GURU PURNIMA QUOTES IN SANSKRIT
गुरु पूर्णिमा शुभकामनाएं संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित
गुरौ न प्राप्यते यत्तन्नान्यत्रापि हि लभ्यते।
गुरुप्रसादात सर्वं तु प्राप्नोत्येव न संशयः॥
भावार्थ -गुरु के द्वारा जो प्राप्त नहीं होता, वह अन्यत्र भी नहीं प्राप्त नहीं होता। गुरु की कृपा प्रसाद से जीव बिना किसी संशय के सभी कुछ प्राप्त कर ही सकता है।
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया ।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
भावार्थ - अज्ञान रूपी अन्धकार से अंधे हुए जीव की आंखों क जिसने अपने ज्ञानरुपी शलाकाओ से खोल दिया है, ऐसे श्री गुरु को प्रणाम है।
अखण्ड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
भावार्थ - उस गुरु को नमन है जिसने मुझे मेरे भीतर प्रभु का साक्षात्कार करवाया कि जो अखण्ड है, सकल ब्रह्माण्ड में समाया है, चर-अचर में तरंगित है। ईश्वर के तत्व रूप के मेरे भीतर प्रकट कर मुझे दर्शन करा दे, उस श्री गुरु को मेरा नमन है।
अनेकजन्मसंप्राप्त कर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
भावार्थ- उस महान गुरु को प्रणाम जो अनेकों जन्मों के कर्मों से बने बंधनों को स्वयं जलाने का आत्म ज्ञान प्रदान कर रहा है।
मातृ देवो भव पितृ देवो भव् आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव्
भावार्थ - माता, पिता, गुरु और अतिथि को देवता स्वरूप मानकर पूजते हैं।
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