PUNYA AUR KARTAVYA KI KAHANI

पुण्य और कर्तव्य प्रेरणादायक कहानी 

 


एक बार एक बहुत पुण्य आत्मा व्यक्ति अपने परिवार सहित तीर्थ यात्रा पर निकला ।रास्ते में परिवार के सदस्यों को बहुत प्यास लगी। उन्होंने अपने साथ जो पानी रखा था वह भी खत्म हो गया था। उस व्यक्ति की पत्नी और बच्चे प्यास से व्याकुल हो रहे थे। लेकिन उन्हें कहीं भी पानी दिखाई नहीं दे रहा था। व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि हे ईश्वर ‌! कोई रास्ता दिखाएं जिससे मैं अपने परिवार की प्यास बुझा सकूं। थोड़ा आगे चलने पर उसे एक साधु नजर आए जोकि वहां तपस्या कर रहे था।

व्यक्ति ने उनसे पूछा कि महाराज, क्या जहां कहीं पानी मिल सकता है ? साधु महाराज कहने लगे कि," यहां से कुछ दूरी पर एक दरिया बहता है तुम वहां से पानी ले आओ और अपनी और परिवार की प्यास बुझा लो।"

 पत्नी और बच्चों का प्यास से बुरा हाल था। इसलिए उनको वहीं छोड़कर वह अकेला पानी लेने चला गया। कुछ दूरी पर उसे दरिया दिख गया। जब वह पानी लेकर लौट रहा था तो उसे रास्ते में कुछ व्यक्ति मिले जिनका प्यास से बुरा हाल था। पुण्यात्मा ने सारा पानी उन व्यक्तियों को पिला दिया। स्वयं दोबारा से पानी लेने नदी पर चला गया।

 ऐसा दो-तीन बार होता रहा। जब भी वह पानी लेकर आता कोई ना कोई उसे प्यास से व्याकुल व्यक्ति मिल जाते। वह पानी उन्हें पिला देता और दुबारा से पानी लेने दरिया पर लौट जाता ।काफी समय के पश्चात भी व्यक्ति नहीं लौटा तो साधु महाराज उसे देखने चले गए । 

साधु ने व्यक्ति से देरी का कारण पूछा तो," उसने सारी व्यथा सुना दी।" साधु महाराज उससे पूछा कि ,"तुम बार-बार प्यासों को पानी पिला कर फिर से पानी लेने नदिया पर लौट जाते हो, इससे तुम्हें क्या लाभ मिला?"

 वह पुण्य आत्मा व्यक्ति कहने लगा कि मैंने अपना धर्म निभाया है। वें व्यक्ति प्यास से बेहाल थे मैंने अपना धर्म निभाते हुए उन्हें पानी पिलाया।

 साधु महाराज कहने लगे कि ऐसा धर्म निभाने से तुम्हारा क्या फायदा हुआ ? जब तुम अपने परिवार के प्रति कर्तव्य नहीं निभा पाए। बिना पानी के तुम्हारे बच्चों और पत्नी का बुरा हाल हो रहा है। तुम्हारे ऐसे धर्म निभाने का क्या लाभ अगर तुम्हारी पत्नी और बच्चे हैं जीवित ना रहे ।

तुम अपना धर्म वैसे भी निभा सकते थे, जैसे मैंने निभाया था। व्यक्ति को साधु महाराज की बात समझ नहीं आई। साधु कहने लगा कि," जैसे मैंने तुम्हें दरिया से पानी लाकर नहीं दिया था। मैंने तुम्हें दरिया का रास्ता बता दिया था।" 

तुम्हें भी उन प्यासे लोगों को दरिया का रास्ता बताना चाहिए था इससे तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की भी प्यास बुझाती और अन्य लोग भी प्यासे नहीं रहते। 

अब व्यक्ति को बात समझ में आ गई थी कि हम केवल पुण्य कमाने में लगने की बजाय अपने परिवार के लिए कर्तव्यों का पालन करते हुए भी हम दूसरों को पुण्य का रास्ता दिखा सकते हैं। किसी का अच्छा करने का एक तरीका यह भी है कि उसे ईश्वर और सच्चाई की राह बता दें।

Also Read hindi moral stories 



मैं ना होता तो क्या होता प्रेरक प्रसंग

हीरे की परख best moral story

संगति का असर best moral story

कभी हार मत मानो moral story

स्वामी विवेकानंद मोटिवेशनल स्टोरीज

किसी किताब को उसके आवरण से मत आंके

श्री कृष्ण और कर्ण संवाद प्रेरणादायक प्रसंग

Comments

Popular posts from this blog

RAKSHA SUTRA MANTAR YEN BADDHO BALI RAJA

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2023

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA