने लगा कि अब अपने देश वापस जाना चाहिए । व्यापारी अपने देश जाने के लिए समुंद्री जहाज से वापस लौट रहा था। सफ़र लंबा था तो जहाज पर समय व्यतीत करने के लिए किसी अजनबी व्यक्ति से बातचीत करनी शुरु की।  व्यापारी ने उससे पूछा कि," आप कहां जा रहे हैं?" उन्होंने बताया कि मैं अपने ज्ञान की बात बेचने जा रहा हूं लेकिन यहां कोई भी मेरे ज्ञान की बात खरीदने को तैयार नहीं है । व्यापारी सोचता है कि उसने जीवन भर बहुत धन कमाया है, मुझे इसकी मदद करनी चाहिए। वह ज्ञानी पुरुष से कहता है कि ,"मैं तुम्हारे ज्ञान की बात सुनुंगा"। ज्ञानी पुरुष कहता है कि मैं एक बात के बदले आपसे 500 सोने की मोहरें लूंगा। व्यापारी को सौदा महंगा लगता है लेकिन फिर भी वह  इस बात के लिए हामी भर देता है।  ज्ञानी पुरुष व्यापारी से कहता है कभी भी कोई

GANGA SAGAR MELA KAHA LAGTA HAI HISTORY

Image
गंगा सागर मेला 2023  गंगा सागर मेला कब और कहां लगता है ? गंगा सागर का मेला प्रतिवर्ष पौष मास के अंतिम दिनों 8 जनवरी से शुरू हो जाता है और मकर सक्रांति के दिन जो कि 14 या 15 जनवरी को आती है तब अपने चरम पर होता है। गंगा सागर तीरथ के बारे में कहा जाता है कि सारे तीरथ बार- बार गंगासागर एक बार।  गंगा सागर का मेला भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर के निकट हुगली नदी के तट लगता है। गंगा नदी इस स्थान पर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इसलिए यह मेला गंगासागर नाम से प्रसिद्ध है।  ऐसी मान्यता है कि मां गंगा ने राजा सगर के साठ हजार पुत्रों जिस दिन मोक्ष दिया था उस दिन मकर सक्रांति थी। उसके पश्चात मां गंगा सागर में मिल गई । वह स्थान अब गंगासागर के नाम से प्रसिद्ध है ।  गंगा सागर मेले का महत्व  हिंदू धर्म में गंगासागर मेले का स्नान करना बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि यह पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है। मकर सक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान करना विशेष फलदाई होता है क्योंकि इस दिन सूर्य भगवान धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं ।गंगा स्नान के दौरान श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य

SATSANG AUR SANT KI MAHIMA

Image
सत्संग की महिमा  एक बार देव ऋषि नारद भगवान विष्णु से पूछने लगे कि," प्रभु सत्संग की महिमा क्या है?" भगवान विष्णु नारद जी से कहने लगे कि," नारद जी आपको इमली के पेड़ पर एक गिरगिट मिलेगा आप उससे सत्संग की महिमा पूछना। नारद जी गिरगिट के पास गए और उससे सत्संग की महिमा पूछने लगे। नारद जी का प्रश्न सुनते ही गिरगिट ने उसी क्षण प्राण त्याग दिए। नारद जी भगवान विष्णु के पास वापस लौट आए। नारद जी कहने लगे कि," प्रभु मेरा प्रश्न सुनते ही गिरगिट ने प्राण क्यों त्याग दिये?" विष्णु जी ने कोई उत्तर नहीं दिया अपितु वह कहने लगे कि, अब तुम एक सेठ के घर जाओ और उसके पिंजरे में एक तोता दिखेगा तुम उससे सत्संग का महत्व पूछना।  नारद जी जैसे ही उस तोते से सत्संग का महत्व पूछा उसके भी प्राण पखेरू हो गए। नारद जी भगवान विष्णु के पास वापस लौटे और कहने लगे कि," प्रभु मैं तो आपसे सत्संग की महिमा पूछने गया था लेकिन मैंने जिस से भी सत्संग की महिमा पूछी वह मर गया।  क्या मरना ही सत्संग की महिमा है ? भगवान विष्णु मुस्कुराते हुए बोले कि नारद जी बहुत जल्दी आपको सत्संग और संत के संग का महत्व नज़र

PUNYA AUR KARTAVYA KI KAHANI

Image
पुण्य और कर्तव्य प्रेरणादायक कहानी    एक बार एक बहुत पुण्य आत्मा व्यक्ति अपने परिवार सहित तीर्थ यात्रा पर निकला ।रास्ते में परिवार के सदस्यों को बहुत प्यास लगी। उन्होंने अपने साथ जो पानी रखा था वह भी खत्म हो गया था। उस व्यक्ति की पत्नी और बच्चे प्यास से व्याकुल हो रहे थे। लेकिन उन्हें कहीं भी पानी दिखाई नहीं दे रहा था। व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि हे ईश्वर ‌! कोई रास्ता दिखाएं जिससे मैं अपने परिवार की प्यास बुझा सकूं। थोड़ा आगे चलने पर उसे एक साधु नजर आए जोकि वहां तपस्या कर रहे था। व्यक्ति ने उनसे पूछा कि महाराज, क्या जहां कहीं पानी मिल सकता है ? साधु महाराज कहने लगे कि," यहां से कुछ दूरी पर एक दरिया बहता है तुम वहां से पानी ले आओ और अपनी और परिवार की प्यास बुझा लो।"  पत्नी और बच्चों का प्यास से बुरा हाल था। इसलिए उनको वहीं छोड़कर वह अकेला पानी लेने चला गया। कुछ दूरी पर उसे दरिया दिख गया। जब वह पानी लेकर लौट रहा था तो उसे रास्ते में कुछ व्यक्ति मिले जिनका प्यास से बुरा हाल था। पुण्यात्मा ने सारा पानी उन व्यक्तियों को पिला दिया। स्वयं दोबारा से पानी लेने नदी पर चला ग

KAUN SE SANKHYA 1 SE 10 TAK VIBHAJIT HOTI HAI

ऐसी कौन सी संख्या है जो 1 से 10 तक सभी अंकों से विभाजित होती है 1 से 10 तक सभी अंकों से विभाजित होने वाली संख्या की खोज संख्याओं के जादूगर कहे जाने वाले गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने की थी। श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) के रूप में मनाया जाता है । श्रीनिवास रामानुजन का गणित के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान है।  श्रीनिवास रामानुजन को "गणितज्ञों का गणितज्ञ" और "संख्याओं का जादूगर" की संज्ञा दी जाती है। उन्हें यह संज्ञा "संख्या सिद्धांत" पर उनके योगदान के कारण दी गई है। श्रीनिवास रामानुजन को अनंत को जानने वाला व्यक्ति (Man who Knew Infinity) के रूप में भी जाना जाता है । श्रीनिवास रामानुजन ने गणित में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी लेकिन गणितीय विश्लेषण, संख्या सिद्धांत, अनंत श्रृंखला आदि में उनका योगदान अकल्पनीय है। श्रीनिवास रामानुजन ने 1 से 10 तक सभी अंकों से विभाजित होने वाली संख्या -2520 ढूंढ निकाली थी। बहुत समय तक यही माना जाता था कि ऐसी कोई संख्या नहीं जिसे 1 से 10 तक सभी से विभाजित किया जा सकता है

SOMVAR VRAT KATHA AARTI IN HINDI

Image
 सोमवार व्रत कथा आरती सहित  भगवान शिव त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु , महेश में से एक है। भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। भगवान शिव अपने भक्तों की पूजा अर्चना से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इसलिए सोमवार व्रत का भी बहुत महत्व है सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। सावन मास भगवान शिव का प्रिय महीना है । सावन मास में भी सोमवार व्रत करने पर विशेष फलदाई माना गया है। सोमवार व्रत के दिन सोमवार व्रत कथा और आरती जरूर पढ़नी चाहिए। Mahadev quotes in Sanskrit सोमवार व्रत कथा  एक बार एक धनवान साहूकार था। उसे किसी प्रकार की धन वैभव की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसे एक ही चिंता थी क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी। वह भगवान शिव का भक्त था। वह साहूकार प्रत्येक सोमवार पुत्र की कामना से भगवान शिव का व्रत और पूजन किया करता था और शिव मंदिर में दीपक जलाया करता था।  एक बार माता पार्वती भगवान शिव से कहने लगी कि," हे प्रभु

DAAN KA MAHATAV MORAL STORY

Image
 दान का महत्व प्रेरणादायक कहानी  हर व्यक्ति को अपने जीवन में दान जरूर करना चाहिए क्योंकि उस पैसे का भी क्या अर्थ जिसका आप केवल संचय करते रहे उसका ना तो स्वयं उपयोग करें और ना ही दूसरों को दान दें। दान पर संस्कृत में बहुत उपयुक्त श्लोक है - यद्ददाति यदश्नाति तदेव धनिनो यज्ञधनम् । अन्ये मृतस्य क्रीडन्ति दारैरपि धनैरपि ॥ धनिक का सच्चा धन तो वह ही होता है जो वह (दान) करता है और जो वह(स्वयं) भोगता है । अन्यथा मरणांतर तो, उसकी स्त्री और धन का उपभोग अन्य लोग ही करते हैं । पढ़ें दान के महत्व एवं प्रेरक प्रसंग  एक बार बहुत ही धनी व्यापारी था। उसने अपने जीवन में बहुत धन वैभव इकट्ठा किया था। लेकिन वह एक भी पैसा दान ना तो दान करता था और ना ही किसी गरीब की जरूरत पड़ने पर मदद करता था। व्यापारी का एक वफादार नौकर था वह अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा दान पुण्य या फिर गरीबों की मदद पर जरूर लगाता था।  व्यापारी उसे हर बार धन का महत्व समझाता और कहता कि तुम्हें यह धन अपने लिए बचा कर रखना चाहिए, ना कि दूसरों को दान करते फिरो। लेकिन नौकर की बात को ना मान कर अपनी आय का एक हिस्सा किसी ना किसी धर्म कर्म के काम में जर

SHRI KRISHNA AUR DURVASA RISHI

Image
दुर्वासा ऋषि ने कैसे ली श्रीकृष्ण की परीक्षा ?  श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। उन्होंने अपने अवतार काल में बहुत सी लीला की। दुर्वासा ऋषि अपने क्रोधी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। किसी से उनकी सेवा में कोई त्रुटी हो जाती तो वह झट से शाप दे देते थे। पढ़ें एक प्रसंग जब बार दुर्वासा ऋषि ने ली श्रीकृष्ण की परीक्षा। एक बार दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ द्वारिका नगरी के पास से गुजर रहे थे। जब वह जंगल में रुक कर विश्राम कर रहे थे तो उन्होंने अपने शिष्य को श्री कृष्ण को बुलाने के लिए भेजा। श्री कृष्ण अपने गुरु दुर्वासा ऋषि का संदेश पाते हैं दौड़े चले आए और उनको दंडवत प्रणाम किया।  श्री कृष्ण, दुर्वासा ऋषि से उनकी नगरी द्वारिकापुरी चलने के लिए अनुरोध करने लगे। दुर्वासा ऋषि ने श्री कृष्ण के सामने एक शर्त रखी कि," मैं उस रथ पर जाऊंगा जिसे घोड़े नहीं खींचे थे अपितु एक तरफ तुम और दूसरी तरफ से तुम्हारी पटरानी रुकमणी खींचेंगी। दुर्वासा ऋषि की बात सुनकर श्री कृष्ण दौड़े-दौड़े रुकमणी के समक्ष गए। श्री कृष्ण ने रूक्मिणी को दुर्वासा ऋषि की शर्त बताई। रुक्मिणी सहर्ष श्री कृष्ण के साथ दुर

CHAUTH MATA MANDIR SAWAI MADHOPUR

Image
चौथ माता मेला 2024  चौथ माता मंदिर में करवा चौथ के दिन मेला लगता है। चौथ माता पार्वती का ही एक रूप है। उनकी पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसदिन श्रद्धालु दूर दूर से माता के दर्शन के लिए आते हैं। चौथ माता मंदिर: चौथ का बरवाड़ा,सवाई माधोपुर राज्यस्थान History of Chauth Mata Mandir  चौथ माता का मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं‌। यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है और इसका प्राकृतिक सौंदर्य मन को मोह लेने वाला है। हर महीने चतुर्थी पर लाखों श्रद्धालु दूर दूर से दर्शन करने आते हैं। माघ चौथ, भाद्रपद चौथ, करवा चौथ और नवरात्रि में जहां पर श्रद्धालुओं के आने की संख्या लाखों में होती है।  गणेश जी के संस्कृत श्लोक इस मंदिर की स्थापना राजा भीम सिंह ने 1451 में करवाई थी। बरवाड़ा में चौथ माता की प्रतिमा स्थापित करने के बाद गांव चौथ का बरवाड़ा नाम से प्रसिद्ध हो गया। राजा भीम सिंह ने 1463 अपने पिता बीजल की स्मृति में एक विशाल छतरी का निर्माण करवा कर शिवलिंग की स्थापना की और एक

JARASANDHA VADH KATHA

Image
 जरासंध के जन्म और वध कथा श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। उन्होंने अपने इस अवतार में बहुत से दुष्टों का स्वयं वध किया या फिर जिनका वध‌ विधि के विधान अनुसार उनके हाथों नहीं लिखा था। उस दुष्ट के वध‌ की योजना बना कर उसका विनाश किया। उनमें से एक जरासंध भी था। जरासंध मथुरा के राजा कंस का ससुर था। जब श्री कृष्ण ने मथुरा में कंस का वध कर दिया तो कंस की दोनों पत्नियां जिनके नाम अस्ति और प्राप्ति थे, वह कंस वध के पश्चात दुखी हुई और अपने पिता जरासंध के पास चली गई।  जब जरासंध को कंस वध का समाचार मिला तो वह बहुत क्रोधित हुआ उसने श्री कृष्ण से बदला लेने के लिए अपने मित्र राजाओं को मथुरा पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण भेजा। कंस वध कथा जरासंध के मित्र राजा  जरासंध के मित्र राज्य राजा दंतवक , चेदिराज, राजा भीष्मक का पुत्र रूक्मी, शाल्वराज, राजा भगवत्त, कलिंग पति पौंड्रक और यवन का राजा कालयवन थे और शिशुपाल उसका सेनापति था। जरासंध ने 17 बार मथुरा पर हमला किया। श्री कृष्ण ने हर बार उसे पराजित किया। बलराम श्री कृष्ण से कहते हैं कि जरासंध बार बार हमला करता है तुम इसका वध क्यों नहीं

BANKE BIHARI FAMOUS BHAJAN LYRICS IN HINDI

Image
बांके बिहारी भजन लिरिक्स इन हिन्दी  MERE BANKE BIHARI LAL TU ITNNA NA KARIO SHRINRAGR BHAJAN LYRICS IN HINDI ( मेरे बांके बिहारी लाल तू इतना ना करिओ श्रृंगार) मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार, नज़र तोहे लग जाएगी, नज़र तोहे लग जाएगी। मेरे बांके बिहारी लाल,तू इतना ना करिओ श्रृंगार। बांके बिहारी हरियाली तीज 2023 तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका। प्यारा लागे तेरा पीला पटका। तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार, नज़र तोहे लग जाएगी। तेरी मुरलिया पे मन मेरा अटका। प्यारा लागे तेरा नीला पटका। तेरे घुँघर वाले बाल,  तू इतना ना करिओ श्रृंगार, नज़र तोहे लग जाएगी। तेरी कमरिया पे मन मोरा अटका। प्यारा लागे तेरा काला पटका। तेरे गल में वैजयंती माल,  तू इतना ना करिओ श्रृंगार, नज़र तोहे लग जाएगी। मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार, नज़र तोहे लग जाएगी, नज़र तोहे लग जाएगी। मेरे बांके बिहारी लाल,तू इतना ना करिओ श्रृंगार। श्री बांके बिहारी आरती लिरिक्स इन हिन्दी BANKE BIHARI MUJHE DENA SAHARA BHAJAN LYRICS IN HINDI( बांके बिहारी मुझे देना सहारा भजन) बांके बिहारी मुझे देना सहा