Posts

Showing posts from January, 2023

KHATU SHYAM FALGUN MELA 2024

Image
 खाटू श्याम फाल्गुन (लक्खी) मेला 2024 12 March - 21 March  खाटू श्याम लक्खी मेला फाल्गुन मेला 2024: खाटू श्याम लक्खी मेला प्रति वर्ष फाल्गुन मास में आयोजित किया जाता है। इसमें देश विदेश से लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं।   राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नगर में भव्य मेला लगता है। भगवान श्री कृष्ण ने श्याम बाबा (बर्बरीक) के बलिदान से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि कलयुग में तुम को मेरे श्याम नाम से  जाना जाएगा। श्याम बाबा का संबंध महाभारत काल से है। श्याम बाबा (बर्बरीक) भीम और हिडिम्बा के पौत्र थे। उनके पिता का नाम घटोत्कच और माता का नाम मोरवी था। वह मूर दैत्य की पुत्री थी।  इसलिए श्याम बाबा को मोर्वीनंदन भी कहा जाता है ।खाटू श्याम बाबा को शिश का दानी, हारे का सहारा, लखदातार के नाम से भी जाना जाता है फाल्गुन मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के दरबार पहुंचते हैं। जिसे देखते हुए प्रशासन की ओर से भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। ताकि भक्तों को खाटू श्याम जी के दर्शन के दौरान कम से कम असुविधा हो। बाबा के भक्त रिंग्स से बाबा

MAN CHANGA TO KATHOTI MEIN GANGA KAHANI

Image
संत रविदास दास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। 2024 में रविदास जयंती 24 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। श्री रविदास जयंती पर पढ़ें। "मन चंगा तो कठौती में गंगा" रविदास जी के जीवन से जुड़ी कहानी  संत रविदास जी अपने कर्म को ही पूजा मानते थे। वह अपनी जीविका चलाने के लिए जुते बनाने का काम करते थे। एक बार रविदास जी जूते बनाने में तल्लीन थे, तभी उनके पास एक पंडित जी जूता ठीक करवाने के लिए आएं। रविदास जी ने पूछा कि,"आप कहां जा रहे हैं?" पंडित जी कहने लगे कि," मैं गंगा स्नान के लिए जा रहा हूंँ।" रविदास जी ने यह सुनकर उनको को एक कौड़ी दी और कहा कि मेरी ओर से मां गंगा को अर्पण कर देना।   पंडित जी को गंगा स्नान के पश्चात रविदास जी द्वारा दी गई कौड़ी का स्मरण हो आया। पंडित जी कहने लगा," हे! मां गंगा रविदास जी द्वारा दी हुई इस मुद्रा को स्वीकार करो। उसी समय गंगा जी से एक हाथ बाहर निकाल कर आया और आवाज़ आई कि मेरे भक्त रविदास को मेरी ओर से यह कंगन भेंट कर देना। पंडित जी इस यह सब देखकर बहुत चकित थे क्योंकि उन्होंने ऐसा नज़रा ना कभी देखा और ना कभी सुना

SHRI RAVIDAS AARTI LYRICS IN HINDI

Image
श्री रविदास आरती लिरिक्स इन हिन्दी   संत रविदास दास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। 2024 में रविवार जयंती 24 फरवरी, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। रविदास जयंती पर पढ़ें श्री रविदास आरती  नामु तेरो आरती भजनु मुरारे। हरि के नाम बिनु झूठे सगल पसारे। नाम तेरा आसानी नाम तेरा उरसा, नाम तेरा केसरो ले छिटकारे। नाम तेरा अंभुला नाम तेरा चंदनोघसि, जपे नाम ले तुझहि कउ चारे। नाम तेरा दीवा नाम तेरो बाती, नाम तेरो तेल ले माहि पसारे। नाम तेरे की जोति जलाई, भइओ उजिआरो भवन समलारे। नाम तेरो तागा नाम फूल माला, भार अठारह सगल जुठारे। तेरो किया तुझही किया अरपउ, नामु तेरा तुही चंवर ढोलारे। दस अठा अठसठे चार खाणी, इहै वरतणि है संगल संसारे। कहै रविदास नाम तेरो आरती, सतिनाम है हरि भोग तुम्हारे। Also Read more mythologyical story in hindi  मन चंगा तो कठौती में गंगा शिवरात्रि व्रत कथा और महत्व धन्ना भगत की कथा

BANKE BIHARI MANDIR BASANT PANCHAMI MAHOTSAV

Image
बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 बांके बिहारी मंदिर बसंत पंचमी के दिन आरंभ होता है 40 दिवसीय फाग महोत्सव  श्री बांके बिहारी मंदिर में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत महोत्सव मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन से लेकर 40 दिन तक यह महोत्सव चलता है। 14 फरवरी को यह महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। बृज धाम में बसंत पंचमी के दिन से ही मंदिरों में होली खेलने की शुरुआत हो जाती है। बांके बिहारी जी को बसंती पोशाक धारण कराई जाती है। बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी जी कमर में फेंटा बांधकर भक्तों के साथ होली खेलेंते है। बांके बिहारी मंदिर में शृंगार आरती के बाद बांके बिहारी जी को गुलाल का टीका लगाकर होली की विधि शुरुआत की जाती है। उसके पश्चात मंदिर प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालुओं पर बसंती गुलाल उड़ेला जाता है। इस उड़ते हुए गुलाल को अपने आराध्य देव के प्रसाद के दौर में समझते हैं ।    पूरे मंदिर प्रांगण को पीले गुब्बारों से सजाया जाता है। लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर में अबीर गुलाल के बादल छा जाते हैं। बसंत पंचमी से मंदिर में होली गायन के साथ ही

KHATU SHYAM BASANT PANCHMI UTSAV

Image
बसंत पंचमी पर्व पर खाटू श्याम बाबा के अंत: वस्त्र का महत्व  2024 में बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी। खाटूश्यामजी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। बसंत पंचमी के दिन श्याम बाबा का पीत श्रृंगार किया जाता है। बसंत पंचमी के दिन श्याम बाबा के अंत: वस्त्र बदले जाते हैं। जो 365 दिन बाबा के साथ लिपटे रहता है। इसे केवल बसंत पंचमी के दिन ही बदला जाता है।  भक्तों के लिए यह वस्त्र किसी वरदान के समान माना जाता है।  ऐसी मान्यता है कि इससे संतान, विवाह, नौकरी, व्यापार में आने वाली रूकावटें दूर होती है और भक्तों के दु:ख दूर होते हैं। भक्त इस वस्त्र को पाने के लिए पूरा वर्ष प्रतिक्षा करते हैं। बसंत पंचमी के दिन पंचामृत स्नान के पश्चात श्याम बाबा को पीत अंग वस्त्र पहना कर उसके ऊपर पोशाक के ऊपर पीले के फूलों से श्रृंगार किया जाता है। श्याम बाबा का अंत: वस्त्र बाबा के भक्तों में बांट दिया जाता है। देश विदेश से बाबा के भक्त इसे पाने के लिए लालायित रहते हैं। बसंत पंचमी के दिन श्रद्धालु श्याम बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं।  भगवान श्री कृष्ण ने श्याम बाबा (बर्बरीक) के बलिदान से प्रसन्न होकर वरदान

MAA SARASWATI MATA CHALISA LYRICS IN HINDI

Image
Basant panchmi 2024 पर पढ़ें मां सरस्वती माता चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी    2024 में बसंत पंचमी 14 फरवरी दिन बुधवार को मनाई जाएगी।              ।।दोहा।। जनक जननि पद रज , निज मस्तक पर धारि। बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि।। पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अंनतु। रामसागर के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु।।              ।।चौपाई।। जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।  जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥ जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥ रूप चतुर्भुज धारी माता।  सकल विश्व अन्दर विख्याता॥ जग में पाप बुद्धि जब होती।  तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥ तबहि मातु ले निज अवतारा।  पाप हीन करती महितारा॥ बाल्मीकि जी थे हत्यारा।  तव प्रसाद जानै संसारा॥ रामायण जो रचे बनाई। आदि कवि की पदवी पाई॥ कालिदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता॥ तुलसी सूर आदि विद्वाना। भये और जो ज्ञानी नाना॥ तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा। केवल कृपा आपकी अम्बा॥ करहु कृपा सोइ मातु भवानी। दुखित दीन निज दासहि जानी॥ पुत्र करहिं अपराध बहूता। तेहि न धरई चित सुंदर माता॥ राखु लाज जननि अब मेरी। विनय करउं भांति बहु घनेरी॥ मैं अनाथ तेरी अवलंबा।

CHAITRA NAVRATRI DATE SHUBH RANG LIST

Image
चैत्र नवरात्रि 2023 Date/shubh rang(lucky colour)list चैत्र नवरात्रि आरंभ 22 March चैत्र नवरात्रि समाप्त 30 March   चैत्र नवरात्रि चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होते हैं। हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि नवरात्रि में मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच में रहती है। इस लिए भक्त माँ दुर्गा को खुश करने के लिए पाठ पूजा करते हैं. माँ की आरती, चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और माँ की भेंटे गाते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा को चुनरी, सुहाग का सामान, नारियल, मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है।  March month navratri date 2023 list  22 मार्च 2023, बुधवार- मां शैलपुत्री की पूजा, घटस्थापना 23 मार्च 2023, गुरुवार- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 24 मार्च 2023, शुक्रवार- मां चंद्रघंटा की पूजा 25 मार्च 2023, शनिवार- मां कूष्मांडा की पूजा 26, मार्च 2023, रविवार- मां स्कंदमाता की पूजा 27 मार्च 2023, सोमवार- मां कात्यायनी की पूजा 28 मार्च 2023, मंगलवार- मां कालरात्रि की पूजा 29 मार्च 2023, बुधवार- मां महागौरी की पूजा 30 मार्

ANGAD KAHEU JAU MAI PARA CHUPAI

Image
 अंगद और हनुमान जी दोनों समुद्र लांघने में सक्षम थे फिर अंगद सीता माता का पता लगाने लंका क्यों नहीं गए? उनके हृदय में क्या संशय था? अंगद कहइ जाऊँ मैं पारा। जियँ संसय कछु फिरती बारा।। जामवंत कह तुम्ह सब लायक।  पठइअ किमी सबही कर नायक।। भावार्थ - अंगद जी कहते हैं कि मैं समुद्र पार जा सकता हूं लेकिन मेरे हृदय में वापस लौटने को लेकर संशय है। जामवंत जी कहते हैं कि," अंगद तुम सब विधि से योग्य हो लेकिन हम आपको भेज नहीं सकते, क्योंकि आप हमारे मुखिया हो।"  यह चौपाई तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में किष्किन्धाकाण्ड में लिखी गई है। यह चौपाई तब आती है तब संपाति सीता माता को ढूंढने के लिए गई वानर सेना को बताते हैं कि सीता माता समुद्र के उस पार रावण की अशोक वाटिका में है। तब विचार होता है कि सीता माता को ढूंढने के लिए कौन जाएगा ? क्योंकि जा तो वहीं सकता था जिसमें समुद्र लांघने की क्षमता होगी। तब अंगद जी जोकि बल में अपने पिता बालि के ही समान थे और समुद्र को लांघने में सक्षम थे। अंगद जी कहने लगे कि," मैं समुद्र लांघकर उस और तो चला जाऊंगा लेकिन मुझे अपने वापस लौटने पर संशय है।"

ISHWAR KI AKHAND BHAKTI KISE MILTI HAI

Image
ईश्वर की अखंड भक्ति किसे प्राप्त होती है ?  एक बार अयोध्या में एक संत जी थे। वह श्री राम के परम भक्त थे। उनके राम कथा सुनना बहुत पसंद था। जब भी मौका मिलता वह किसी ना किसी से राम कथा श्रवण कर लेते थे। एक बार एक पंडित जी रास्ते से गुजर रहे थे। संत जी पंडित जी से कहने लगे कि," मुझे रामायण कथा सुना दो।" पंडित जी ने संत जी को राम कथा सुनाने के लिए हामी भर दी। संत जी कहने लगे कि, पंडित जी मेरे पास आपको देने के लिए दक्षिणा नहीं है। पंडित जी कहने लगे कि, कोई बात नहीं आप मुझे अपना आशीर्वाद दे देना। पंडित जी ने लगातार कई दिनों तक संत जी को रामायण कथा सुनाई। संत जी कभी कथा सुनकर भाव विभोर हो जाते, कभी कोई प्रसंग सुनकर रोने, नृत्य करने लगते। उन्हें पंडित जी से रामायण की कथा सुनकर बहुत आंनद आया। जिस दिन पंडित जी ने रामायण कथा संपूर्ण की उस दिन संत जी कहने लगे कि," मुझे आपसे कथा श्रवण का बहुत आंनद आया। आपको जो चाहिए बता दो। राम जी की कृपा से आपको प्राप्त हो जाएगा।" पंडित जी कहने लगे कि," मैं बहुत गरीब हूं इसलिए मैं चाहता हूं कि मेरी गरीबी दूर हो जाएं।" संत ने राम जी से

SARASWATI MATA KI AARTI LYRICS IN HINDI

Image
बसंत पंचमी 2024  बुधवार 14 फरवरी 2024  बसंत पंचमी पर पढ़ें सरस्वती माता की आरती  सरस्वती माता की आरती लिरिक्स इन हिन्दी  ॐ जय सरस्वती माता,   मैया जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी,  त्रिभुवन विख्याता॥ मैया जय सरस्वती माता। चंद्रवदनि पद्मासिनी,  ध्रुति मंगलकारी। सोहें शुभ हंस सवारी,  अतुल तेजधारी ॥  मैया जय सरस्वती माता।। बाएं कर में वीणा,  दाएं कर में माला। शीश मुकुट मणि सोहें,  गल मोतियन माला ॥  मैया जय सरस्वती माता। देवी शरण जो आएं,  उनका उद्धार किया। पैठी मंथरा दासी,  रावण संहार किया ॥ मैया जय सरस्वती माता। विद्या ज्ञान प्रदायिनी,  ज्ञान प्रकाश भरो। मोह, अज्ञान, तिमिर का,  जग से नाश करो ॥  मैया जय सरस्वती माता।। धूप, दीप, फल, मेवा  मां स्वीकार करो। ज्ञानचक्षु दे माता,  जग निस्तार करो ॥ मैया जय सरस्वती माता।। मां सरस्वती की आरती,  जो कोई जन गावें। हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥  मैया जय सरस्वती माता। ॐ जय सरस्वती माता,   मैया जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी,  त्रिभुवन विख्याता॥ मैया जय सरस्वती माता। बसंत पंचमी की कथा और महत्व सरस्वती माता ने कैसे कालीदास के अहंकार को

BASANT PANCHMI KATHA MAVATAV

Image
BASANT PANCHAMI 2024  14 FEBRUARY  बसंत पंचमी की कथा और महत्व   इस हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है.  बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। माना जाता है कि विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी माँ सरस्वती का इस दिन जन्म हुआ था। बसंत पंचमी की कथा   जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद पेड़-पौधे, नदी, तालाब ,जीव-जंतुओं की रचना की तो सृष्टि एक दम मूक थी। जिस से धरती पर निरसता बढ़ गई। इस निरसता को दूर करने के लिए ब्रह्म जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का तो एक शक्ति उत्पन्न हुई। उस शक्ति  का  स्वरुप  चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था। जिसके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा में थे एक हाथ में पुस्तक और एक हाथ में माला थी। जब शक्ति अपनी वीणा के तारों से मधुर संगीत की धुन निकाली, तो जीव -जंतुओं को आवाज मिली। जल की धारा में कौतूहल हुआ और हवा में सरसराहट होने लगी। सृष्टि को स्वर प्रदान करने वाली शक्ति के उस रूप को  देवताओं ने देवी सरस्वती का नाम दिया। बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है   माना जाता है कि जिस दिन ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती  को प्रकट किया उस दिन बसंत पं

HANUMAN JI KE BHAKT KI KATHA

Image
हनुमान जी के भक्त की कथा  जयपुर में एक बार एक संत जी थे, जोकि हनुमान जी के भक्त थे।  हनुमान मंदिर में मेला लगा तो एक दिन वहां दर्शन के लिए गए। मेले में वह एक हलवाई की दुकान पर गए और उसे चवन्नी देकर पाव सेर पेड़े मांगे। हलवाई कहने लगा कि," बाबा जी पांव सेर पेड़े चवन्नी के नहीं बल्कि बारह आन्ने के मिलेंगे।" साधु बाबा कहने लगे कि, मेरे पास तो चवन्नी ही है हो सके तो मुझे इतने पैसे में ही पाव सेर पेड़े दे दो। हलवाई मजाक उड़ाने लगा कि लगता है आप मुफ्त में ही पेड़े खाना चाहते हो। अगर जेब में पैसे नहीं हैं तो ऐसे शौक क्यों पालते हो। साधु बाबा ने उसे बहुत बार मनाया लेकिन हलवाई नहीं माना और उसने गुस्से में चवन्नी दुकान के पास बने एक गड्ढे में फैंक दी। साधु बाबा विनम्रता से बोले कि अगर पेड़े नहीं देने तो कोई बात नहीं लेकिन मेरे पैसे तो मुझे लौटा दो। हलवाई तुनक कर बोला कि," उस गड्ढे में पड़े हैं आपके पैसे, जाओ जाकर उसमें से निकल लो।"  उसकी अकड़ देखकर सुनकर साधु बाबा भी अड़ गए। वह  कहने लगे कि," मेरा भी प्रण है कि जब तक तुम स्वयं मेरे पैसे गड्ढे से नहीं निकलकर दोगे मैं इस स

MAA SARASWATI AUR KALIDAS KI STORY

Image
बसंत पंचमी हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। बसंत पंचमी पर पढ़ें मां सरस्वती और कालीदास की प्रेरणादायक कहानी  कालिदास जी मां सरस्वती के परम भक्त थे ।एक बार कालीदास जी को अपने ज्ञान का बहुत अहंकार हो गया उन्हें लगता था कि उन्हें शास्त्रों का पूरा ज्ञान हो गया है। उनको कोई भी नहीं हरा सकता। उन्होंने सारा ज्ञान अर्जित कर लिया है। वह सबसे बड़े विद्वान हैं। उनके इस अहंकार को दूर करने के लिए मां सरस्वती ने एक लीला रची।  एक बार कालिदास जी शास्त्रार्थ के लिए पड़ोसी राज्य के लिए जा रहे थे। गर्मी के दिन थे रास्ते में प्यास के कारण उनका हाल बुरा हो गया था। कुछ समय के पश्चात उनको एक कुआँ दिखाई दिया जिस एक लड़की पानी भर रही थी।  कालिदास जी ने उससे पानी मांगा। लड़की ने उनसे उनका परिचय पूछा।कालिदास जी ने इसे अपना अपमान समझा कि मैं इतना प्रसिद्ध हूं मुझे कौन नहीं जानता? वह कहने लगे कि,"  तुम अभी बहुत छोटी हो घर में किसी बड़े को भेजो वह मुझे जरूर जानते होंगे। लेकिन लड़की हट करके उनका नाम पूछती रही।  कालिदास जी कहने लगे कि,"मै बहुत बड़ा विद्वान हूं। मेरी प्रसिद्धि दूर

JIVAN KI DOOR ISHWAR KO SAUMP DE

Image
अपने जीवन की डोर ईश्वर को सौंप दें।  एक बार एक गुरु से उनके शिष्यों ने सवाल किया कि जीवन कैसे जीना चाहिए। ‌‌उस समय गुरु मौन रहे और थोड़ी देर बाद आश्रम के बाहर से जा रहे एक राहगीर को अपनी कुटिया में ले गए। गुरु जी उससे पूछने लगे कि," अगर तुम को सोने के सिक्के से भरी थैली मिले तो तुम उसका क्या करोगे?  उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि मैं उसे राजकोष में जमा करवा दूंगा। उसका उत्तर सुनकर गुरु ने उसे वापस भेज दिया और शिष्यों से कहने लगे कि," यह व्यक्ति मूर्ख है।" कुछ समय के पश्चात एक और राहगीर वहां से गुजरा तो गुरु जी उसे भी अपनी कुटिया में ले गए और उससे वहीं सवाल दोहराया कि," अगर तुम को सोने के सिक्के से भरी थैली मिले तो तुम क्या करोगे?" क्या राजकोष में लौटा दोगे ? या उसके मालिक को ढूंढ कर उसे लौटा दोगे। उस व्यक्ति ने उत्तर दिया मैं क्या मुर्ख हूं जो हाथ आई लक्ष्मी को जाने दूंगा। मैं उसे अपने पास रख लूंगा। गुरु जी ने उसे भी वापस भेज दिया और कहने लगे कि," यह व्यक्ति धूर्त है।" शिष्य हैरान थे कि गुरु जी को वह व्यक्ति मूर्ख लगा जिसने कहा कि मैं सिक्के राजकोष में ज