SHRI KRISHNA KE BHAKT MEERA BAI KI KAHANI

 श्री कृष्ण की भक्त मीरा बाई की कहानी 

श्री कृष्ण की भक्त मीरा बाई की कथा Shri Krishna ki bhakt Mira Bai ki katha

Meera Bai ki story: जय श्री कृष्ण (lord Krishna) की परम भक्त थी।‌‌ बचपन में ही उनके हृदय में कृष्ण भक्ति का बीज अंकुरित हो गया था। कहते हैं कि उनके पड़ोस की किसी लड़की की शादी थी। जब उसका दूल्हा बारात लेकर आया तो मीरा ने अपनी मां से पूछा- मां मेरा दूल्हा कहां है? उसकी मां ने श्री कृष्ण की मूर्ति की और इशारा करते हुए कह दिया था कि यह तुम्हारा दूल्हा है। यह बात मेरी बाईं के मन मस्तिष्क में बैठ गई। 

विवाह की उम्र होने मीरा बाई का विवाह राणा सांगा के पुत्र भोजराज से हुआ। उन्होंने विवाह के पश्चात भी कृष्ण भक्ति नहीं छोड़ी। लेकिन अपने पति भोजराज की मृत्यु के पश्चात उनके ससुराल वालों को उनकी भक्ति और उनका साधू संतों का संग पसंद नहीं था। 

उन्होंने मीरा बाई को मरवाने के लिए जहरीला सांप भेजा, विष का प्याला भेजा लेकिन श्री कृष्ण की कृपा से मीरा बाई हर बार बच गई। जब ऐसे अत्याचार बढ़ने लगे तो मीरा बाई मेवाड़ छोड़ कर साधू संतों के संग तीर्थ यात्रा पर निकल गई। वहां मीरा बाई की एक प्रचलित कथा है। 

मीरा बाई ने वृन्दावन पहुंच कर जीव गोसाईं जी से मिलने के लिए संदेश भेजा कि वह उन से मिलना चाहती है। जीव गोसाईं जी ने यह कह कर मिलने से मना कर दिया कि वह स्त्रियों से नहीं मिलते। 

मीरा बाई ने उन्हें कहलवाया कि मैं तो समझती थी कि वृन्दावन में केवल एक ही पुरूष, केवल श्री कृष्ण है। आज मुझे ज्ञात हुआ कि वृन्दावन में श्री कृष्ण के अलावा एक और पुरुष भी है। नहीं तो मैंने जही सुना था कि वृन्दावन एक मात्र योगेश्वर श्रीकृष्ण पुरुष है बाकी सब तो उनकी दासी रुप में प्रकट नारियां है। वृन्दावन में तो नारी बन कर ही रह सकते हैं।

मीरा बाई कहने लगी कि आप तो वेदांती है और जो ईश्वर का सहारा लेता है वह निर्भय होता है। आप वृन्दावन में रहकर कह रहे हैं कि स्त्रियों का आना मना है या तो आप की भक्ति ढोंग है, अगर आपकी ईश्वर के प्रति निष्ठा सच्ची है तो निर्भय होकर मन्दिर के कपाट सभी के लिए खोल दे।

इतना सुनते ही गोसाईं जी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने मीरा बाई को संदेश भिजवाया कि वह उनसे मिलना चाहते हैं।

मीरा बाई को मिलकर उन्होंने क्षमा मांगी और कहा कि आप जरूर गोपी है, आपने मुझे भक्ति का सही स्वरूप समझाया है। उसके लिए मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा। 

Shri Krishna ke bhakti Kathayen 

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