ANGAD KAHEU JAU MAI PARA CHUPAI

 अंगद और हनुमान जी दोनों समुद्र लांघने में सक्षम थे फिर अंगद सीता माता का पता लगाने लंका क्यों नहीं गए? उनके हृदय में क्या संशय था?



अंगद कहइ जाऊँ मैं पारा।

जियँ संसय कछु फिरती बारा।।

जामवंत कह तुम्ह सब लायक। 

पठइअ किमी सबही कर नायक।।

भावार्थ - अंगद जी कहते हैं कि मैं समुद्र पार जा सकता हूं लेकिन मेरे हृदय में वापस लौटने को लेकर संशय है। जामवंत जी कहते हैं कि," अंगद तुम सब विधि से योग्य हो लेकिन हम आपको भेज नहीं सकते, क्योंकि आप हमारे मुखिया हो।"

 यह चौपाई तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में किष्किन्धाकाण्ड में लिखी गई है। यह चौपाई तब आती है तब संपाति सीता माता को ढूंढने के लिए गई वानर सेना को बताते हैं कि सीता माता समुद्र के उस पार रावण की अशोक वाटिका में है। तब विचार होता है कि सीता माता को ढूंढने के लिए कौन जाएगा ? क्योंकि जा तो वहीं सकता था जिसमें समुद्र लांघने की क्षमता होगी।

तब अंगद जी जोकि बल में अपने पिता बालि के ही समान थे और समुद्र को लांघने में सक्षम थे। अंगद जी कहने लगे कि," मैं समुद्र लांघकर उस और तो चला जाऊंगा लेकिन मुझे अपने वापस लौटने पर संशय है।" इसके पीछे एक प्रसंग है -

रावण का पुत्र अक्षय कुमार और बालि का पुत्र अंगद दोनों एक ही गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। दोनों में अक्सर किसी ना किसी बात पर नोंकझोंक होती रहती। एक बार अक्षय कुमार, अंगद जी को उनकी पूंछ के कारण चिढ़ा रहा था। अंगद जी ने उसे पूंँछ से बांध कर पानी में डुबकी लगवाई। जब गुरु को इस बात का पता चला तो उन्होंने इन दोनों का झगड़ा समाप्त करने के लिए अंगद को श्राप दे दिया कि तुमने अगर अक्षय कुमार को मारा तो तुम्हारी इसके हाथों मृत्यु हो जाएगी।

 इसलिए अंगद जी को संशय था कि अगर लंका में उनका सामना अक्षय कुमार से हो गया तो उनको मिले श्राप के कारण उनकी मृत्यु हो गई तो वह माता सीता के बारे में नहीं बता पाएंगे। 

रावण और अक्षय कुमार भी इस श्राप के बारे में जानते थे।  इसलिए जब रावण को सैनिकों ने आकर बताया कि कोई वानर वाटिका उजाड़ रहा है। रावण को लगा कि यह जरूर बालि का पुत्र अंगद होगा क्योंकि उसमें ही बालि के समान बल और समुद्र लांघने की क्षमता हो सकती है। इसलिए उसने अक्षय कुमार को भेजा था कि अगर यह अंगद हुआ तो श्राप के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।

उधर जब अक्षय कुमार हनुमान जी के सामने गया तो हनुमान जी सब जानते थे। इसलिए हनुमान जी ने अक्षय कुमार का वध‌ कर दिया ताकि अंगद‌ जी लंका में प्रवेश कर सके। रावण को जब पता चला कि अक्षय कुमार मारा गया है तो उसने मेघनाद को यह कह कर भेजा कि इस वानर का वध नहीं करना अपितु उसे बंदी बना कर ले आना।  क्योंकि रावण देखना चाहता था कि ऐसा कौन सा वानर है जो इतना शक्तिशाली है।

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