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Showing posts from April, 2023

SITA NAVAMI DATE SIGNIFICANCE STORY STUTI MANTAR

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जानकी नवमी 2023 SATURDAY, 29 MAY 2023 सीता नवमी या जानकी जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन को सीता माता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जानकी जयंती या सीता नवमी का पर्व राम नवमी के एक मास बाद आता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती है। यह पर्व जानकी नवमी के रूप में भी प्रसिद्ध है।  सीता माता का जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ था। सीता जी राजा जनक की पुत्री थी और श्री राम की धर्म पत्नी थी। जानकी नवमी कथा Janaki Navami katha  सीता माता के पिता का नाम जनक और माता का नाम सुनयना था। एक बार राजा जनक के शासनकाल में एक बार भीष्म अकाल पड़ा राजा जनक को विद्वानों ने उपाय बताया कि अगर राजा स्वयं खेत में जाकर हाल जोते तो इस अकाल से जल्दी छुटकारा पाया जा सकता है। राजा जनक ने अपने राज्य की समृद्धि के लिए स्वयं हल चलाने का निश्चय किया। जब राजा जनक हल चला रहे थे उनकी हल किसी धातु की वस्तु से टकरा गई। उस जगह धरती से एक पेटी मिली। जिसमें से एक सुंदर कन्या मिली। हल की सीत से टकराने के कारण वह पेटी मिली थी। इसलिए कन्या का नाम सीता र

CHINMASTIKA JAYANTI CHINTPURNI JAYANTI 2024

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चिंतपूर्णी जयंती 2024  Tuesday 22 May, 2024  चिंतपूर्णी जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। चिंतपूर्णी धाम में वर्ष 2024 में चिंतपूर्णी जयंती (छिन्नमस्तिका जयंती) 22 मई को मनाई जाएगी। माता चिंतपूर्णी को छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है। यह मान्यता है की किसी भक्त की जो चिंता होती है वह माता के दरबार आने पर दूर हो जाती है। इस लिए ही इस को चिंतपूर्णी धाम कहा जाता है। छिन्नमस्ता जयंती पर मां चिंतपूर्णी के धाम को फूलों से सजाया जाता। मां चिंतपूर्णी की पिण्डी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और हवन यज्ञ किया जाता है। माता को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। मां चिंतपूर्णी धाम में श्रद्धालु हलवा, सूखे मेवे, फल‌ और मिठाई चढ़ाते हैं। मां की पिण्डी की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी और हवन यज्ञ होगा। पौराणिक कथा  ऐसी मान्यता है कि छिन्नमस्तिका धाम के चारों और भगवान शिव का स्थान होता है। मंदिर की चारों दिशाओं में भगवान शिव के मंदिर हैं। पूर्व में महाकालेश्वर, पश्चिम में नारायण महादेव, उत्तर में मुचकुंद महादेव और दक्षिण में शिव बाड़ी। मां छिन्नमस्तिका दस महाविद्याओं में से छठी महाविद्

MOTHERS DAY SPECIAL HEART TOUCHING STORIES

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मां पर हृदय स्पर्शी कहानियां  मदर्स डे हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। मदर्स डे स्पेशल 2024 में SUNDAY, 12 MAY को मनाया जाएगा। मदर्स डे मनाने का मुख्य उद्देश्य मां के हमारे जीवन में दिए गए अकल्पनीय योगदान के लिए सम्मानित करना और उन्हें स्पेशल फील करवाना होता है।  मां का रिश्ता दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्ता है। मां वह है जो बच्चा नहीं कह कहता उसे भी समझ लेती है। रूडियाड किपलिंग की बहुत खूबसूरत quote है कि  भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां बनाई। मां को हमारे वेदों, पुराणों में भी बहुत महान कहा गया है  ‌मातृ देवो भवः। भाव- माता को सभी देवताओं से भी बढ़कर माना गया है। EMOTIONAL STORY  ON MOTHER   यह बात सच है कि एक बच्चे के लिए उसकी मां ही उसकी भगवान होती है। मां की संकल्प शक्ति में किसी भी मुश्किल काम को आसान करने की क्षमता रखती है। थॉमस अल्वा एडिसन की कहानी इस बात कि सत्यता को प्रमाणित करती है। मशहूर वैज्ञानिक थाॅमस अल्वा एडिसन  के जीवन से संबंधित एक सच्ची कहानी एक बार थॉमस अल्वा एडिसन को उनकी शिक्षिका ने एक कागज दिया और कहा कि इसे अपनी मां को दे देना। उन्ह

JAISE KHAYE ANN VAISE BANTA MAAN HINDI MOTIVATIONAL STORY

 जैसे खाएं अन्न वैसा बनता मन एक प्रेरणादायक कहानी  आप ने बड़े बुजुर्गो से बहुत बार यह कहते सुना होगा कि,"जैसे खाएं अन्न वैसा बनता मन" अर्थात हम जैसा भोजन करते हैं वैसी ही हमारी वृत्ति हो जाती है। भोजन का हमारे मन पर अच्छा बुरा प्रभाव पड़ता है। इस बात को सिद्ध करने के लिए पढ़ें एक प्रेरणादायक कहानी- एक बार एक सेठ ने एक साधु को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया। साधु महाराज ने उनके भोजन निमंत्रण स्वीकार कर लिया। सेठ ने साधु महाराज का उचित आदर सत्कार किया और उन्हें भोजन में खीर परोसी। साधू महाराज खीर खाकर तृप्त हो गए तो सेठ कहने लगा कि," महाराज बाहर बहुत गर्मी है। आप कुछ समय विश्राम करने के पश्चात शाम को चले जाना है। साधू ने सेठ की बात मान ली। सेठ ने उनके विश्राम के लिए उचित व्यवस्था करवा दी। जिस कमरे में साधु महाराज विश्राम कर रहे थे‌। वहां पर सेठ के नोटों की गड्डियां पड़ी हुई थी। उनको एक कपड़े से ढका हुआ था। साधु महाराज जैसे ही विश्राम करके उठे तो उनके दृष्टि  कपड़े से ढके हुए पैसे के ऊपर पड़ी। उनके मन में विचार आया कि इतने सारे रूपयों में से अगर कुछ रकम मैं ले लूं ,तो

MOTHER'S DAY SANSKRIT SHLOKS MAA PER KUSH LINES

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 मदर्स डे की शुभकामनाएं संस्कृत श्लोक/ मां पर कुछ लाइनें  मदर्स डे" माँ को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। मदर्स डे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था। 2024 में मदर्स डे‌ 12 मई दिन रविवार को मनाया जाएगा। मदर्स डे पर अपनी माँ को गिफ्ट और ग्रिटिन कार्ड देते हैं, कुछ लोग केक काटते हैं। यह सब कुछ करने का एक ही मंतव्य होता है माँ को स्पैशल महसूस करवाना। मदर्स डे पर मां को उनके हमारे जीवन में दिए अकल्पनीय योगदान के लिए धन्यवाद कहने के लिए बधाई संदेश भेजे जाते। भारतीय वेदों, पुराणों में मां की अद्भुत महिमा कही गई है। मां को स्पेशल फील करवाने के लिए मदर्स डे बधाई संदेश संस्कृत‌ में भेजे। 1. नास्ति मातृसमा छाया  नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राणं  नास्ति मातृसमा प्रपा॥ भावार्थ- माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं। Maa Durga quotes in Sanskrit 2. सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता ।  मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत् ॥ भाव- माता का स्थान सभी मनुष्यों के लिए सम्पूर्ण तीर्थों के सामान है, तथा पिता समस्त देवता

SHRI KRISHNA KE DARSHAN KARNE PAHUCHE BHAGWAN SHIV

श्री कृष्ण के दर्शन करने गोकुल पहुंचे भगवान शिव की कथा  LORD KRISHNA STORY /DEVOTIONAL STORY/ Hindu mythology story  श्री कृष्ण ने जब द्वापर युग में जन्म लिया। भगवान शिव समाधि में थे। लेकिन जब उन्हें पता चला कि प्रभु का पृथ्वी लोक पर अवतरण हुआ है तो भोले नाथ उनके दर्शन के लिए ब्रज धाम पधारे।  भगवान शिव ने भिक्षा के लिए आवाज़ लगाई। मां यशोदा ने दासी को भिक्षा देकर बाहर भेजा। भगवान शिव दासी से कहने लगे कि," मुझे मेरे गुरु ने बताया है कि गोकुल में यशोदा नंद के जहां साक्षात् ईश्वर प्रकट हुए हैं। इसलिए मुझे एक बार लाला के दर्शन करवा दो।‌‌" दासी ने भीतर जाकर मां यशोदा को बताया कि बाहर जो योगी आया है वह तो लाला के दर्शन करना चाहता है। मां यशोदा ने जब बाहर झांक कर देखा। योगी के गले में सर्प, तन पर बाघाम्बर, हाथ में त्रिशूल और सिर पर जटा देखकर मां यशोदा योगी बने भगवान शिव के पास गईं। भगवान शिव कहने लगे कि," मैया मुझे एक बार लाला के दर्शन करवा दें।" मां यशोदा अड़ गई और कहने लगी कि आपको देखकर मेरा लाला डर जाएगा। आप कहें तो मैं भिक्षा और दे दूं लेकिन मैं लाला को बाहर ना लाऊंगी।

PARSHURAM AUR KARAN KI KATHA

MAHABHARATA STORY: परशुराम और कर्ण की कथा  महाभारत की कहानियां हमें जीवन में प्रेरणा देती है। महाभारत की एक प्रसिद्ध कथा है जब परशुराम जी ने कर्ण को असत्य बोलने के लिए श्राप दिया था। कर्ण धनुर्विद्या प्राप्त करना चाहते थे। गुरु द्रोण ने उसे शिक्षा देने से मना कर दिया क्योंकि वह केवल क्षत्रियों को ही शिक्षा देते थे और कर्ण सूत पुत्र था। कर्ण शिक्षा ग्रहण करने परशुराम जी के पास चले गए क्योंकि वह केवल ब्राह्मणों को ही शिक्षा देते थे। इसलिए कर्ण ब्राह्मण का रूप धारण कर परशुराम के पास थे और धनुर्विद्या प्राप्त करने लगे।   कर्ण ने निष्ठा से धनुर्विद्या परशुराम जी से सीखी और कुछ ही समय में इस विद्या में पारंगत हो गए। एक दिन परशुराम जी और कर्ण वन में धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थे। अभ्यास के दौरान जब परशुराम जी थक गए तो कर्ण की गोद में सिर रखकर सो गए।  तभी एक बिच्छू ने कर्ण को काटना शुरू कर दिया। गुरु की निद्रा में कोई विध्न ना हो इसलिए कर्ण उस दर्द को सहता रहा। अपने शरीर के किसी भी हिस्से को हिलाया नहीं।  उस समय के पश्चात जब महर्षि परशुराम की नींद खुली तो कर्ण के शरीर से खून की धारा बह रही थ

DEVOTIONAL STORIES OF SHRI KRISHNA

 श्री कृष्ण की भक्ति कथाएं  एक बार एक व्यापारी सोने और हीरे के आभूषणों का व्यापार करते था। धनवान होने के बावजूद भी वह बहुत ही सरल हृदय के व्यक्ति थे। हर समय मन हरि भक्ति में रमा रहता। धन वैभव का तनिक भी अहंकार नहीं था।  एक दिन उनकी दुकान पर उनका एक पुराना मित्र अपनी पत्नी के संग आया। वह दोनों वृन्दावन से दर्शन करके आये थे और उनके लिए वहां का भोग प्रसाद लेकर आए थे। उनके साथ लड्डू गोपाल जी का सुंदर विग्रह था। लड्डू गोपाल की मोहक छवि उस व्यापारी का मन मोह रही थी। उसी समय व्यापारी का कारीगर एक सुन्दर सोने का हार लेकर वहां पहुंचा। उन्होंने वह हार लड्डू गोपाल जी के गले में धारण करवा दिया और कहने लगे कि," लड्डू गोपाल जी के विग्रह पर इस हार की शोभा देखो कैसे बढ़ गई है।" दोनों दम्पत्ति उनको वृन्दावन धाम की बातें बताने लगे और बातों बातों में वह अपनी टैक्सी में बैठ कर वहां से चले गए और लड्डू गोपाल के गले का हार उनके साथ ही चला गया।  जब वह दोनों दम्पत्ति गलती से लड्डू गोपाल को टैक्सी में ही भूल गए। टैक्सी वाले ने जब लड्डू गोपाल को टैक्सी में देखा तब तक वह अपने शहर पहुंच चुका था। लड्डू गो

MOHINI EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE VIDHI

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मोहिनी एकादशी व्रत कथा  वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को बांटने के लिए मोहिनी अवतार लिया था और असुरों को मोह के जाल में फंसा कर देवताओं को अमृत पिलाया था। इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहते हैं। समुद्र मंथन कथा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। इस व्रत को करने से निंदित कर्मों से छुटकारा मिलता है। मोहिनी एकादशी का महत्व SIGNIFICANCE OF MOHAN EKADASHI  मोहिनी एकादशी के व्रत का महत्व महर्षि विशिष्ठ ने श्री राम को और श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाया था। इस एकादशी को मोहिनी एकादशी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके व्रत के करने से मनुष्य के पाप और दुःख दूर होते हैं और मोह जाल से मुक्ति मिलती है। इसलिए जिसके जीवन में कोई भी दुख हो उसे यह व्रत अवश्य करना चाहिए। भगवान विष्णु मोहिनी अवतार कथा मोहिनी एकादशी व्रत कथा (MOHINI EKADASHI VRAT KATHA)  पौराणिक कथा के अनुसार जब सीता जी के वनवास के बाद भगवान राम ने व्यथित होकर गुरु वशिष्ठ से पूछा कि गुरुदेव समस्त पाप और दु:खों के नाश

AKSHAY TRITIYA PER BANKE BIHARI VRINDAVAN CHARAN DARSHAN

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 अक्षय तृतीया पर साल में एक होते हैं बांके बिहारी वृन्दावन मंदिर में बांके बिहारी जी के चरण दर्शन  अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। 2024 में अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में अक्षय तृतीया के दिन का विशेष महत्व है।  बांके बिहारी मंदिर श्री कृष्ण के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बांके बिहारी श्री कृष्ण का ही एक रूप है। बांके बिहारी मंदिर में यूं तो पूरा वर्ष श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा है लेकिन अक्षय तृतीया के दिन भक्त दूर दूर से बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन के लिए आते हैं। अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी जी के चरण दर्शन साल में केवल एक बार होते हैं। अक्षय तृतीया के दिन ही भक्तों को ठाकुर जी के चरणों के दर्शन कराने की परंपरा चली आ रही है। माना जाता है कि ठाकुर जी के चरणों के दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। अक्षय तृतीया बिहारी जी चरण दर्शन की कथा  पौराणिक कथा के अनुसार स्वामी हरिदास जी भक्ति साधना से प्रसन्न होकर श्री बांके बिहारी जी का विग्रह प्रकट हुआ था। इसमें साक्षात श्री राधा और श्री कृष्ण का रूप स

VARUTHINI EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE VIDHI

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 वरूथिनी एकादशी 2023 SUNDAY,16 APRIL 2023 एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. एकादशी व्रत का बहुत ही फलदायी माना जाता है. एकादशी को हरि वासर नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक मास में दो एकादशी आती है. एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में.  वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है.वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पुण्य दायिनी और सौभाग्य प्रदायिनी वरुथिनी एकादशी कहा जाता है . वरूथिनी एकादशी व्रत से भाग्य को बदला जा सकता है. इस एकादशी के महात्म्य को अन्न दान और कन्या दान से भी बड़ा माना गया है. SIGNIFICANCE OF VARUTHINI (वरूथिनी एकादशी महात्म्य) वरूथिनी एकादशी का व्रत पापों का नाश कर मोक्ष देने वाला है. वरूथिनी एकादशी का फल 10 हज़ार वर्ष तक तप करने , कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण में एक लाख बार सोना दान करने के बराबर है. एकादशी का व्रत करने पर मनुष्य इस लोक में सुख वो कर स्वर्ग को प्राप्ति होती है जो मनुष्य वरूथिनी एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें कन्यादान का फल मिलता है .इस व्रत का महात्म्य सुनने ,पढ़ने मात्र से हजारों गोदान का फल मिलता है. इस व्रत

MATA CHINTPURNI CHALISA LYRICS IN HINDI

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 मां चिंतपूर्णी चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी  चिंतपूर्णी धाम 51 शक्ति पीठों में से एक है। माता चिंतपूर्णी धाम के बारे में यह मान्यता है की किसी भक्त की जो चिंता होती है वह माता के दरबार आने पर दूर हो जाती है। इसलिए ही इस को चिंतपूर्णी धाम कहा जाता है। भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए आरती और चालीसा पढ़ते और सुनते हैं।  माता चिंतपूर्णी चैत्र नवरात्रि मेला 2024 Chintpurni chalisa lyrics in hindi               ।।दौहा।। चित्त में बसो चिंतपूर्णी, छिन्नमस्तिका मात ।  सात बहनों में लाड़ली,हो जग में विख्यात ।।  माईदास पर की कृपा, रूप दिखाया श्याम ।  सबकी हो वरदायनी, शक्ति तुम्हें प्रणाम ।।        ॥चौपाई॥ छिन्नमस्तिका मात भवानी। कलिकाल में शुभ कल्याणी ।।  सती आपको अंश दियो है। चिंतपूर्णी नाम कियो है ॥  चरणों की लीला है न्यारी। जिनको पूजे हर नर नारी ॥  देवी-देवता हैं नत मस्तक। चैन ना पाए भजे ना जब तक ॥  शांत रूप सदा मुस्काता। जिसे देखकर आनंद आता ॥  एक ओर कालेश्वर साजे । दूजी ओर शिवबाडी विराजे ॥  तीसरी ओर नारायण देव। चौथी ओर मचकुंद महादेव ॥  लक्ष्मी नारायण संग विराजे। दस अवतार उन्हीं में साजे ।।  तीन

SHRI RAM KE BHAKT TULSIDAS JI KI KATHA

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 हनुमान जी ने तुलसीदास जी को श्री राम से मिलवाया था   माना जाता है कि जब तुलसीदास जी काशी में रहते थे तो तब उनकी मुलाकात एक प्रेत से हुई। तुलसीदास जी जब शौच के लिए जाते थे तो जो पानी बचता था उसे एक वृक्ष की जड़ में डाल देते थे। उस पेड़ पर एक प्रेत रहता था। वह तुलसीदास जी से कहने लगा कि," मैं तुम्हारी सेवा से तृप्त हूं मैं तुम को कुछ देना चाहता हूं।" तुलसीदास जी बोले कि," मुझे श्री राम के दर्शन करने है।"  प्रेत ने कहा कि मैं तो तुम को श्री राम के दर्शन नहीं करवा सकता लेकिन हनुमान जी प्रतिदिन एक कोढ़ी के रूप में राम कथा सुनने आते हैं। वह सबसे पहले आते हैं और सबसे अंत में वापस जाते हैं। तुम उनके पैर पकड़ लेना और श्री राम के दर्शन करवाने की प्रार्थना करना। तुलसीदास जी ने अगले दिन जैसा प्रेत ने बोला था वैसा ही किया। उन्होंने जी के चरण पकड़ लिए और श्री राम के दर्शन कराने की बात कही।  हनुमान जी तुलसीदास जी से कहा कि आपको चित्रकूट में श्री राम के दर्शन होंगे। तुलसीदास जी श्री राम के दर्शन की लालसा में चित्रकूट पहुंच गए। चित्रकूट में जब एक दिन वह प्रदक्षिणा पर निकले तो उन्हे