CHINMASTIKA JAYANTI CHINTPURNI JAYANTI 2024

चिंतपूर्णी जयंती 2024

 Tuesday 22 May, 2024 

चिंतपूर्णी जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। चिंतपूर्णी धाम में वर्ष 2024 में चिंतपूर्णी जयंती (छिन्नमस्तिका जयंती) 22 मई को मनाई जाएगी। माता चिंतपूर्णी को छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है। यह मान्यता है की किसी भक्त की जो चिंता होती है वह माता के दरबार आने पर दूर हो जाती है। इस लिए ही इस को चिंतपूर्णी धाम कहा जाता है।

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छिन्नमस्ता जयंती पर मां चिंतपूर्णी के धाम को फूलों से सजाया जाता। मां चिंतपूर्णी की पिण्डी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और हवन यज्ञ किया जाता है। माता को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। मां चिंतपूर्णी धाम में श्रद्धालु हलवा, सूखे मेवे, फल‌ और मिठाई चढ़ाते हैं। मां की पिण्डी की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी और हवन यज्ञ होगा।

पौराणिक कथा 

ऐसी मान्यता है कि छिन्नमस्तिका धाम के चारों और भगवान शिव का स्थान होता है। मंदिर की चारों दिशाओं में भगवान शिव के मंदिर हैं। पूर्व में महाकालेश्वर, पश्चिम में नारायण महादेव, उत्तर में मुचकुंद महादेव और दक्षिण में शिव बाड़ी।

मां छिन्नमस्तिका दस महाविद्याओं में से छठी महाविद्या है।  छिन्नमस्तिका का अर्थ है बिना सिर वाली देवी। मां छिन्नमस्तिका ने अपनी सहचरियों की भूख शांत करने के लिए अपना सिर काट दिया था। 

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार असुरो को युद्ध मे हराने के पश्चात भी माता की दो योगनियो जया और विजया की रक्त की पिपासा ना शांत हुई तो माता ने अपना सिर काट कर उन योगनियों जया और विजया की रक्त की प्यास बुझाई। माता ने खड्ग से अपना सिर काटा और उसमें से रक्त की तीन धाराएं निकली।  माता ने दो धाराओं से अपनी योगनियों की भूख को शांत किया और तीसरी धारा से स्वयं पान किया तब से माता का नाम छिन्नमस्तिका विख्यात हुआ।

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