SHRI RADHE KRISHNA VIVAH KATHA
Radhe Krishna:श्री राधा कृष्ण के विवाह की कथा भांडीरवन
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उसी समय वहां तेज हवाएं चलने लगी और बिजली चमकने लगी और एक अलौकिक तेज आकाश मार्ग से पृथ्वी पर आ रहा था। नंद जी जान गए कि स्वयं राधा रानी श्री कृष्ण से मिलने वन में पहुंची है। नंद जी ने उनको प्रणाम किया और उन्होंने श्री कृष्ण को राधा रानी की गोद में सौंप दिया।
नंद बाबा श्री कृष्ण को राधा रानी को सौंप कर स्वयं वहां से चले गए। उसी समय तुफान थम गया और अंधेरा दूर हो गया और अलौकिक तेज फैल गया। श्री कृष्ण ने बालक से युवा रूप धारण कर लिया है।
उसी समय वहां ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने श्री राधा कृष्ण को प्रणाम कर दोनों की स्तुति की। ब्रह्मा जी कहने लगे कि," मेरी इच्छा है कि मैं स्वयं आप दोनों का विवाह संपन्न करवाऊं।" ब्रह्मा जी ने स्वयं उनकी विवाह की वेदी तैयार की।
भांडीरवन में वेदीनुमा पेड़ के नीचे ब्रह्मा जी ने श्री राधा कृष्ण के विवाह के मंत्र पढ़ाएं। विवाह करवाने के पश्चात ब्रह्मा जी अपने धाम लौट गए और श्री राधा कृष्ण ने वन में लीला रचाई।
जब श्री राधा कृष्ण को नंद बाबा का स्मरण आया तो श्री कृष्ण पुनः बालक बन गए और राधा श्री कृष्ण को गोद में उठा कर नंद गांव में जाकर नंद बाबा को सौंप आई।
महर्षि गर्ग के अनुसार जो लोग श्री राधा कृष्ण के विवाह कथा को सुनते हैं उनके जीवन प्रेम से प्ररिपूरण हो जाता है और उनका प्रेम श्री राधा कृष्ण की तरह अमर हो जाता है।
भांडीरवन में मंदिर स्थित मंदिर में जो श्री कृष्ण का विग्रह है उनके हाथों में बांसुरी नहीं है अपितु वह अपने दाहिने हाथ से श्री राधा रानी की मांग भरने के भाव को दर्शाता है। इस मंदिर के सामने एक वट वृक्ष के नीचे बने मंदिर में श्री राधा कृष्ण के साथ ब्रह्मा जी विराजमान हैं जहां वह श्री राधा कृष्ण एक दूसरे को माला धारण करवा रहे हैं।
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