ADHIK MASS PARMA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE
अधिक मास परमा एकादशी 2023
SATURDAY, 12 AUGUST 2023
Significance of parma Ekadashi परमा एकादशी का महात्म्य
परमा एकादशी का महत्व भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बतलाया था। एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और इस लोक में सुख प्राप्त करने के पश्चात अंत में मुक्ति प्राप्त होती हैं। परमा एकादशी का व्रत करता है उसे तीर्थों के दान आदि का फल मिलता है । अधिक मास सभी मास में उत्तम है। इस मास में पंच रात्रि व्रत अत्यंत पुण्य देने वाला है। मल मास के कृष्ण पक्ष की परमा एकादशी के व्रत से समस्त पाप दुःख और दरिद्रता नष्ट हो जाते हैं। जो भी इस व्रत को करता है वह धनवान हो जाता है ।
इस महीने में पद्मिनी और परमा दोनों एकादशी श्रेष्ठ हैं। उनके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
जो मनुष्य अधिक मास की एकादशी का व्रत करते हैं। वह स्वर्ग में इंद्र के समान सुख भोगते हैं और विष्णु लोक को प्राप्त होते हैं।
ADHIK MASS PARMA EKADASHI VRAT KATHA
उस ब्राह्मण की स्त्री स्वयं भूखी रहकर भी अपने अतिथियों का अच्छे से आदत सत्कार करती थी और पति से भी कभी किसी वस्तु की याचना नहीं करती थी। धन के अभाव को देखकर एक दिन ब्राह्मण अपनी पत्नी से कहने लगा कि," तुम मुझे विदेश जाने की अनुमति दो। जिससे मैं कुछ धन प्राप्त कर सकू। मुझे लगता है कि मुझे कुछ प्रयास करना चाहिए जिससे धन की प्राप्ति हो।
पति की बात सुनकर ब्राह्मणी कहने लगी कि," यद्यपि मैं कोई विद्वान नहीं हूं लेकिन इतना जानती हूं कि पूर्व जन्म में जो व्यक्ति विद्या, धन और भूमि दान करते हैं। उन्हें इस जन्म में विद्या ,धन और भूमि मिलती है। लेकिन अगर यदि कोई पूर्व जन्म में दान नहीं करता तो ईश्वर केवल उन्हें अन्न हीं देते हैं।
मैं आप के वियोग में कैसे रह सकती हूं। पति के बिना स्त्री की माता-पिता, ससुर, संबंधी सभी निंदा करते हैं। इसलिए मैं चाहती हूं कि आप यही पर रहे। पत्नी के कहने पर ब्राह्मण विदेश नहीं गया और उसी नगरी में दिन व्यतीत करने लगा।
कुछ दिन के पश्चात कौण्डिल्य मुनि उस नगरी में पधारे। उनको देखकर सुमेधा और उसकी पत्नी ने कौण्डिल्य ऋषि को प्रणाम किया। वह दोनों कहने लगे कि हमारा जीवन धन्य हो गया है। उन्होंने कौण्डिल्य ऋषि को घर लाकर उनको आसन पर बैठाया और भोजन दिया।
भोजन के पश्चात ब्राह्मण की स्त्री ने ऋषि से पूछा कि आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरी दरिद्रता का नाश हो सके। मेरे पति विदेश जाना चाहते थे लेकिन मैंने अपने पति को विदेश धन कमाने के लिए जाने से रोका है। लेकिन यह मेरा भाग्य है कि आप आ गए हैं । आप हमें दरिद्रता मिटाने वाला कोई व्रत बतलाएं।
ऋषि को ब्राह्मण दंपत्ति पर दया आ गई और वह बोले कि मल मास के कृष्ण पक्ष की परमा एकादशी के व्रत से समस्त पाप दुःख और दरिद्रता नष्ट हो जाते हैं। जो भी इस व्रत को करता है वह धनवान हो जाता है ।इस व्रत के साथ-साथ भजन कीर्तन रात को जागरण करना चाहिए। कुबेर को महादेव जी ने इस व्रत के कारण धनापति बना दिया था। इस व्रत के प्रभाव से सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र को पुत्र स्त्री और राज्य प्राप्त हुआ था। ब्राह्मणी ने कहा- वह उनको एकादशी व्रत की समस्त विधि बताएं। ऋषि ने उसको व्रत का विधान बता दिया।
उसके पश्चात ऋषि ने कहा कि- पंच रात्रि व्रत इससे भी अधिक उत्तम है। परमा एकादशी के दिन पंचरात्रि व्रत आरंभ होता है। जो लोग 5 दिन तक निर्जल व्रत करते हैं वह अपने माता-पिता स्त्री सहित स्वर्ग लोक को जाते हैं। जो 5 दिन तक संध्या को केवल एक समय भोजन करते हैं वह स्वर्ग में जाते हैं। जो मनुष्य स्नान करके 5 दिन ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं उन्हें समस्त संसार को भोजन कराने का फल मिलता है । इसमें जो घोड़े का दान करता है उसे 3 लोक दान करने का फल मिलता है । जो मनुष्य तिल ब्राह्मण को दान करते हैं तिल की संख्या के बराबर विष्णु लोक में रहते हैं। घी का पात्र दान करने वाले सूर्य लोक को जाते हैं। हे देवी! तुम पति के साथ मिलकर इस व्रत को करो जिससे तुम को धन और सिद्धि प्राप्त होगी अंत में पति सहित स्वर्ण लोक प्राप्त होगा।
कौण्डिल्य ऋषि द्वारा बताई विधि के अनुसार दोनों पांच दिन परमा एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से एक राजकुमार अपने सेवकों सहित उनके पास आया। राजकुमार ने ब्रह्मा की प्रेरणा से एक सुंदर नवीन मकान जो सब प्रकार की वस्तुओं से सजा हुआ था ,उन्हें दे दिया। साथ ही राजकुमार एक ग्राम देकर अपने महल को चले गया । वें दोनों इस व्रत के प्रभाव से अपनी संतान सहित सुख भोग कर स्वर्ण को गए।
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