OPPENHEIMER AND BHAGVAD GITA IN HINDI

ओपेनहाइमर क्रिस्टोफर का भगवद् गीता से क्या था कनेक्शन

हॉलीवुड फिल्म  OPPENHEIMER, जुलाई को 21 रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म Father of Atom Bomb कहे जाने वाले भौतिक विज्ञानी और मेनहट्टन प्रोजेक्ट के निर्देशक Robert Oppenheimer पर आधारित है। ओपेनहाइमर हिन्दू धर्म के‌ महाकाव्य भगवद् गीता से बहुत प्रभावित थे।

इस फिल्म में मशहूर अदाकार Cillian Murphy ओपेनहाइमर का किरदार निभा रहे हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने फिल्म में अपने किरदार की तैयारी के लिए भगवद् गीता पढ़ी है। यह एक बहुत ही सुन्दर रचना है।

 CONNECTION BETWEEN BHAGVAD GITA AND OPPENHEIMER 

ओपेनहाइमर भगवद् गीता से से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने भगवद् गीता को यथार्थ रूप में पढ़ने के लिए संस्कृत भाषा सीखी थी‌ क्योंकि वह भगवद् गीता को उसी भाषा में पढ़ना चाहते थे। यहां तक कि वह अपने दोस्तों को भी भगवद् गीता पढ़ने के लिए कहते थे। 

जब मेक्सिको के ट्रिनिटी परमाणु बम का परीक्षण हुआ तो उन्हें भगवद् गीता की पंक्तियां स्मरण हो आई- यदि एक हजार सूर्यों का प्रकाश आकाश में फूट पड़े, तो वह विराट पुरुष के उस प्रकाश की समानता ना कर सके। यह पंक्तियां भगवद् गीता के श्लोक से ही प्रेरित थी।

एक साक्षात्कार में उन्हें भगवान विष्णु (श्री कृष्ण) द्वारा राजकुमार (अर्जुन) को अपनी विराट रूप प्रकट करते समय कहे गए शब्द स्मरण हो आये‌ कि- ," मैं ही सभी लोकों का विनाश करने वाला महाकाल हूं, इस सृष्टि का विनाशक हूं।'

ओपेनहाइमर ने अपनी तुलना अर्जुन से की थी 

जब उनको अमेरिका की सरकार ने परमाणु बम बनाने के लिए कहा- तो उससे होने वाले नुकसान को देखते हुए उन्होंने परमाणु बम बनाने से इंकार कर दिया था। लेकिन सरकार का मानना था कि अगर हमने कुछ नहीं किया तो जापान और जर्मनी हम पर हमला कर देंगे।

उस समय उनकी स्थिति महाभारत के अर्जुन के समान थी जो युद्ध नहीं करना चाहते था। अर्जुन कहते हैं मैं अपने स्वजनों को मारकर युद्ध नहीं कर सकता। अर्जुन श्री कृष्ण से कहता हैं प्रभु मैं आपकी शरण में आया हूं मेरी शंका का निवारण करें। 

 श्री कृष्ण ने जो कि अर्जुन के सारथी भी थे उन्होंने महाभारत युद्ध से पहले भगवद् गीता का ज्ञान देकर उसे समझाया था कि वह एक योद्धा हैं और एक योद्धा( सैनिक) का कर्म है युद्ध करना, बिना उसके फल की चिंता किए हुए। भगवद् गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक है। श्री कृष्ण ने अर्जुन को ना केवल भगवद् गीता का ज्ञान दिया था उसके साथ अपना विराट रूप भी दिखाया था। 

वैसे ही ओपेनहाइमर को भी परिस्थितियों ने ही परमाणु बम बनाने के लिए प्रेरित किया। क्योंकि अमेरिका की सरकार का मानना था कि अगर वह कुछ नहीं करेंगे तो जापान उन पर हमला कर देगा। इसलिए उन्होंने परमाणु बम का निर्माण किया।

जब 16 जुलाई 1945 को परमाणु बम का परीक्षण किया गया तो उससे निकली उर्जा को देखकर उन्हें भगवान विष्णु का विराट रूप याद आ गया जिसका वर्णन भगवद् गीता के 11 अध्याय के 32वें श्लोक में है-  

दिवि सूर्यसहस्त्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता ।

यदि भा: सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मना:।।

भावार्थ - आकाश में हजारों सूर्य एक साथ उदय से जो प्रकाश हो,  वह भी उस परम पुरुष के विश्व रूप के उस प्रकाश की समानता ना कर सके।

परमाणु बम के परीक्षण के एक महीने के अंदर 6 अगस्त को हिरोशिमा और 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए। इस परमाणु बम से भारी तबाही हुई। दो लाख के लगभग लोग मारे गए। इस बमबारी के पश्चात द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया। 

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा - हम जानते थे कि सब कुछ पहले जैसा नहीं रहेगा, कुछ लोग हंसे, कुछ रोए और अधिकतर खामोश हो गए। 

मुझे हिन्दू धर्म ग्रंथ की वो लाइनें याद आ रही है यहां भगवान विष्णु (श्री कृष्ण जोकि भगवान विष्णु के अवतार थे) राजकुमार (अर्जुन) को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि उसे सैनिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। अर्जुन को प्रभावित करने के लिए वह उसे अपना विराट रूप दिखाते है और कहते हैं कि," मैं ही मृत्यु हूं इस सृष्टि का महाकाल।"

 वह भगवद् गीता 11वें अध्याय के 32वें श्लोक की ओर इशारा करता है।

कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो

लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।

ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे

येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः।

भावार्थ - भगवान विष्णु अपने विराट रूप में कहते हैं कि मैं ही काल हूं जो सभी लोकों को नष्ट करता है और मैं समस्त लोगों के विनाश में प्रवृत्त हूं। तुम्हारे सिवाय पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के सैनिक मारे जाएंगे।

अर्जुन जब युद्ध करने से इन्कार कर देता है क्योंकि वह अपने भाई बंधुओं से युद्ध करना श्रेयस्कर नहीं समझता तो भगवान श्री कृष्ण अपना विराट रूप दिखाकर उसे कहते हैं कि अगर वह युद्ध नहीं लड़ेगा तब भी सारे लोग मारे जाएंगे। चाहे अर्जुन युद्ध लड़े चाहे ना लड़े। श्री कृष्ण यहां स्वयं को काल के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। ईश्वर की इच्छा से सभी का विघटन होना है यह ही प्रकृति का नियम माना गया है। श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए गीता ज्ञान के पश्चात अर्जुन सैनिक के रूप में अपने युद्ध करने के तैयार हो गया था।

इसी तरह माना जाता है कि अगर द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बम का प्रयोग ना होता तो भी मृतकों की संख्या इतनी ही होती या फिर इससे भी कहीं ज्यादा। क्योंकि उससे युद्ध काफी समय तक जारी रहता। ओपेनहाइमर का मानना था कि परमाणु बम का बनना निश्चित था अगर वह नहीं बनाते तो कोई और बनाता। वह तो केवल एक निमित्त मात्र थे।  

 लेकिन ओपेनहाइमर युद्ध के पश्चात इस पछतावे में थे कि उनके हाथों पर मासूम लोगों का खून लगा है। 

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