गुरु पूर्णिमा शुभकामनाएं संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित
हिन्दू सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु का शब्दिक अर्थ होता है जो हमें अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में तो गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की संज्ञा दी गई है। गुरु को सम्मानित करने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
हिन्दू सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। 2024 में गुरु पूर्णिमा रविवार 21 जुलाई को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा पर पढ़ें गुरु के महत्व पर विशेष श्लोक
प्रेरकः सूचकश्वैव वाचको दर्शकस्तथा ।
शिक्षको बोधकश्चैव षडेते गुरवः स्मृताः ॥
भावार्थ : प्रेरणा देने वाले, सूचना देने वाले, सत्य बताने वाले, मार्ग दर्शन करने वाले, शिक्षा प्रदान करने वाले और ज्ञान का बोध कराने वाले – ये सब गुरु समान है ।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
भावार्थ: गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु महेश है; गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है, ऐसे सद्गुरु को प्रणाम।
गुरौ न प्राप्यते यत्तन्नान्यत्रापि हि लभ्यते।
गुरुप्रसादात सर्वं तु प्राप्नोत्येव न संशयः॥
भावार्थ -गुरु के द्वारा जो प्राप्त नहीं होता, वह अन्यत्र भी नहीं प्राप्त नहीं होता। गुरु की कृपा प्रसाद से जीव बिना किसी संशय के सभी कुछ प्राप्त कर ही सकता है।
गोपाष्टमी quotes in Sanskrit
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया ।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
भावार्थ - अज्ञान रूपी अन्धकार से अंधे हुए जीव की आंखों क जिसने अपने ज्ञानरुपी शलाकाओ से खोल दिया है, ऐसे श्री गुरु को प्रणाम है।
Bhai dooj quotes in Sanskrit
अखण्ड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
भावार्थ - उस गुरु को नमन है जिसने मुझे मेरे भीतर प्रभु का साक्षात्कार करवाया कि जो अखण्ड है, सकल ब्रह्माण्ड में समाया है, चर-अचर में तरंगित है। ईश्वर के तत्व रूप के मेरे भीतर प्रकट कर मुझे दर्शन करा दे, उस श्री गुरु को मेरा नमन है।
शिक्षक दिवस संस्कृत श्लोक
अनेकजन्मसंप्राप्त कर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
भावार्थ- उस महान गुरु को प्रणाम जो अनेकों जन्मों के कर्मों से बने बंधनों को स्वयं जलाने का आत्म ज्ञान प्रदान कर रहा है।
मातृ देवो भव पितृ देवो भव् आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव्
भावार्थ - माता, पिता, गुरु और अतिथि को देवता स्वरूप मानकर पूजते हैं।
फादर्स डे संस्कृत श्लोक
नास्ति मातृसमो गुरुः ।
भावार्थ- इस संसार में माँ के समान कोई गुरु नहीं है।
किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च ।
दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम् ॥
भावार्थ- बहुत ज्यादा बोलने से क्या होगा, करोडों शास्त्रों से भी क्या होगा। चित्त की परम् शांति, गुरु के बिना मिलना मुमकिन नहीं है।
ध्यानमुलं गुरुर्मूर्तिः पुजामुलं गुरुर्यदम्
मन्त्रमुलं गुरुर्वाक्यं माक्षमुलं गुरुकृपा ॥
भावार्थ - ध्यान का मूल गुरु का स्वरूप है गुरु के चरण पूजा का मूल है। गुरु के शब्द मंत्रों का मूल है गुरु की कृपा मोक्ष का मूल है अर्थात गुरु की कृपा से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है।
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