SHRI RAM KE BHAKT TULSIDAS JI KI KATHA
हनुमान जी ने तुलसीदास जी को श्री राम से मिलवाया था
माना जाता है कि जब तुलसीदास जी काशी में रहते थे तो तब उनकी मुलाकात एक प्रेत से हुई। तुलसीदास जी जब शौच के लिए जाते थे तो जो पानी बचता था उसे एक वृक्ष की जड़ में डाल देते थे। उस पेड़ पर एक प्रेत रहता था। वह तुलसीदास जी से कहने लगा कि," मैं तुम्हारी सेवा से तृप्त हूं मैं तुम को कुछ देना चाहता हूं।" तुलसीदास जी बोले कि," मुझे श्री राम के दर्शन करने है।"
प्रेत ने कहा कि मैं तो तुम को श्री राम के दर्शन नहीं करवा सकता लेकिन हनुमान जी प्रतिदिन एक कोढ़ी के रूप में राम कथा सुनने आते हैं। वह सबसे पहले आते हैं और सबसे अंत में वापस जाते हैं। तुम उनके पैर पकड़ लेना और श्री राम के दर्शन करवाने की प्रार्थना करना। तुलसीदास जी ने अगले दिन जैसा प्रेत ने बोला था वैसा ही किया। उन्होंने जी के चरण पकड़ लिए और श्री राम के दर्शन कराने की बात कही।
हनुमान जी तुलसीदास जी से कहा कि आपको चित्रकूट में श्री राम के दर्शन होंगे। तुलसीदास जी श्री राम के दर्शन की लालसा में चित्रकूट पहुंच गए।
चित्रकूट में जब एक दिन वह प्रदक्षिणा पर निकले तो उन्हें श्री राम के दर्शन हुए। उन्होंने देखा कि दो सुंदर राजकुमार घोड़ों पर सवार होकर हाथ में धनुष बाण लिए हुए जा रहे हैं। वह उन दोनों राजकुमारों को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। परन्तु श्री राम को पहचान नहीं पाएं। हनुमान जी ने पूछा कि," आपने श्री राम के दर्शन कर लिए वो अभी अपने अनुज लक्ष्मण के साथ यहां से गुजरे थे।" तुलसीदास जी बोले कि मैं तो उनको पहचान ही नहीं पाया।
उन्होंने हनुमान जी से पुनः श्री राम के दर्शन करवाने की बात कही। हनुमान जी कहने लगे कि," कल प्रातः फिर तुम्हें श्री राम के दर्शन होंगे।"
अगले दिन मौनी अमावस्या के दिन श्री राम ने उन्हें दर्शन दिए। तुलसीदास जी चंदन घिस रहे थे तभी श्री राम वहां आएं और कहा कि बाबा चंदन दो। हनुमान जी सोचने लगे कि," कहीं ऐसा न हो कि इस बार भी तुलसीदास जी श्री राम को पहचान ही ना पाएं।" इसलिए हनुमान जी एक तोते का रूप धारण कर कहने लगे-
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देते रघुबीर।।
श्री राम की छवि देखकर तुलसीदास जी अपने शरीर की सूधि भूल गए और श्री राम ने स्वयं अपने हाथों से चंदन तुलसीदास जी के माथे पर लगाया था। इस तरह श्री हनुमान जी ने तुलसीदास जी को श्री राम के दर्शन करवाएं थे।
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