AKSHAY TRITIYA PER BANKE BIHARI VRINDAVAN CHARAN DARSHAN
अक्षय तृतीया पर साल में एक होते हैं बांके बिहारी वृन्दावन मंदिर में बांके बिहारी जी के चरण दर्शन
अक्षय तृतीया बिहारी जी चरण दर्शन की कथा
जब बांके बिहारी जी का विग्रह प्रकट हुआ तो हरिदास जी दिन रात उनकी सेवा करते थे। कहते हैं कि एक बार सेवा करते समय उन पर आर्थिक संकट आया तो बिहारी जी के चरणों में हर रोज एक स्वर्ण मुद्रा का मिलने लगी उस मुद्रिका से ठाकुर जी की सेवा और भोग की व्यवस्था हो जाती थी।
उसके बाद भी जब भी पैसों की जरूरत पड़ती तो ठाकुर जी के चरणों में स्वर्ण मुद्रा मिलती। उसके पश्चात से बिहारी जी के चरणों के दर्शन नहीं करवाएं जाते थे। केवल अक्षय तृतीया के दिन ही बिहारी जी के चरण दर्शन करवाए गए उसके पश्चात से यह परंपरा अभी तक चली आ रही है।
अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी जी को शीतलता प्रदान करने के लिए जो चंदन का लेप लगाया जाता है। चंदन की घिसाई पहले से शुरू हो जाती है। मंदिर के सेवायत पुजारी बांके बिहारी जी को लगने वाले चंदन को एक बड़ी सी शीला पर हर रोज घिसते हैं। बिहारी जी को लगाया जाने वाला चंदन बेंगलुरु मैसूर से मंगवाया जाता है इस चंदन में गुलाब जल मिलाकर घिसाई की जाती है।
बिहारी जी के चरणों में सवा किलो वजन का चंदन का लड्डू रखा जाता है और भक्तों को दर्शन करवाए जाते है।
शाम को बांके बिहारी के पूरे विग्रह पर चंदन होता है अर्थात बिहारी जी के सर्वांग दर्शन होते हैं।
पढ़ें अक्षय तृतीया की कथा और महत्व
अक्षय तृतीया के दिन चरण दर्शन का महत्व
अक्षय तृतीया के दिन बिहारी जी के चरणों के दर्शन करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और बिहारी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि बिहारी जी के चरण दर्शन करने से धन-धान्य की कमी नहीं होती।
मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन कुंवारी लड़कियों के बांके बिहारी जी पाज़ेब भेंट करने उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता हैं और उनका दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है।
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