FATHER'S DAY SANSKRIT QUOTES
फादर्स डे 2024 शुभकामनाएं संस्कृत में
भावार्थ- माता का स्थान सभी मनुष्यों के लिए सम्पूर्ण तीर्थों के सामान है, तथा पिता समस्त देवताओं का स्वरूप है। इसलिए सभी मनुष्यों का यह परम कर्तव्य है कि वह माता पिता का आदर और सत्कार और सेवा करें।
FATHER'S DAY QUOTES IN HINDI AND SANSKRIT
फादर्स डे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था। फादर्स डे मनाने का मुख्य उद्देश्य पिता का हमारे जीवन में दिए गए अकल्पनीय योगदान के लिए सम्मानित करना है। फादर्स डे पर बच्चे अपने पिता को स्पेशल फील करवाने के लिए उन्हें फूल ग्रिटिंग कार्ड केक और ग्रिफ्टस देते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में भी पिता का स्थान देव तुल्य माना गया है। फादर्स डे पर पिता को स्पेशल फील करवाने के लिए संस्कृत श्लोक में शुभकामनाएं हिन्दी अर्थ के साथ
FATHER'S DAY WISHES FROM DAUGHTER
भावार्थ - पिता सभी देवताओं का स्वरूप हैं।
माता गुरुतरा भूमेः पिता चोच्चतरं च खात्।
भावार्थ - माता पृथ्वी से भारी है। पिता आकाश से भी ऊंचा है।
पितृ देवों भवः।
भावार्थ- पितृ देवता के समान है।
पिता स्वर्गः पिता धर्मः पिता परमकं तपः ।
पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः ॥
भावार्थ - मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं, मेरे पिता मेरे धर्म हैं, वे मेरे जीवन की परम तपस्या हैं। जब वे खुश होते हैं, तब सभी देवता खुश होते हैं ।
FATHER'S DAY QUOTES FROM SON IN HINDI AND SANSKRIT
पिता मूर्त्ति: प्रजापते
भावार्थ- पिता पालन करने वाला होने के कारण प्रजापति अर्थात ब्रह्मा जी की प्रतिमूर्ति हैं।
पितृभिः ताड़ितः पुत्रः शिष्यस्तु गुरुशिक्षितः
धनाहतं स्वर्ण च जायते जनमण्डनम।
भावार्थ- पिता द्वारा डांटा गया पुत्र, गुरु के द्वारा शिक्षित किया गया शिष्य, सुनार के द्वारा हथौड़े से पीटा गया सोना, ये सब आभूषण ही बनते हैं।
पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः।
भावार्थ - जब पिता प्रसन्न होते हैं तब सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
न सत्यं दानमानौ वा न यज्ञाश्चाप्तदक्षिणाः|
तथा बलकराः सीते ! यथा सेवा पितुर्हिता ।।
भावार्थ - श्रीराम देवी सीता से कहते हैं - हे सीता! पिता की सेवा करना जिस तरह कल्याणकारी माना जाता है। वैसा साधन न सत्य है, न दान- सम्मान है और न बहुत अधिक दक्षिणावाले यज्ञ ही हैं।
पितृन्नमस्ये निवसन्ति साक्षाद्ये देवलोकेऽथ महीतलेवा ॥
तथान्तरिक्षे च सुरारिपूज्यास्ते वै प्रतीच्छन्तु मयोपनीतम् ॥
भावार्थ- मैं अपने पिता के सामने झुकता हूँ, जिसमें सभी लोकों के सभी देवता निवास करते हैं, सही मायने में वह मेरे देवता हैं।
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