SHRI KRISHNA KE DARSHAN KARNE PAHUCHE BHAGWAN SHIV
श्री कृष्ण के दर्शन करने गोकुल पहुंचे भगवान शिव की कथा
LORD KRISHNA STORY /DEVOTIONAL STORY/ Hindu mythology story
श्री कृष्ण ने जब द्वापर युग में जन्म लिया। भगवान शिव समाधि में थे। लेकिन जब उन्हें पता चला कि प्रभु का पृथ्वी लोक पर अवतरण हुआ है तो भोले नाथ उनके दर्शन के लिए ब्रज धाम पधारे।
भगवान शिव ने भिक्षा के लिए आवाज़ लगाई। मां यशोदा ने दासी को भिक्षा देकर बाहर भेजा। भगवान शिव दासी से कहने लगे कि," मुझे मेरे गुरु ने बताया है कि गोकुल में यशोदा नंद के जहां साक्षात् ईश्वर प्रकट हुए हैं। इसलिए मुझे एक बार लाला के दर्शन करवा दो।"
दासी ने भीतर जाकर मां यशोदा को बताया कि बाहर जो योगी आया है वह तो लाला के दर्शन करना चाहता है। मां यशोदा ने जब बाहर झांक कर देखा। योगी के गले में सर्प, तन पर बाघाम्बर, हाथ में त्रिशूल और सिर पर जटा देखकर मां यशोदा योगी बने भगवान शिव के पास गईं।
भगवान शिव कहने लगे कि," मैया मुझे एक बार लाला के दर्शन करवा दें।" मां यशोदा अड़ गई और कहने लगी कि आपको देखकर मेरा लाला डर जाएगा। आप कहें तो मैं भिक्षा और दे दूं लेकिन मैं लाला को बाहर ना लाऊंगी। मैंने बहुत मन्नतों के बाद उसे पाया है। मेरा लाला तो बहुत छोटा है वह आपके इस वेश को देखकर भयभीत हो जाएगा।
भगवान शिव मैया यशोदा को समझने लगे कि तेरा पुत्र तो काल का काल है। वह साधु संतों का प्रिय है। मुझे केवल एक बार लाला के दर्शन करने दें।
मां यशोदा ना मानी तो भगवान शिव कुछ दूर जाकर समाधि लगाकर बैठ गए। उधर श्री कृष्ण ने अपनी लीला शुरू कर दी। वह जान गए कि भोलेनाथ दर्शन करने आए थे लेकिन मैया तो जिद्द पर अड़ी है कि मैं ना कराने वाली अपने लाला के दर्शन।
भगवान श्री कृष्ण ने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया। मां यशोदा ने उन्हें दूध पीला कर , खिलौने से खेला कर और गोद में उठा कर कई यत्न किए कि बाल कृष्ण का रोना शांत हो जाएं। लेकिन श्री कृष्ण कहां मानने वाले थे और भगवान का रोना बंद ही नहीं हुआ। मैया यशोदा ने शांडिल्य ऋषि को बुलाया। शांडिल्य ऋषि जान गए हैं कि प्रभु यह लीला उनके दर्शन के लिए आए भोलेनाथ के लिए कर रहे हैं।
वह कहने लगे कि कुछ समय पहले जो योगी आया था वह बहुत सिद्ध योगी हू उनके दर्शन लाला को करवा दो। मां यशोदा ने श्री कृष्ण का सुंदर श्रृंगार किया और योगी को घर के भीतर बुलाया। भगवान शिव ने जी भर कर बाल कृष्ण के दर्शन किए। वृन्दावन में आज भी नंद के बाहर आशेश्वर महादेव मंदिर है। यह वही स्थान है जहां पर भोलेनाथ भगवान श्री कृष्ण के दर्शन की आशा में बैठ गए थे।
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