KAMDA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE VIDHI
KAMDA EKADASHI VRAT 2023
SATURDAY, 1 APRIL 2023
एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्रों के बाद आने वाली चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा अर्थात् सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का पूजन किया जाता है और गरीबों को दान देने का विशेष महत्व है।
SIGNIFICANCE OF KAMDA EKADASHI (कामदा एकादशी का महत्व)
VRAT KATHA KAMDA EKADASHI कामदा एकादशी व्रत कथा
रत्नपुर नगर में पुण्डरीक नामक राजा राज्य करता था। रत्नपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर और गन्धर्व वास करते थे।
उन में से एक ललित और ललिता नाम थे पति- पत्नी थे। जिनका आपस में बहुत स्नेह था। एक दिन ललित महाराज पुण्डरीक की सभा में गाना गा रहे थे तो उनको अपनी पत्नी का ध्यान आ गया और ध्यान भंग होने के कारण उनका गायन बिगड़ गया ।जिस कारण राजा ने क्रोधित होकर कहा कि मेरे सामने गाते हुए तू अपनी पत्नी का स्मरण कर रहा है अतः तू कच्चा मांस को खाने वाला राक्षस बन जा।
पुण्डरीक के शाप के कारण ललित विकराल राक्षस हो गया। उसका शरीर आठ योजन लंबा हो . राक्षस बन कर उसने जंगलों में अनेकों कष्ट भोगे ।उसकी पत्नी ललिता भी दु:खी होकर उसके पीछे - पीछे भटकती रहती और अपने पति के उद्धार का उपाय सोचती रहती।
एक दिन ललिता विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंच गई। श्रृंगी ऋषि ने पूछा कि देवी तुम कौन हो?
ललिता ने ऋषि को बताया कि मेरा पति राजा पुंडरीक के श्राप के कारण विशालकाय राक्षस बन गया है। आप मुझे उनके उद्धार का उपाय बताएं।
श्रृंगी ऋषि कहने लगे कि अब चैत्र शुक्ल कामदा एकादशी आने वाली है। उसका व्रत करने से तेरे पति को श्राप से मुक्ति प्राप्त होगी और वह राक्षस योनि से मुक्त होगा।
चैत्र शुक्ल कामदा एकादशी को ललिता व्रत कर उसका फल पति को दे दिया और ईश्वर से प्रार्थना की कि हे! प्रभु मेरे व्रत का फल मेरे पति को प्राप्त हो । उन्हें राक्षस योनि से मुक्ति प्राप्त हो जाए। व्रत के प्रभाव से उसका पति अपने पुराने रूप में आ गया और राक्षस योनि से मुक्त हो गया। दोनों दिव्य विमान में स्वर्ग लोक चलें गए।
विशिष्ट ऋषि कहने लगे कि इस व्रत के प्रभाव से पापों से मुक्ति मिलती है और राक्षस योनि से भी मुक्ति होती है। यह व्रत बहुत पुण्य दायी है।
व्रत विधि
एकादशी वाले दिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात नारायण भगवान का पूजन करना चाहिए.
भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य और तुलसी पत्र अर्पित करने चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता चढ़ाने का विशेष महत्व है.
इस दिन किए गए दान पुण्य का भी विशेष महत्व है.
भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करना चाहिए.
व्रती को फलाहार ही करना चाहिए.
रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है.
द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए.
Comments
Post a Comment