RADHARAMAN PRAKAT DIVAS 2024
श्री राधारमण जी प्राकट्य दिवस 2024
गुरुवार, 23 मई 2024
श्री राधारमण जी के प्रकट होने की कथा
एक बार चैतन्य महाप्रभु कृष्ण महामंत्र का प्रचार करने दक्षिण भारत के रंग नाथ मंदिर में गए। वहां के पुजारी वैंकट भट्ट ने उन्हें चतुर्मास करने के लिए अपने घर पर रूकने के लिए मना लिया।
वैंकट भट्ट जब चैतन्य महाप्रभु के साथ भक्ति की बातें करते तो उसका प्रभाव उनके पुत्र हुआ और उसके पुत्र के हृदय में भी भक्ति विराजमान हो गई। जब चैतन्य महाप्रभु वृन्दावन जाने लगे तो गोपाल भट्ट भी उनके साथ जाने की बात करने लगा।
चैतन्य महाप्रभु कहने लगे कि जब इसकी शिक्षा पूर्ण हो जाएं तो इसे गण्डकी नदी पर स्नान करने भेजना । उसके पश्चात इस को वृन्दावन भेजना।
अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात गोपाल भट्ट जब गण्डकी नदी गए तो 12 शालीग्राम उनके पास आ गये उन्होंने जब सारे शालीग्राम पानी में विसर्जित किये तो पुनः सारे शालीग्राम उनके पास आ गये।
उन्होंने हरि इच्छा जानकर सभी शालीग्राम अपनी पोटली में बांध लिये और वृन्दावन में केशीघाट के निकट कुटिया बनाकर श्रद्धा से सभी शिलाओं का पूजन करने लगे।
एक बार एक सेठ वृन्दावन के समस्त विग्रहों के लिए वस्त्र बांट रहा था तो उन्होंने गोपाल भट्ट को भी वस्त्र भेंट किये।
गोपाल भट्ट सोचने लगे कि मैं शालीग्राम को यह वस्त्र कैसे धारण करवाऊं। अगर मेरे आराध्य के भी अन्य विग्रहों की तरह हाथ, पैर , मुंह होते तो मैं भी उनको विविध भांति सजाता, श्रृंगार कराता ।इसी विचार का रातभर चिंतन करते रहे और रात को उन्हें नींद भी नहीं आई।
लेकिन सुबह उठकर आश्चर्यचकित हो गए क्योंकि एक दामोदर नाम के शालीग्राम ने त्रिभंग ललित द्विभुज मुरली मनोहर रूप धारण कर लिया था।
गोपाल भट्ट ने प्रसन्न चित्त होकर अपने आराध्य का अलोकिक श्रृंगार किया और गुरुजनों को बुलाकर राधा रमण जी का प्रकाट्य दिवस मनाया।
राधा रमण जी स्वयं प्रकट हुए हैं इनको राधा रमण इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह एक ऐसी मूर्ति है जिसमें श्री राधा कृष्ण दोनों का समावेश है।
राधा रमण जी का विग्रह द्वादश अंगुल का है लेकिन जब इनका श्रृंगार किया जाता है तो उनके दर्शन बहुत मनोहारी होते हैं।
श्री राधा रमण विग्रह का मुखारविंद गोविन्द देव के समान है, वक्षस्थल गोपीनाथ जैसे और चरण मदन मोहन के समान है इनके दर्शनों से तीनों विग्रहों के दर्शन का फल एक साथ प्राप्त होता है।
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