KHATU SHYAM BASANT PANCHMI UTSAV
बसंत पंचमी पर्व पर खाटू श्याम बाबा के अंत: वस्त्र का महत्व
भक्तों के लिए यह वस्त्र किसी वरदान के समान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे संतान, विवाह, नौकरी, व्यापार में आने वाली रूकावटें दूर होती है और भक्तों के दु:ख दूर होते हैं। भक्त इस वस्त्र को पाने के लिए पूरा वर्ष प्रतिक्षा करते हैं।
बसंत पंचमी के दिन पंचामृत स्नान के पश्चात श्याम बाबा को पीत अंग वस्त्र पहना कर उसके ऊपर पोशाक के ऊपर पीले के फूलों से श्रृंगार किया जाता है।
श्याम बाबा का अंत: वस्त्र बाबा के भक्तों में बांट दिया जाता है। देश विदेश से बाबा के भक्त इसे पाने के लिए लालायित रहते हैं। बसंत पंचमी के दिन श्रद्धालु श्याम बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने श्याम बाबा (बर्बरीक) के बलिदान से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि कलयुग में तुम को मेरे श्याम नाम से जाना जाएगा। ऐसा माना जाता है कि बर्बरीक का शीश खाटू नगर (वर्तमान राज्यस्थान राज्य के सीकर)में दफनाया गया था इसलिए उन्हें खाटू श्याम नाम से जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर उनका शीश दबाया गया था, वहां पर एक गाय आकर प्रतिदिन अपने स्तनों से दूध की धारा स्वत: बहाती थी ।जब वहां पर खुदाई की गई तो एक शिश प्राप्त हुआ ,जिसे एक ब्राह्मण को सौंप दिया गया।
कुछ दिन बाद खाटू के राजा को स्वप्न में मंदिर निर्माण कर वहां शीश स्थापित करने का आदेश मिला। राजा ने मंदिर निर्माण करवाया और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को शीश मंदिर में सुशोभित किया गया था इसलिए देवउठनी एकादशी को खाटू श्याम के जन्मदिन के रूप मनाया जाता है।
खाटू श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है । उनके भक्तों अपने सुखों का श्रेय बाबा को देते हैं। उनके भक्त उन्हें लखदातार भी कहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि श्याम बाबा से जो भी मांगा जाए वह उन्हें लाखों बार देते हैं।
Basant panchmi Saraswati quotes in Sanskrit
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