MURAKH KO SAMJHANA MOTIVATIONAL STORY IN HINDI
Motivational story: मूर्ख को समझना कहानी
Murakh ko Sheikh motivational story
एक बार एक गधा बाग में हरी-भरी घास चर रहा था। तभी उधर से एक बाघ जा रहा था। उसने गधे से पूछा- कैसे हो भाई? मस्त हरी घास खा रहे हो। गधा बोला ठीक हूं भइया। लेकिन मैं हरी नहीं बल्कि नीले रंग की घास खा रहा हूं।
बाघ इतना सुनते ही भड़क गया। अरे! कैसी बेवकूफों जैसे बात कर रहे हो घास भी कभी नीली होती है? घास तो हमेशा से ही हरे रंग की होती है। गधा अपनी बात पर अड़ा रहा नहीं घास नीले रंग की होती है। धीरे-धीरे उनकी बहस बहुत बढ़ गई। उन्होंने आपकी बात सही साबित करने के लिए शेर के पास जाने की सोची।
दोनों शेर के पास पहुंचे । शेर के सामने भी गधा बाघ से लगातार कहे जा रहा था कि," घास नीली होती है।" शेर ने दोनों से पूछा- कहो भाइयों तुम दोनों मेरे पास किस समस्या के समाधान के लिए आए हो।
गधा तुनक कर बोला कि," कब से इस मूर्ख बाघ को समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि घास नीली होती है। बाघ है कि बिना वजह बहस किए जा रहा है।" बाघ ने अपनी बात रखने की कोशिश की लेकिन गधा तो ऐसे बहस करने लगा कि मानो जो वह कह रहा है वहीं ठीक है।
शेर अब सारा मामला समझ चुका था। गधे ने पूछा महाराज आप बताएं घास नीली होती है ना। शेर ने कहा - बिल्कुल घास नीली ही होती है। गधा बाघ से बोला देखा, मैं तो पहले ही कह रहा था कि घास नीली होती है। गधा शेर से कहने लगा कि," बाघ झूठ बोल रहा था इसके लिए इसको कोई सजा होनी चाहिए।"
शेर ने कहा - तुम ठीक कह रहे हो। बाघ को कुछ दिनों तक मौन रहने की सजा दी जाती है। यह सुनकर गधा खुशी-खुशी वहां से चला गया।
बाघ शेर से बोला महाराज मुझे आपकी सजा मंजूर है। लेकिन क्या घास सचमुच नीली होती है। शेर बोला नहीं हरी होती है। बाघ ने कहा - फिर आपने उस मूर्ख गधे को समझने की बजाय मुझे सजा क्यों दी।
शेर मुस्कुराते हुए बोला-ं जब तुम जानते हो कि वह मूर्ख है तो उसको मेरे या तुम्हारे समझाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। रही बात तुम को सजा देने की वह तुम्हारे लिए एक सबक होगा कि दोबारा जीवन में कभी किसी मूर्ख को समझाने का प्रयास मत करना। क्योंकि वह तुम्हारी बात कभी नहीं समझेगा। बल्कि वह तुम को अपने स्तर पर ले जाकर अपनी बात सच साबित करने की कोशिश करेगा। जिससे तुम्हारा समय और शक्ति दोनों व्यर्थ जाएगी।
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