MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR STUDENTS
विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक कहानी
अच्छे आचरण का जीवन में महत्व(Importantace of Good behaviour in life )
एक बार एक राज्य के राजा अपने राज्य के राजा पुरोहित का बहुत सम्मान करते थे। जब भी वह आते राजा स्वयं अपने सिंहासन से उठकर उनका सम्मान करते थे। एक दिन राजा कहने लगे कि मेरे मन में एक प्रश्न है गुरु देव मुझे बताएं कि किसी व्यक्ति का आचरण बड़ा होता है या फिर उसका ज्ञान बड़ा होता है।
राज पुरोहित कहने लगे कि राजन् मुझे कुछ दिनों का समय दे फिर मैं आपको इस प्रश्न का उत्तर दूंगा। राजा बोला गुरुदेव ठीक है।
राज पुरोहित अगले दिन राजा के कोषागार में गए और वहां से कुछ सोने की मोहरें उठा कर अपनी पोटली में रख ली। कोषाध्यक्ष चुपचाप सब कुछ देख रहा था लेकिन वह राजा के पुरोहित है ऐसा सोच मौन रहे। राज पुरोहित कुछ दिन तक लगातार ऐसा करते रहे। कोषागार में जाते सोने की मोहरें पोटली में रखते और वापिस आ जाते।
कोषाध्यक्ष ने सारा वृत्तांत राजा को सुना दिया। राज पुरोहित एक दिन राजा महल में पहुंचे आज ना तो राजा स्वयं उन्हें लेने गया और ना ही सम्मान में सिंहासन से उठा। राज पुरोहित समझ गए कि मेरी स्वर्ण मुद्राएं चोरी करने की बात राजा तक पहुंच गई है।
राजा ने भौंहें तान कर पूछा क्या आपने कोषागार से स्वर्ण मुद्राएं चोरी की है ? राज पुरोहित ने कहा कि हां राजन् यह बात सत्य है। राजा ने क्रोधित होकर पूछा आपने ऐसा क्यों किया?
राज पुरोहित कहने लगे कि मैंने जानबूझ कर स्वर्ण मुद्राएं चुराई थी क्योंकि मैं आप को प्रत्यक्ष दिखाना चाहता था कि किसी व्यक्ति का आचरण बड़ा होता है या फिर ज्ञान।
राजन् जब आपको पता चला कि मैंने स्वर्ण मुद्राएं चोरी की है आप मेरे सम्मान में खड़े नहीं हुए उल्टा क्रोध से आपकी भौंहें मुझ पर तन गई। मेरा ज्ञान तो स्वर्ण मुद्राएं उठाने से पहले भी मेरे पास था और उठाने के बाद भी मेरे साथ ही था। लेकिन जैसे ही मेरे चोर होने की बात आपको ज्ञात हुई मेरे प्रति आपका जो सम्मान था वह लगभग समाप्त हो गया।
राजन् अब शायद आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। मेरा जो आप सम्मान करते हैं वो मेरे आचरण के कारण करते थे जैसे ही मेरा आचरण बदला आपने मेरा सम्मान नहीं किया।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें सदैव अपना आचरण अच्छा रखना चाहिए। क्योंकि अगर हमारा आचरण अच्छा नहीं है तो हमारी शिक्षा,पद और धन भी हमें सम्मान नहीं दिला सकते।
सदैव सकारात्मक सोच वाले लोगों को साथ रखें(Keep Positive Mind People Around)
एक बात की छोटे से राज्य की राजा को अपने गुप्तचरों से सूचना मिली कि उसके पड़ोस का शक्तिशाली राज्य उस पर आक्रमण करने वाला है । राजा ने अपने सेनापति को मंत्रणा करने के लिए बुलाया।
सेनापति कहने लगा कि," महाराज पड़ोसी राज्य बहुत ही शक्तिशाली है, उसकी सेना हम से चार गुना अधिक है। इसलिए मुझे लगता है कि उनसे युद्ध करने का कोई फायदा नहीं है। हमारी बहुत जानमाल की क्षति होगी। इसलिए हमें आत्मसमर्पण कर देना चाहिए।"
अपने मंत्री का यह निर्णय सुनकर राजा बहुत परेशान हो गया कि अगर सेनापति ऐसी बात कर रहा है तो सेना का मनोबल तो टूट ही जाएगा। सेना को युद्ध से पहले ही मन में बना लेगी कि हमें युद्ध से हार ही मिलेगी।
राजा अपने राज्य के एक संत जी को बहुत मानता था। उसी दिन संत जी के मिलने गया और संत जी को सारी बात बताई। संत जी कहने लगी कि," सबसे पहले तो वह अपने सेनापति को पकड़ कर जेल में डाल दें ।क्योंकि अगर वह स्वयं तो मन में हार ही चुका है दूसरा अगर वह सेनापति रहा तो तुम्हारी सेना का मनोबल भी गिरा देगा।
राजन तुम सेना को इकट्ठा करो और युद्ध के लिए तैयार हो जाओ और पड़ोसी राजा के आक्रमण से पहले तुम उस पर हमला कर दो।
राजा कहने लगा कि," संत जी अगर सेनापति को जेल में डाल दूंगा तो सेना का नेतृत्व कौन करेगा? संत जी कहने लगे कि," मैं करूंगा।"
राजा सोचने लगे कि संत जी सेना का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं लेकिन राजा के पास इसके सिवाय कोई विकल्प ही नहीं था क्योंकि उसका सेनापति पहले ही मन से हार चुका था।
राजा ने संत जी की बात मान ली और सेनापति को जेल में डाल दिया। सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने की घोषणा करवा दी। सारी सेना के युद्ध के लिए चलने को तैयार थी। सेना जब मंदिर के पास पहुंची तो संत जी कहने लगे आप सब लोग जहां ठहरो मैं भगवान से पूछ कर आता हूं कि हमें युद्ध में जीत मिलेगी जा फिर हार।
कुछ सैनिक कहने लगे कि संत जी भगवान क्या आपके साथ बातें करते हैं? जो आपको बताएंगे कि हम जीतेंगे या हारेंगे। संत जी कहने लगे कि," इतने वर्षों के साधना कर रहा हूं इसलिए मुझे भगवान मेरे प्रश्नों का उत्तर बता देते हैं।"
संत जी अकेले मंदिर में गए प्रार्थना की और वापस आ गए। सेना ने संत जी से पूछा कि," महाराज भगवान ने क्या कहा? हम जीतेंगे या हारगे।"
संत जी कहने लगे कि भगवान ने कहा कि ,"अगर आज शाम को मंदिर के चबूतरे से प्रकाश निकलता हुआ दिखाई दिया तो आपकी जीत निश्चित है अब तो हार और जीत का पता शाम को ही चलेगा।"
सभी सैनिक उत्सुकता से शाम होने का इंतजार करने लगे और जैसे-जैसे शाम ढलने शुरू हुई मंदिर से प्रकाश निकलना शुरू हो गया। सेना में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके मन में उत्साह भर गया कि मंदिर से प्रकाश निकल रहा है अब तो हमारी जीत निश्चित है।
अगले दिन युद्ध शुरू हुआ और एक सैनिक सैनिक ने शत्रु के सेना के छक्के छुड़ा दिए। सेना के एक अंदर एक अलग सा उत्साह था कि अब तो जीत निश्चित है ।इसलिए पूरे जोश के साथ सेना लड़ी और जीत गई शत्रु राज्य के राजा ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली।
सेना जब अपने राज्य की ओर वापस लौट रही थी तो सभी सैनिक मंदिर के समीप रुक गए। सैनिक संत जी से कहने लगे कि," संत जी जाएं और भगवान का शुक्रिया कर आएं ।उनके आशीर्वाद से हम जीत गए हैं क्योंकि मंदिर में प्रकाश करके उन्होंने हमें इशारा दे दिया था कि हमारी जीत निश्चित है"।
संत जी मुस्कुराते हुए कहने लगे कि," यह बात सत्य है कि भगवान के आशीर्वाद से ही हम जीत प्राप्त कर सके हैं।"
लेकिन उस दिन संध्या को मंदिर में प्रकाश इसलिए हुआ था क्योंकि जब मैं मंदिर में गया तो वहां पर मैंने पहले से ही एक बड़ा सा दीपक रखा हुआ था जो उसे मैंने जला दिया।
जिस समय मैंने दीपक जलाया था उसमें सूर्य के प्रकाश में उस दिये की रोशनी नहीं दिख रही थी लेकिन जैसे-जैसे शाम ढली और अंधेरा हुआ दिए का प्रकाश मंदिर की चारों ओर फैल गया और रोशनी दिखने लगी ।
उस रोशनी को देखकर सारी सेना ने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया कि अब हमारी जीत पक्की है। आप लोगों के इस निश्चय के कारण ही आप लोगों को जीत प्राप्त हुई है। राजा मन ही मन विचार करने लगा कि अच्छा हुआ जो उसने नकारात्मक सोच वाले सेनापति को जेल में बंद कर दिय और सकारात्मकता सोच वाले अपने संत जी को अपने सेना का नेतृत्व करने दिया। उनकी सकारात्मक सोच के कारण ही सेना युद्ध में विजयी हो सकी।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सदैव पाज़िटव विचारों वाले लोगों का साथ रखना चाहिए जो हमें समय समय पर प्रेरणा देते रहे। क्योंकि अगर हम विपत्ति के आने पर भी मन से सफल होने का दृढ़ निश्चय कर लेते हैं तो हमारी सफलता निश्चित हो जाती है।
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