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Showing posts from May, 2023

AHILYABAI HOLKA KI KAHANI IN HINDI

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अहिल्याबाई होलकर की जयंती पर पढ़ें अहिल्या बाई होलकर की न्याय प्रियता की कहानी  अहिल्याबाई होल्कर मालवा की महारानी थी। उनका जन्म महाराष्ट्र के छौंड़ी गांव में 1725 ई. मे 31 मई को हुआ था। इस दिन को अहिल्याबाई होल्कर की जयंती के रूप में मनाया जाता है।   अहिल्याबाई होल्कर के पिता का नाम मान्कोजी राव शिंदे और माता का नाम सुशीला देवी था। आठ वर्ष की आयु में इनका विवाह मालवा के शासक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खांडेराव होल्कर के साथ हुआ। उनके पुत्र का नाम मालेराव होल्कर था। एक बार मालेराव होल्कर अपनी रथ पर सवार होकर तीव्र गति से कहीं जा रहे थे। तभी एक गाय का छोटा सा बछड़ा उनके रथ के नीचे आकर मर गया। एक गाय जिसका वह बछड़ा था उनके पास बैठ कर आंसू बहाने लगी। तभी अहिल्याबाई होल्कर वहां से गुजरी तो उन्होंने जब गाय को करूणा दशा में देखा तो उन्होने पूछा कि," इस गाय के बछड़े की यह हालत किस ने की है?" सारी सच्चाई जानने के पश्चात वह अपने दरबार में पहुंची। उन्होंने मालेराव की पत्नी मैना बाई से पूछा कि,"यदि कोई व्यक्ति किसी मां के समाने उसके पुत्र का वध‌कर दे तो, उसे क्या सजा सुनाई जानी चाहि

PARMESHTHI DARJI KI KATHA

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 जगन्नाथ जी के भक्त परमेष्ठी दर्जी की कथा  Jagannath ji ke bhakt parmeshthi  darji ki kahani: दिल्ली में लगभग चार सौ साल पहले काले रंग का परमेष्ठी नाम का कुबड़ा दर्जी रहता था। इसकी पत्नी का नाम विमला था। वह भी संस्कारी और ईश्वर को मानने वाली थी। परमेष्ठी की वासुदेव भगवान में अपार आस्था थी‌। वह सोते जागते भगवद् नाम स्मरण करता रहता। परमेष्ठी अपने काम में बहुत निपुण था। वह अपना काम बहुत सफाई से करता था। इसलिए नवाब और बड़े-बड़े अमीर राजघरानें उससे कपड़े सिलवाते थे। जहां तक कि दिल्ली के बादशाह को भी उसके सिले कपड़े बहुत पसंद आते थे । एक बार बादशाह ने सिंहासन के नीचे पैर रखने के लिए दो बढ़िया गलीचे बिछाये। लेकिन बादशाह के मन को वें गलीचे नहीं जंचे। इसलिए उस ने दो तकिये बनवाने का निश्चय किया। बादशाह ने क़ीमती मखमल के कपड़े पर हीरे, मोती सोने की तारों से जड़वाये।‌ बादशाह चाहता था कि इस बहुमूल्य कपड़े से सुंदर तकिये बने। इसलिए उसने परमेष्ठी को बुला कर कहा कि यह बहुत कीमती कपड़ा है। इससे तुम बड़े ध्यान से मेरे लिए दो बढ़िया तकिये बना कर दो।  परमेष्ठी कपड़ा लेकर घर आ गया और कपड़े से तकिये के लिए

MAA GANGA KI AARTI LYRICS IN HINDI

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मां गंगा की आरती लिरिक्स इन हिन्दी  ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता ।  जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।  ॐ जय गंगे माता।। चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता ।  शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।  ॐ जय गंगे माता।। पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता। कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।। ॐ जय गंगे माता।। एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता ।  यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता। ॐ जय गंगे माता।। आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता। दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।  ॐ जय गंगे माता।।

BANKE BIHARI JI KI AARTI LYRICS IN HINDI

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 श्री बांके बिहारी जी की आरती लिरिक्स इन हिन्दी  श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं। आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं। बाल कृष्ण तेरी आरती गाऊं॥ मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे। प्यारी बंसी मेरो मन मोहे। देख छवि बलिहारी मैं जाऊं। श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥ चरणों से निकली गंगा प्यारी, जिसने सारी दुनिया तारी। मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं। श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥ दास अनाथ के नाथ आप हो। दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो। हरी चरणों में शीश झुकाऊं। श्री  बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥ श्री हरीदास के प्यारे तुम हो। मेरे मोहन जीवन धन हो। देख युगल छवि बलि बलि जाऊं बांके बिहारी हरियाली तीज हिंडोला दर्शन ALSO READ - श्री बांके बिहारी विनय पचासा श्री बांके बिहारी फेमस भजन लिरिक्स इन हिन्दी   बांके बिहारी मस्ती तेरी छाई रे भजन लिरिक्स इन हिन्दी श्री राधा कृष्ण और रूक्मिणी की कथा राधा कृष्ण विवाह कथा स्थली भांडीरवन श्री कृष्ण राधा रानी और नारद जी की कहानी श्री कृष्ण राधा रानी और ललिता सखी की कथा राधा कृष्ण आरती लिरिक्स इन हिन्दी श्री राधा रानी 16

GANGA DUSSEHRA 2024

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गंगा दशहरा पर पढ़ें मां गंगा का धरती पर अवतरण कैसे हुआ  गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस तिथि को ही भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। गंगा दशहरा निर्जला एकादशी से एक दिन पहले मनाया जाता है। 2024 में गंगा दशहरा 16 जून को मनाया जाएगा।  निर्जला एकादशी व्रत कथा Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरे पर उत्तराखंड हरिद्वार में देश विदेश से श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते है। गंगा नदी को मां तुल्य माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन हरिद्वार पर उत्सव मनाया जाता है। गंगा दशहरा के मौके पर गंगा आरती में हजारों की संख्या में भक्त मां गंगा की भव्य आरती में सम्मिलित होते हैं। चारों ओर जय मां गंगे जय मां गंगे का उद्घोष होता है।  Significance of Ganga Dussehra(गंगा दशहरा का महत्व)  पुराणों के अनुसार दशहरे के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन गंगा नदी के निमित्त पूजा पाठ किया जाता है। इस दिन गंगा नदी के तट पर पितरों के निमित्त दान पुण्य करने से उन्हें मोक्ष प्रा

JAGANNATH JI BIMAR KYU HOTE HAI SNANA YATRA

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 जगन्नाथ जी बिमार क्यों होते हैं  Story of lord Jagannath: प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को जगन्नाथ जी को 108 घड़ों से स्नान करवाया जाता है। माना जाता है कि पूर्णिमा स्नान के पश्चात जगन्नाथ जी बिमार हो जाते हैं। इसे स्नान यात्रा भी कहा जाता है।  15 दिनों के लिए मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए बंद कर दिये जाते हैं और भगवान एकांतवास में चले जाते हैं। इसे अनवसर काल भी कहा जाता है। जगन्नाथ जी को जड़ी बूटी से बना काढ़ा, फलों का रस, खिचड़ी दलिया का भोग लगाया जाता है।  जगन्नाथ जी हर साल बिमार क्यों होते हैं? Reason behind why lord Jagannath sick every year for fifteen days : जगन्नाथ पुरी में जगन्नाथ जी के भक्त माधव दास जी रहते थे। वह दिन रात जगन्नाथ जी का भजन करते थे। उन्हें सांसारिक मोह माया से कोई लगाव नहीं था। वह तो बस अपने इष्ट की भक्ति में लीन रहते। एक बार माधव दास जी का स्वस्थ बिगड़ गया और उन्हें उल्टी-दस्त का रोग हो गया। जिसकारण उनका शरीर बहुत कमज़ोर हो गया। जहां तक की उनको चलना फिरना भी मुश्किल हो गया। माधव दास जी अपने कार्य में किसी की भी मदद नहीं लेना चाहते थे। अगर कोई

HEART TOUCHING MOTIVATIONAL STORY MOTHERS DAY

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मदर्स डे पर पढ़ें हृदय स्पर्शी कहानी  मां ईश्वर की बनाई हुई सबसे खूबसूरत रचना है। मां चाहे अनपढ़ ही क्यों न हो लेकिन मां की दिया हुआ ज्ञान ही किसी भी बच्चे के विकास का आधार होता है। मां अपना जीवन कठिनाइयों में बीता देगी लेकिन अपने बच्चे को काबिल‌ बनाने के लिए भरसक प्रयास करती है। पढ़ें मां और बेटे की ऐसी ही हृदय स्पर्शी कहानी   Heart touching story on mother:  एक बार एक लड़का जूते की दुकान पर गया। दुकानदार कहने लगा कि, आपको कैसे जूते दिखाऊं? लड़का के व्यक्तित्व में एक ठहराव था और बोलचाल से किसी गांव देहात का लग रहा था।  लड़का कहने लगा कि, मुझे मेरी मां के लिए चप्पल चाहिए लेकिन चप्पल एक दमदार बढ़िया और टिकाऊ होनी चाहिए। दुकानदार कहने लगा कि,"आपकी मां का नाप क्या है? कौन से नंबर की चप्पल दिखाऊं? इतना सुनते ही लड़के ने अपनी जेब से एक कागज़ का टुकड़ा निकाला और दुकानदार की ओर बढ़ा दिया। उस पर उसकी मां के दोनों पैरों की पेन से आउटलाइन बनाई गई थी।  दुकानदार बोला कि बिना नाप के मैं तुम्हारी मां के लिए चप्पल कैसे दिखाऊं? इतना सुनते ही लड़का थोड़ा भावुक हो गया। लड़का कहने लगा कि मेरी मां ने

JAGANNATH KI AARTI CHATURBHUJ JAGANNATH LYRICS

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जगन्नाथ जी की आरती: चतुर्भुज जगन्नाथ लिरिक्स  जगन्नाथ जी भगवान श्री कृष्ण का ही एक रूप है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। पढ़ें जगन्नाथ जी की आरती  जगन्नाथ रथयात्रा 2023   जगन्नाथ जी की आरती   चतुर्भुज जगन्नाथ  कंठ शोभित कौसतुभः ॥ पद्मनाभ, बेडगरवहस्य,  चन्द्र सूरज्या बिलोचनः जगन्नाथ, लोकानाथ,  निलाद्रिह सो पारो हरि दीनबंधु, दयासिंधु,  कृपालुं च रक्षकः कम्बु पानि, चक्र पानि,  पद्मनाभो, नरोतमः जगदम्पा रथो व्यापी,  सर्वव्यापी सुरेश्वराहा लोका राजो देव राजः,  चक्र भूपह स्कभूपतिहि निलाद्रिह बद्रीनाथश:,  अनन्ता पुरुषोत्तमः ताकारसोधायोह, कल्पतरु,  बिमला प्रीति बरदन्हा बलभद्रोह, बासुदेव,  माधवो मधुसुदना दैत्यारिः, कुंडरी काक्षोह, बनमाली  बडा प्रियाह, ब्रम्हा बिष्णु, तुषमी बंगश्यो, मुरारिह कृष्ण केशवः  श्री राम, सच्चिदानंदोह, गोबिन्द परमेश्वरः  बिष्णुर बिष्णुर, महा बिष्णुपुर, प्रवर बिशणु महेसरवाहा  लोका कर्ता, जगन्नाथो,  महीह करतह महजतहह ॥ महर्षि कपिलाचार व्योह,  लोका चारिह सुरो हरिह वातमा चा जीबा पालसाचा,  सूरह संगसारह पालकह  एको मीको मम प्रियो ॥ ब्रम्ह बादि महेश्वरवरहा दुइ भु

JAGANNATH JI KI AARTI LYRICS IN HINDI

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जगन्नाथ जी की आरती हिंदी में लिखी हुई जगन्नाथ जी भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का ही एक रूप माने जाते हैं। जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ जी अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा संग विराजमान हैं। ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ जी से शुद्ध हृदय से पूजा करने से वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। जगन्नाथ जी को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें जगन्नाथ जी की आरती। हर साल जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथ रथयात्रा 2023 जगन्नाथ जी की आरती लिरिक्स इन हिन्दी  आरती श्री जगन्नाथ, आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,   मंगलकारी नाथ आपादा हरि, कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी, अगर कपूर बाटी भव से धारी, आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी घर घरन बजता बाजे बंसुरी, घर घरन बजता बाजे बंसुरी, झांझ या मृदंग बाजे,ताल खनजरी, आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,  आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी, निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि, जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी, जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी, आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी, इंद्

JAGANNATH JI KI BHAKT KARMA BAI KI KATHA

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 जगन्नाथ जी की भक्त‌ कर्मा बाई की कथा: जगन्नाथ जी को खिचड़ी का बाल भोग क्यों लगाया जाता है Karma Bai Devotional story: कर्माबाई श्री कृष्ण की परम भक्त थीं। वह बचपन से ही श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करती थी। वह हर रोज उनको फल और मेवे का भोग लगाती थी। एक दिन उनके मन में इच्छा जाग्रत हुई कि मैं अपने हाथ से कुछ बना कर भगवान को भोग लगाऊं। उन्होंने भगवान के लिए खिचड़ी बनाई और भगवान को भोग लगाया। भगवान ने बड़े चाव से उनका भोग स्वीकार किया।  एक बार जब कर्माबाई ने खिचड़ी बनाई तो जगन्नाथ जी बालक रूप में कर्मा बाई के घर पर गए और कर्मा बाई उनको खिचड़ी खाने को दी। भगवान बड़े भाव से खिचड़ी खाने लगे और कर्मा बाई उनको पंखा करने लगी। ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ ठाकुर जी कहने लगे कि," मां मुझे तेरी खिचड़ी बहुत अच्छी लगी। तुम कल भी मेरे लिए खिचड़ी बनाना मैं कल भी खिचड़ी खाने आऊंगा। कर्मा बाई बोली कि कल ही क्यों मैं हर रोज़ तुम्हारे लिए खिचड़ी बनाऊंगी। अब प्रतिदिन जगन्नाथ जी कर्मा बाई के घर पर खिचड़ी खाने आने लगे। कर्मा बाई सुबह उठकर सबसे पहले खिचड़ी बनाती और उसके पश्चात अन्य काम करती। जगन्नाथ जी द्वार पर आवाज लगात

JAGANNATH PURI RATH YATRA 2024

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जगन्नाथ पुरी रथयात्रा 2024 Jagannath rath yatra 2024:विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा का आषाढ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को उड़ीसा में बड़े हर्षोल्लास के साथ आयोजन किया जाता है। इस में रथ यात्रा का आनंद लेने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। 2024 में रथ यात्रा जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई को आरंभ होगी। आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि से लेकर आषाढ़ मास एकादशी तक चलने वाले इस पर्व के बारे में मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ स्वयं अपने भक्तों के मध्य विराजमान रहते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त इस शुभ रथ यात्रा में सम्मिलित होते हैं उन्हें सौ यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जगन्नाथ रथयात्रा से पहले स्नान पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ जी बिमार हो जाते हैं।‌  रथ यात्रा से पहले जगन्नाथ जी बिमार क्यों होते हैं   Jagannath rath yatra 2024  जगन्नाथ रथयात्रा आरंभ - 7 जुलाई   हेरा पंचमी- 11 जुलाई  संध्या दर्शन - 14 जुलाई  बाहुड़ा यात्रा - 15 जुलाई सोना वेश- 16 जुलाई 2024 अधर पना - 18 जुलाई नीलाद्री बीजे- 19 जुलाई रथ यात्रा क्यों निकाली जाती हैं?  भगवान जगन्नाथ गर्भ गृह से निकल कर अपनी प्रजा का हाल जान

VAT SAVITRI VRAT KATHA SIGNIFICANCE N HINDI

वट सावित्री व्रत कथा और महत्व  वट सवित्री व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। सुहागिन स्त्रियाँ इस दिन वट वृक्ष की पूजा करती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति पर आने वाले संकट टल‌ जाते हैं जहां तक की अकाल मृत्यु भी टल जाता है। 2023 में वट सावित्री व्रत 19 मई को मनाया जाएगा। VAT SVITRI VRAT KATHA   पौराणिक कथा के अनुसार मद्रदेश में राजा अश्वपति एक धर्मात्मा राजा थे उनकी सावित्री नाम की पुत्री थी।  वह विवाह के योग्य हई तो उसने साल्व देश से निष्कासित राजा  द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को चुना । रूक्मि नामक सामंत ने उनका राजपाट छीन लिया था और राजा द्युमत्सेन नैत्रहीन चुके थे वह अपनी पत्नी और पुत्र के साथ वन में रहते थे। जब नारद जी को यह बात पता चली तो वह महाराज अश्वपति से कहने लगे कि इस विवाह को रोक ले क्योंकि सत्यवान तो अल्पायु है। लेकिन सावित्री कहने लगी कि सनातनी स्त्री एक बार ही अपना वर चुनती है इसलिए सावित्री अपने निर्णय पर दृढ़ रही। राजा ने सवित्री का विवाह सत्यवान से करवा दिया और सवित्री सत्यवान की पत्नी बन कर वन में आ गई । सम

MATA BHADARKALI MELA 2024 AMRITSAR

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सिद्धपीठ माता भद्रकाली मेला अमृतसर 2024 भद्रकाली मंदिर में हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अपरा एकादशी को मेला लगता है। यहाँ माथा टेकने दूर- दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस समय मंदिर कमेटी की तरफ से जागरण और क्रार्यक्रम करवाएं जाते है. इस साल भी 2 जून को मनाया जाएगा। अपरा एकादशी व्रत कथा मंदिर का इतिहास गुरु की नगरी अमृतसर के खजाना गेट में स्थित मां भद्रकाली का मंदिर देश का इकलौता मंदिर है जहां पर महाकाली और भद्रकाली की पीठ आपस में जुड़ती है। मंदिर में प्रवेश करने पर मां महाकाली के दर्शन होते हैं और उसकी दूसरी ओर मां भद्रकाली श्वेत रूप में विराजमान हैं। लगभग  1500 साल पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य जी द्धारा करवाया गया था। मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी महंतों की 16 वीं पीढ़ी कर रही है। मान्यता है कि जिस दिन मेला होता है माँ आंधी के रूप में मुख्य द्वार से आती है और दूसरे द्वार से होते हुए आकाश में चली जाती है. जिसके दर्शन पाकर श्रद्धालु गण स्वयं को धन्य समझते हैं। मां भद्रकाली दरबार आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती है। मां दुर्गा के 108 नाम अर्थ सहित भद्रकाली मंदिर में भक्त

RADHARAMAN PRAKAT DIVAS 2024

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 श्री राधारमण जी प्राकट्य दिवस 2024 गुरुवार, 23 मई 2024 श्री राधा रमण जी के 482वें प्राकट्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं  श्री राधा रमण जी वैशाख मास की पूर्णिमा को श्री राधारमण विग्रह के रूप में प्रकट हुए थे। इस लिए इस दिन को उनके प्रकाट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2024 में राधारमण प्रकट दिवस 23 मई को मनाया जाएगा। श्री राधारमण जी के प्रकट होने की कथा  एक बार चैतन्य महाप्रभु कृष्ण महामंत्र का प्रचार करने दक्षिण भारत के रंग नाथ मंदिर में गए। वहां के पुजारी वैंकट भट्ट ने उन्हें चतुर्मास करने के लिए अपने घर पर रूकने के लिए मना लिया। वैंकट भट्ट जब चैतन्य महाप्रभु के साथ भक्ति की बातें करते तो उसका प्रभाव उनके पुत्र हुआ और उसके पुत्र के हृदय में भी भक्ति विराजमान हो गई। जब चैतन्य महाप्रभु वृन्दावन जाने लगे तो गोपाल भट्ट भी उनके साथ जाने की बात करने लगा।  चैतन्य महाप्रभु कहने लगे कि जब इसकी शिक्षा पूर्ण हो जाएं तो इसे गण्डकी नदी पर स्नान करने भेजना । उसके पश्चात इस को वृन्दावन भेजना। अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात गोपाल भट्ट जब गण्डकी नदी गए तो 12 शालीग्राम उनके पास आ गये उन्होंने जब सारे

APARA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE

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अपरा एकादशी व्रत कथा और महत्व  एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन श्री लक्ष्मी नारायण भगवान की पूजा की जाती है।‌‌ ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी या अचला एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है।   SIGNIFICANCE OF APARA EKADASHI अपरा एकादशी महत्व अपरा एकादशी इस व्रत के करने से कीर्ति, पुण्य और धन में वृद्धि होती हैं। प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. इस व्रत के प्रभाव से ब्रहम हत्या, भूत योनि और परनिंदा के पाप भी समाप्त हो जाते हैं। यह व्रत पाप रूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी के समान है। इस दिन किए गए दान पुण्य का विशेष फल प्राप्त होता है। APARA EKADASHI VRAT KATHA (अपरा एकादशी कथा) प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राजा राज्य करता था उसके छोटे भाई ने जो कि उससे शत्रुता रखता था उसने महीध्वज की हत्या कर जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे उसका शव दबा दिया। अकाल मृत्यु के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर जंगल से गुजरने वाले लोगों को परेशान करती थी। संयोग वश एक ऋषि उस पेड़ के नीचे से गुजरे तो उन्होंने उस पीपल के पेड़ से राजा

NARAD JI KI KATHA

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नारद जयंती पर पढ़ें भगवान विष्णु के परम भक्त नारद जी की कथा  भगवान विष्णु के परम भक्त माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार नारद जी का अवतरण ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हुआ था। इस दिन को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। 2024 में नारद जयंती शुक्रवार , 24 मई को मनाई जाएगी।  नारद जी के पूर्व जन्म की कथा  नारद जी पूर्व जन्म में उपबर्हण नाम के गंधर्व थे। एक बार गंधर्व और अप्सराएं नृत्य गीत से ब्रह्मा जी की उपासना कर रहे थे। तभी नारद जी वहां आ गए और ब्रह्मा जी के सामने अशिष्ट आचरण करने लगे। उनके इस आचरण से कुपित होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें शुद्र योनि में पैदा होने का श्राप दिया।  श्राप के परिणाम स्वरूप अगले जन्म में वह शुद्र दासी पुत्र के रूप में पैदा हुए। वह दोनों मां पुत्र साधु संतों की सेवा करते थे। नारद जी मुनियों द्वारा बचे हुए भोजन से अपना पेट भरते। मुनियों की सेवा और आज्ञा पालन से उनका चित्त शुद्ध हो गया जिससे उनका मन भगवद् भजन में रमने लगा। ऋषिगण भगवान विष्णु की भक्ति का गान करते जिस कारण नारद जी को विष्णु भक्ति से उन्हें प्रेम हो गया। बुद्धि भगवान विष्णु की भक्ति