GYAN KI BAAT MORAL STORY
ज्ञान की बात प्रेरणादायक प्रसंग
पुराने समय की बात है ,एक व्यक्ति था व्यापार के लिए समुंदर पार किसी दूसरे देश में गया। जब भी कोई उसे परिचित मिलता उसके हाथों अपने परिवार के लिए धन और चिट्ठी पत्र भेज देता। दूसरे देश में व्यापार करते हुए जब उसने 18-19 साल गुजार दिए तब उसे लगने लगा कि अब अपने देश वापस जाना चाहिए ।
व्यापारी अपने देश जाने के लिए समुंद्री जहाज से वापस लौट रहा था। सफ़र लंबा था तो जहाज पर समय व्यतीत करने के लिए किसी अजनबी व्यक्ति से बातचीत करनी शुरु की।
व्यापारी ने उससे पूछा कि," आप कहां जा रहे हैं?" उन्होंने बताया कि मैं अपने ज्ञान की बात बेचने जा रहा हूं लेकिन यहां कोई भी मेरे ज्ञान की बात खरीदने को तैयार नहीं है ।
व्यापारी सोचता है कि उसने जीवन भर बहुत धन कमाया है, मुझे इसकी मदद करनी चाहिए। वह ज्ञानी पुरुष से कहता है कि ,"मैं तुम्हारे ज्ञान की बात सुनुंगा"। ज्ञानी पुरुष कहता है कि मैं एक बात के बदले आपसे 500 सोने की मोहरें लूंगा। व्यापारी को सौदा महंगा लगता है लेकिन फिर भी वह इस बात के लिए हामी भर देता है।
ज्ञानी पुरुष व्यापारी से कहता है कभी भी कोई फैसला लेने से पहले दो मिनट रुक कर विचार करना चाहिए, इसलिए क्रोध में कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। ज्ञान की बात सुनने के पश्चात व्यापारी को लगता है कि मैंने 500 मोहरे खर्च कर दिए लेकिन क्या कभी यह ज्ञान की बात मेरे जीवन में काम आएगी।
व्यापारी कई दिनों की यात्रा के पश्चात अपने घर पहुंचता है तो उस समय तक रात्रि हो चुकी थी। उसके पत्नी कमरे में सो रही थी और उसके साथ एक युवक लेटा हुआ था। जिसे देखकर व्यापारी क्रोधित हो गया कि मैं इतने सालों से जान लगाकर वहां पर व्यापार कर रहा था और यह जहां गलत काम कर रही हैं ।
वह जल्दी से बाहर गया और वहां से तलवार लेकर आया। जैसे ही उसने अपनी पत्नी को मारने के लिए तलवार निकाली, उसे ज्ञानी पुरुष की बात याद आई की कोई भी निर्णय लेने से पहले दो मिनट रुक कर विचार कर लेना चाहिए ।
व्यापारी जैसे ही विचार करने के लिए पीछे हटा उसकी तलवार किसी चीज से टकरा गई। जिसकी आवाज़ सुनकर उसकी पत्नी जाग गई और वह अपने पति को देखकर बहुत प्रसन्न हुई और उनका स्वागत किया ।
उसकी पत्नी ने जो नवयुवक उसके साथ लेटा था उसे उठाया और कहने लगी कि देखो बेटा तुम्हारे पिता लौट आए हैं । वैसे ही वह उठा उसके सिर से जो पगड़ी बंधी थी वह खुल गई और उसके बाल खुल गए। वह एक लड़की थी । व्यापारी की पत्नी कहने लगी कि स्वामी यह हमारी पुत्री है। आप यहां पर नहीं थे इसलिए मैंने इसे बेटों की तरह पाला है। व्यापारी के मन का सारा गुस्सा समाप्त हो गया।
व्यापारी मन ही मन उस ज्ञानी पुरुष को धन्यवाद दे रहा था जिसने उसने ज्ञान की बात बताई थी कि कोई भी काम करने से पहले दो मिनट रुक कर सोचना चाहिए कि यह काम हमें करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए।
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