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Showing posts from March, 2023

HANUMAN JAYANTI EK SAAL MEIN DO BAAR KYUN AATI HAI

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हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों आती है  हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त थे। उनको अंजनेय, पवनसुत, हनुमान, संकटमोचन, बजरंग बली केसरी नंदन आदि कई नामों से जाना जाता है। हनुमान जी अपने भक्तों के संकट को हरते है इसलिए उनको संकटमोचन भी कहा जाता है। हनुमान जयंती हनुमान भक्त के लिए हर्षोल्लास का दिन होता है।  हनुमान जयंती एक साल में दो बार क्यों मनाई जाती है  हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। एक बार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को और दूसरी कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। एक तिथि को विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में और दूसरी को हनुमान जन्म के रूप में मनाया जाता है।  चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती (Chaitra Purnima Hanuman jayanti)  हनुमान जी बचपन में बहुत नटखट थे और शक्तिशाली थे। एक बार उनको भूख लगी तो हनुमान जी की दृष्टि सूर्य पर पड़ी तो हनुमान जी को लगा कि यह फल है हनुमान जी उड़कर सूर्य देव के पास पहुंच गए और सूर्यदेव को मुख में रख लिया। जिससे सृष्टि में चारों ओर अंधकार हो गया सभी देवता व्याकुल होकर इंद्रदेव के पास पहुंचे। इंद्रदेव ने हनुमान जी की ठोड़ी पर प्रहार कर दिया। जिसस

DHYANU BHAGAT KI KATHA

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 ध्यानु भक्त मां ज्वाला और अकबर की कथा (pauranik katha) ध्यानु भक्त मां ज्वाला के भक्त थे। उनके चरणों में उन्होंने अपना शिश अर्पित कर दिया था। मां ने भी अपने भक्त की भक्ति का मान रखा था और उसकी मनोकामना पूर्ण की थी और बादशाह अकबर के सामने उनके मान को बनाएं रखा था। ध्यानु भक्त नादौन गांव में रहते थे। अकबर बादशाह के शासन काल के दौरान एक बार वह एक हज़ार के लगभग यात्रियों के साथ माता के दर्शन के लिए जा रहे थे।  इतने ज्यादा यात्रियों को एक साथ जाते हुए देखकर मुगल सैनिकों ने उन्हें रोक लिया और और उनसे पूछा कि तुम इतने ज्यादा लोगों के साथ कहां जा रहे थे? ध्यानु भक्त कहने लगा कि," मैं और यह सभी श्रद्धालु ज्वाला माता के दर्शन करने जा रहे थे।" सैनिकों ने पूछा कि," ज्वाला माता कौन है और उनके दर्शन करने का क्या फल है?" ध्यानु भक्त कहने लगा कि," ज्वाला माता इस सृष्टि की पालन हार है और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती है। हम सभी उनके दर्शन के लिए जा रहे हैं।  उनकी बहुत महिमा है। उनके दरबार में बिना तेल और बाती के जोत जलती रहती है।  ध्यानु भक्त की बातें सुनकर सैनिकों ने उ

EKADASHI AARTI LYRICS IN HINDI

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एकादशी आरती लिरिक्स इन हिन्दी   हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत करने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है। एकादशी व्रत करने से शत्रुओं का विनाश होता है और विघ्न दूर होते हैं। एकादशी का भगवान विष्णु के शरीर से एक तेजस्वी कन्या के रूप में प्रादुर्भाव हुआ था। इस लिए एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। एकादशी के दिन एकादशी की आरती करना विशेष फलदाई माना जाता है। एकादशी माता की आरती ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता। विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥ ॐ जय एकादशी माता॥ तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी। गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥ ॐ जय एकादशी माता॥ मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी। शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥ ॐ जय एकादशी माता॥ पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है। शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥ ॐ जय एकादशी माता॥ नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै। शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥ ॐ जय एकादशी माता॥ विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी। पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि

KAMDA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE VIDHI

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 KAMDA EKADASHI VRAT 2023 SATURDAY, 1 APRIL 2023 एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्रों के बाद आने वाली चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा अर्थात् सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का पूजन किया जाता है और गरीबों को दान देने का विशेष महत्व है। SIGNIFICANCE OF KAMDA EKADASHI (कामदा एकादशी का महत्व) कामदा एकादशी व्रत सभी प्रकार की बुराई और शाप से मुक्ति दिलाता है. मान्यता है कि सुहागिन स्त्रियों के यह व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. एकादशी का व्रत करने से सभी कार्यों में निसंदेह सफलता मिलती है. इस व्रत का महात्म्य सुनने और पढ़ने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है. VRAT KATHA KAMDA EKADASHI कामदा एकादशी व्रत कथा  रत्नपुर नगर में पुण्डरीक नामक राजा राज्य करता था। रत्नपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर और गन्धर्व वास करते थे। उन में से एक ललित और ललिता नाम थे पति- पत्नी थे। जिनका आपस में बहुत स्नेह था। एक दिन ललित महाराज पुण्डरीक की सभा में गाना गा रहे थे तो उनको अपनी पत्नी का ध्यान आ गया और ध्यान भंग होने के कारण उनका गायन बिगड

MATA CHINTPURNI AARTI LYRICS IN HINDI

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माता चिंतपूर्णी आरती लिरिक्स इन हिन्दी  माता चिंतपूर्णी अपने भक्तों की चिंताएं दूर करती है।  चिंतपूर्णी धाम 51 शक्तिपीठों में से एक है। चिंतपूर्णी धाम में माता के चरण गिरे थे। मान्यता है कि चिंतपूर्णी धाम दर्शन करने वाले भक्तों की मां सारी चिंताएं दूर कर देती है। चिंतपूर्णी माता की आरती करना विशेष फलदाई माना गया है।  माता चिंतपूर्णी चैत्र नवरात्रि मेला 2024 मां चिंतपूर्णी आरती  चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,  जग को तारो भोली माँ जन को तारो भोली माँ,  काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा।।  ।।भोली माँ।। सिन्हा पर भाई असवार,  भोली माँ, चिंतपूर्णी चिंता दूर।।  ।।भोली माँ।। एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,  तीजे त्रिशूल सम्भालो।।  ।।भोली माँ।। चौथे हाथ चक्कर गदा,  पाँचवे-छठे मुण्ड़ो की माला।। ।। भोली माँ।। सातवे से रुण्ड मुण्ड बिदारे,  आठवे से असुर संहारो।।  ।।भोली माँ।। चम्पे का बाग़ लगा अति सुन्दर,  बैठी दीवान लगाये।।  ।।भोली माँ।। हरी ब्रम्हा तेरे भवन विराजे,  लाल चंदोया बैठी तान।। ।।भोली माँ।। औखी घाटी विकटा पैंडा,  तले बहे दरिया।।  ।।भोली माँ ।। सुमन चरण ध्यानु जस गावे,  भक्तां दी पज निभाओ ।। ।। भोली माँ

MATA CHINTPURNI MANDIR HIMACHAL PRADESH

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 चिंतपूर्णी माता मंदिर हिमाचल प्रदेश  हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है क्योंकि जहां पर देवी देवताओं का वास है। चिंतपूर्णी धाम हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना की तहसील अम्ब में स्थित है। माता चिंतपूर्णी धाम में भक्तों को आलौकिक आंनद की अनुभूति होती है। दूर दूर से मां के भक्त मां के दर्शनों के लिए मां के दरबार में पहुंच कर नतमस्तक होते हैं। माता के बहुत से भक्त हर अष्टमी को मां के दर्शनों के लिए आते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रों और सावन नवरात्रि में चिंतपूर्णी धाम में मेले का आयोजन किया जाता है। माता को चिंतपूर्णी क्यों कहा जाता है  चिंतपूर्णी धाम 51 शक्ति पीठों में से एक है। माता चिंतपूर्णी धाम के बारे में यह मान्यता है की किसी भक्त की जो चिंता होती है वह माता के दरबार आने पर दूर हो जाती है। इसलिए ही इस को चिंतपूर्णी धाम कहा जाता है।  चिंतपूर्णी को छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है मां  चिंतपूर्णी धाम को छिन्नमस्तिका कहा जाता है। छिन्नमस्तिका का अर्थ है बिना सिर वाली देवी। स्कन्द पुराण के अनुसार एक बार असुरो को युद्ध मे हराने के पश्चात भी माता की दो योगनियो जया और विजया की रक्त की पिपासा ना श

NAVRATRI BHOG PARSAD FOR 9 DAYS

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नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के 9 अवतारों को लगने वाले भोग प्रसाद लिस्ट  नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा अपने भक्तों के बीच पृथ्वी पर रहती है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और उनको सभी दिन विशेष भोग अर्पित करने का विशेष फल प्राप्त होता है। नवरात्रि भोग लिस्ट( Bhogs to offer Maa Durga and her 9 avatars during the nine days) नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पहली नवरात्रि- मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां को देसी घी और देसी घी से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। शरीर निरोगी रहता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। दूसरी नवरात्रि-  मां ब्रह्मचारिणी पूजा की जाती है। इसदिन शक्कर , सफेद मिठाई और मिश्री का भोग लगाने से मनोकामना पूर्ति होती है और चिरायु प्राप्त होती है। तीसरा नवरात्रि - नवरात्रि की तृतीया तिथि को मां चंद्रघंटा पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन दूध से बनी मिठाई और खीर अर्पित कर

MAA DURGA KE NAVRATRI KE 9 ROOP 9 MANTAR

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 नवरात्रि पर पढ़ें मां दुर्गा के 9 रूपों के पूजा मंत्र   नवरात्रि हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है। माना जाता है कि नवरात्रि में मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच में रहती है. इस लिए भक्त माँ दुर्गा को खुश करने के लिए पाठ पूजा करते हैं. माँ की आरती, चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और माँ की भेंटे गाते हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पढ़ें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के मंत्र  शुक्ल  प्रतिपदा के दिन नवरात्रि आरंभ हो रही है। इस दिन मां शैलपुत्री  पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री मंत्र  वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्‌। वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥  नवरात्रि की द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी मंत्र दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।  नवरात्रि की तृतीया तिथि को मां चंद्रघंटा पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा मंत्र  पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।। नवरात्रि

NARSI KA BHAT SHRI KRISHNA KE BHAKT KI KATHA

 NANI BAI KA MAYARA(नानी बाई का मायरा) श्री कृष्ण के भक्त की कहानी  Devotional story of shri krishna : नरसी मेहता जी भगवान श्री कृष्ण के भक्त थे। उनका जन्म जूनागढ़ गुजरात में हुआ था। उनके जीवन की एक प्रसिद्ध कथा है जब श्री कृष्ण स्वयं उनकी पुत्री नानी बाई की पुत्री सुलोचना के विवाह का भात भरने गए थे। मायरा या भात किसी लड़की के विवाह पर उनके नाना या फिर मामा द्वारा दिया जाता है। नानी बाई नरसी जी की पुत्री थी। जब उनकी पुत्री सुलोचना का विवाह तय हुआ तो नानी बाई के ससुराल वालों के मन में शंका थी कि इसके पिता गरीब है इसलिए वह शादी का भात नहीं कहां भर पाएंगे? उन्हें भय था कि नरसी जी साधुओं संतों के संग विवाह में आ जाएंगे जिससे उनकी बदनामी होगी। ससुराल वालों ने नरसी जी को विवाह में आने से रोकने के लिए भात के सामान की एक लंबी सूची बना कर भेज दी। उन्हें लगा कि इस सूची को देखकर नरसी जी स्वयं ही शादी में नहीं आएंगे। नरसी जी को शादी के निमंत्रण के साथ भात भरने की सूची भी भेज दी। नरसी जी श्री कृष्ण पर विश्वास रखकर संतों संग नानी बाई की पुत्री को आशीर्वाद देने पहुंच गए। नानी बाई के ससुराल वाले उनका

SHRI RADHA RANI KI AARTI LYRICS IN HINDI

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श्री राधा रानी की आरती लिरिक्स इन हिन्दी  आरती श्री वृषभानु सुता की ।  मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥  त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनी । विमल विवेकविराग विकासिनी ॥  पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनी ।  सुंदरतम छवि सुन्दरता की ॥  मुनि मन मोहन मोहन मोहनि ।  मधुर मनोहर मूरति सोहनि ॥  अविरल प्रेम अमिय रस दोहनि ।  प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥  संतत सेव्य सत मुनि जन की।  आकर अमित दिव्य गुन गनकी ॥  आकर्षिणी कृष्ण तन मन की ।  अति अमूल्य सम्पत्ति समता की ॥  कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणी ।  चिन्मयवृंदा विपिन विहारिणी ॥  जगजननि जग दुखनिवारिणी ।  आदि अनादि शक्ति विभुता की ॥ आरती श्री वृषभानु सुता की ।  मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥  ALSO READ  श्री राधा कृष्ण और रूक्मिणी की कथा श्री कृष्ण राधा रानी और नारद जी की कहानी श्री कृष्ण राधा रानी और ललिता सखी की कथा राधा कृष्ण आरती लिरिक्स इन हिन्दी श्री राधा रानी 16 नाम महिमा कृष्ण चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी श्री कृष्ण के नाम की महिमा का प्रसंग

MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR STUDENTS

 विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक कहानी  कहानियां किसी भी परिस्थिति के बारे में बताने के लिए एक आइडियल तरीका है। कहानियों के माध्यम से हम जीवन में आने वाली परेशानियों को अच्छे से समझ सकते हैं। किसी के साथ कैसा आचरण करना चाहिए उसकी प्रेरणा ले सकते हैं। Motivational story हमारे जीवन को एक दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभती है। अच्छे आचरण का जीवन में महत्व(Importantace of Good behaviour in life )  एक बार एक राज्य के राजा अपने राज्य के राजा पुरोहित का बहुत सम्मान करते थे। जब भी वह आते राजा स्वयं अपने सिंहासन से उठकर उनका सम्मान करते थे। एक दिन राजा कहने लगे कि मेरे मन में एक प्रश्न है गुरु देव मुझे बताएं कि किसी व्यक्ति का आचरण बड़ा होता है या फिर उसका ज्ञान बड़ा होता है। राज पुरोहित कहने लगे कि राजन् मुझे कुछ दिनों का समय दे फिर मैं आपको इस प्रश्न का उत्तर दूंगा। राजा बोला गुरुदेव ठीक है। राज पुरोहित अगले दिन राजा के कोषागार में गए और वहां से कुछ सोने की मोहरें उठा कर अपनी पोटली में रख ली। कोषाध्यक्ष चुपचाप सब कुछ देख रहा था लेकिन वह राजा के पुरोहित है ऐसा सोच मौन रहे। राज पुरोहित कु

RADHA RANI KE BHAKT KI KATHA राधा रानी के भक्त की कथा

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 राधा रानी के भक्त की कथा  Radha rani ke bhakt ki katha: एक बार बरसाना और उसे आसपास के इलाकों में भीष्म अकाल पड़ा। वहां रहने वाले लोगों और साधू संतों को भोजन की बहुत दिक्कत आने लगी। अकाल के कारण चारों ओर हाहाकार मच गया। अकाल के कारण लोगों को उन गांवों से पलायन करना पड़ा। बरसाना में एक संत जी रहते थे। उन्हें भिक्षा में जो मिलता उसे पहले राधा रानी को भोग लगाकर फिर स्वयं भोजन ग्रहण करते थे। अकाल के कारण भिक्षा मिलना भी बंद हो गई और उनकी कोठरी में पड़ा सामना भी समाप्त हो गया। परिस्थितियों से विवश होकर उन्होंने बरसाना गांव छोड़ने का मन बना लिया। नैत्रों से अश्रु बहाते हुए और राधा रानी से क्षमा की याजना कर कहने लगे कि,"श्री जी मुझे क्षमा करना मुझे परिस्थितियों के वश यह गांव छोड़ कर जाना पड़ रहा है।" उनकी करूण पुकार सुनकर एक सुंदर सी ब्रज कन्या वहां आई और पूछने लगी कि बाबा कहां जा रहे हो? संत ने उदास स्वर में कहा कि," यहां पर अकाल के कारण भिक्षा नहीं प्राप्त हो रही इसलिए इस पेट  की भूख शांत करने के लिए यहां से पलायन करने का मन बना लिया है।" ब्रज कन्या कहने लगी कि," बा

SHRI RADHE KRISHNA VIVAH KATHA

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Radhe Krishna:श्री राधा कृष्ण के विवाह की कथा भांडीरवन   श्री राधा कृष्ण एक दूसरे के पूरक हैं। श्री कृष्ण के साथ श्री राधा रानी की पूजा अर्चना की जाती है। राधा रानी श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है। पढ़ें श्री राधा कृष्ण की विवाह कथा। Pic source- Facebook  श्री राधा कृष्ण के विवाह की कथा का वर्णन गर्ग संहिता के सोलहवें अध्याय में आता है। गर्ग संहिता के अनुसार जब श्री कृष्ण की आयु दो वर्ष सात माह थी तब नंद बाबा उन्हें खेलाते हुए वृंदावन के भांडीरवन में आ गए। नंद बाबा श्री कृष्ण के देखकर मन ही मन विचार करने लगे हैं कि मैं कितना भाग्यशाली हूं जो यह अद्भुत बालक मेरी गोद में खेल रहा है। उसी समय वहां तेज हवाएं चलने लगी और बिजली चमकने लगी और एक अलौकिक तेज आकाश मार्ग से पृथ्वी पर आ रहा था। नंद जी जान गए कि स्वयं राधा रानी श्री कृष्ण से मिलने वन में पहुंची है। नंद जी ने उनको प्रणाम किया और उन्होंने श्री कृष्ण को राधा रानी की गोद में सौंप दिया। नंद बाबा श्री कृष्ण को राधा रानी को सौंप कर स्वयं वहां से चले गए। उसी समय तुफान थम गया और अंधेरा दूर हो गया और अलौकिक तेज फैल गया। श्री कृष्ण ने बालक से

HOLIKA DAHAN 2023 DATE KATHA SIGNIFICANCE SHUBH MUHURAT

होलिका दहन 2023 TUESDAY, 8 MARCH 2023 2023 में रंग वाली होली 8 मार्च को मनाई जाएगी और होली से एक दिन पहले 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। होली भारत के मुख्य त्योहार में से एक है। होली को रंगों का त्यौहार कहा जाता है। होली प्रेम और सद्भावना का त्यौहार है जो लोगों के जीवन में नई उमंग, उत्साह से भर देता है। होली से एक दिन पहले फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। माना जाता है कि इससे बुरी और नकारात्मक शक्ति का नाश होता है और सकारात्मकता का आरंभ होता है। अगले दिन चैत्र प्रतिपदा को रंगों की होली खेली जाती है । होली रंगों का त्योहार है इस लिए चैत्र प्रतिपदा के दिन होली में लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगा कर होली की शुभकामनाएं देते हैं और बुरा न मानो होली है ऐसा कह कर होली का भरपूर आनंद लेते हैं। HOLIKA DAHAN KATHA   होली दहन की कथा (Holika Dahan kyun kiya jata hai) एक बार हिरण्यकश्यप नाम के एक असुर ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी ने उसे कुछ और वरदान मांगने के लिए कहा। उसने वरदान मांगा कि "मैं ना से अस्त्र से मरु ना शस्त्र से",&qu

MEHANDIPUR BALAJI MANDIR HOLI MAHOTSAV 2023

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 मेंहदीपुर बालाजी होली महोत्सव 2023 2 MARCH - 8 MARCH 2023 मेंहदीपुर बालाजी श्री राम जी के परम भक्त हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है। राजस्थान के दौसा जिले के मेहंदी बालापुर में छ: दिवसीय होली महोत्सव शुरू हो गया है।  होली महोत्सव में शामिल होने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु बाला जी के दर्शनों के लिए आ रहे हैं। मेंहदी बाला जी में हर साल फाल्गुन मास में होली महोत्सव आयोजित किया जाता है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से व्यापक इंतजाम किये जाते हैं ।  इस वर्ष समाधि स्थल पर निर्माण कार्य के चलते  मेहंदीपुर बाला मंदिर में होली महोत्सव में होलिका दहन का सार्वजनिक आयोजन नहीं किया जाएगा।  मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में देश विदेश से होली महोत्सव पर बाला जी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बहुत से श्रद्धालु पैदल यात्रा कर बालाजी के हाजरी लगवाते हैं। राजस्थान के साथ साथ हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, एमपी और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर में बालाजी के दर्शन के लिए आते हैं।   हिंदू धर्म में होली के दिन देवी- देवताओं का पूजन के साथ-साथ इष्ट देव की पूजा की जाती हैं। इसलिए अपन

MATASYA JAYANTI / LORD VISHNU MATASYA AVTAR STORY IN HINDI

 MATASYA JAYANTI 2023 Friday, 24 March  चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती मनाई जाती है। 2023 में मत्स्य जयंती 24 मार्च दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।  भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार क्यों लिया  भगवान विष्णु हिन्दू धर्म के प्रमुख हिन्दू देवताओं (Hindu God) में से एक है। भगवान विष्णु ने सृष्टि को बचाने के लिए समय समय पर बहुत से अवतार लिये। मत्स्यावतार भगवान विष्णु के दश अवतारों में प्रथम अवतार है। भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार हयग्रीव दैत्य के वध लिए लिया था। जिसने वेदों को चुरा समुद्र में छिपा दिया था। भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लेकर वेदों को पुनः प्राप्त किया और ब्रह्मा जी को सौंप दिया। MATASYA JAYANTI MANTAR  वंदे नवघनश्यामं पीत कौशेयवासयम्। सानंदम् सुंदरम शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः: परम्।। ऊँ मत्सयरूपाय नम:।  Mythological Story of lord Vishnu matasy avtar in hindi(भगवान विष्णु मत्स्य अवतार कथा )   द्रविड़ देश में सत्यव्रत नाम का एक राजा धर्मात्मा और विष्णु भक्त राजा था। जब कृतमाला नदी में स्नान कर हाथ में जल लेकर तर्पण कर रहे थे तो उनकी अंजलि में एक मछली आ गई ।राजा ने