HERA PANCHMI JAGANNATH RATH YATRA

 हेरा पंचमी 2023 

SATURDAY, 24 JUNE 2023



Jagannath Puri rath yatra 2023: श्री जगन्नाथ रथयात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आरंभ होती है। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के संग भव्य रथों में विराजमान होकर गुड़ीचा मंदिर जाते हैं। 2023 में जगन्नाथ रथयात्रा 20 जून को आरंभ हुई थी।

Heera panchmi: हेरा पंचमी जगन्नाथ रथयात्रा यात्रा का ही एक महत्वपूर्ण पर्व है। 'हेरा' का अर्थ है 'देखना' और पंचमी का अर्थ है पांचवां दिन। हेरा पंचमी जगन्नाथ रथयात्रा का ही एक उत्सव है जिसके अनुसार मां लक्ष्मी अपने पति जगन्नाथ जी को देखने के लिए गुड़ीचा मंदिर जाती है।

Jagannath story: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ जी रथयात्रा पर निकलने से पहले मां लक्ष्मी से कह कर निकले थे कि वह जल्दी वापस लौट आएंगे। मां लक्ष्मी उनके जल्दी लौट आने का इंतजार करती रहती है। लेकिन जब भगवान पांचवें दिन भी वापस नहीं आते तो मां लक्ष्मी पालकी में बैठकर उनको ढूंढने के लिए निकलती है।

रथयात्रा के दौरान मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को ढूंढते हुए गुंडीचा मंदिर पहुंच जाती है। मां लक्ष्मी की पालकी में शामिल भक्त हेरा पंचमी के गीत गाते हैं जो कि मां लक्ष्मी की जगन्नाथ जी के प्रति क्रोध  को व्यक्त करते हैं। मां लक्ष्मी की पालकी नंदी घोष रथ के समीप रूकती है तो भगवान के सेवक उनका स्वागत करते हैं। जब भगवान को पता चलता है कि लक्ष्मी जी क्रोध में उनसे मिलने आई है तो वह सेवकों को द्वार बंद करने का आदेश देते हैं। भगवान के सेवक दरवाजा बंद कर लेते हैं जिससे क्रोधित होकर मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को व्यंग से कहती हैं कि," अब आपको अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा मुझ से अधिक प्रिय है गए हैं, इसलिए अपने मंदिर के किवाड़ बंद कर लिए। 

उसके पश्चात भगवान जगन्नाथ उनको मनाने जाते हैं और क्षमा मांगकर और मनोहार कर उनको मनाते है। भगवान उनको जल्दी वापस आने का वचन देते हैं। इस मनोरम दृश्य को देखकर भगवान जगन्नाथ के भक्त जगन्नाथ जी का जयघोष करते हैं।

अपने उपेक्षा से क्रोधित होकर मां लक्ष्मी वहां से चली जाती है। लेकिन नाराज मां लक्ष्मी जाते-जाते जगन्नाथ जी के रथ का एक भाग तोड़ जाती है। 

राजा कपीलेंद्र देब के समय से हेरा पंचमी का यह उत्सव ऐसे मनाया जाता है। उससे पहले हेरा पंचमी का यह उत्सव वैदिक मंत्रों के उच्चारण से प्रतीकात्मक रूप में मनाया जाता था।

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