SHRI KRISHNA AUR CHIDIYA STORY OF MAHABHARAT
महाभारत युद्ध से पहले श्री कृष्ण और चिड़िया के श्री कृष्ण पर विश्वास की कहानी
Mythologyical story in hindi
महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले श्री कृष्ण और अर्जुन युद्ध क्षेत्र का निरीक्षण कर रहे थे। युद्ध भूमि को समतल बनाने के लिए पेड़ों को हटाया जा रहा था। तभी एक चिड़िया श्री कृष्ण के पास आई। चिड़िया श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी कि," प्रभु मेरे बच्चों को बचा लो।" श्री कृष्ण ने चिड़िया से पूछा कि, तुम्हारे बच्चों को क्या समस्या है?"
चिड़िया श्री कृष्ण से कहने लगी कि," युद्ध भूमि को समतल बनाने के लिए पेड़ों को हटाया जा रहा है। इसलिए वह सामने जो हाथी है उसने एक पेड़ को गिरा दिया। उस पेड़ के ऊपर घोसले में मेरे छोटे-छोटे बच्चे थे। प्रभु अभी वह उड़ने में सक्षम नहीं है। इसलिए पेड़ गिरने के कारण वें भी घोंसले सहित भूमि पर गिर गए हैं।
प्रभु कुछ ऐसा करें जिससे मेरे बच्चों की रक्षा हो सके। श्री कृष्ण कहने लगे कि," मैं जो नियति में लिखा है, उसमें हस्तक्षेप कैसे सकता हूं। चिड़िया बोली कि," प्रभु मैं नहीं जानती कि आप क्या कर सकते हैं?" लेकिन मुझे आप पर अटूट विश्वास है और आप मुझे अपने ईश्वर पर विश्वास करने से नहीं रोक सकते।
उसकी विनती सुनकर श्री कृष्ण ने चिड़िया से कहा कि," तुम अपने बच्चों के लिए उस घोसले में अच्छे से भोजन सुरक्षित कर दो।" इसके पश्चात श्री कृष्ण और अर्जुन युद्ध भूमि का निरीक्षण कर वापस चले गए।
दो दिन पश्चात महाभारत शुरू होने से पहले जब श्री कृष्ण और अर्जुन युद्ध भूमि में पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने अर्जुन का धनुष बाण मांगा। यह सुनकर अर्जुन एकदम अचंभित हो गए।क्योंकि भगवान ने युद्ध में शस्त्र ना चलाने का प्रण लिया था।
लेकिन भगवान की आज्ञा थी तो अर्जुन ने धनुष बाण प्रभु को सौंप दिया। श्री कृष्ण ने बाण चलाया तो वह उसी हाथी के गले में बंधी घंटी कटकर भूमि पर गिर गई जिसने चिड़िया का घोंसला गिराया था। अर्जुन कहने लगे कि, प्रभु आपने उस हाथी पर निशाना क्यों साधा?" श्री कृष्ण ने उत्तर दिया कि,"इस हाथी ने उस चिड़िया का घोंसला नीचे गिराया था जो उस दिन मुझ से सहायता मांगने आई थी।"
अर्जुन कहने लगे कि," लगता है आप का निशाना चूक गया। हाथी तो एकदम से सुरक्षित खड़ा है। आप कहे तो मैं कोशिश करूं।" श्री कृष्ण मुस्कुराए और कहने लगे कि नहीं मेरा काम हो गया ।
उसके बाद युद्ध शुरू हुआ और 18 दिनों तक चलता रहा। पांडव महाभारत का जीत चुके थे। एक बार फिर से श्री कृष्ण और अर्जुन युद्ध भूमि के स्थल पर पहुंचे। युद्ध भूमि से शवों को संस्कार के लिए भेजा जा रहा था और बिखरे हुए सामान को हटाया जा रहा था।
श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि," अर्जुन वह जो सामने घंटी पड़ी है उसे उठाओ। अर्जुन सोचने लगे कि हम इतना बड़ा युद्ध जीत चुके हैं और श्री कृष्ण मुझे एक घंटी उठाने जैसा तुच्छ काम कह रहे हैं। लेकिन श्री कृष्ण की आदेश मान कर अर्जुन ने जैसे ही घंटा उठाया तो एकदम से विस्मित रह गया। उसमें वही चिड़िया थी जो युद्ध शुरू होने से पहले श्री कृष्ण से अपने बच्चों के लिए सहायता मांगने आई थी। चिड़िया घंटा उठाते ही अपने बच्चों सहित श्री कृष्ण की प्रदक्षिणा करने लगी। चिड़िया ने जाकर श्री कृष्ण से शुक्रिया कहा। अर्जुन यह सब देखकर एकदम से विस्मित थे।
अगर हम पूर्ण रूप से ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो वह हमारी रक्षा जरूर करते हैं । तभी तो कहते है जिंदगी की डोर सौंप हाथ दीनानाथ के।
जय श्री कृष्णा।
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