KARTIK MASS KA MAHATVA

कार्तिक मास का इतना महत्त्व क्यों है 

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत महत्व है। पुराणों में कार्तिक मास में स्नान, व्रत व तप  और दान का विशेष महत्व बताया गया है। 
कार्तिक मास का महत्व kartik mass ka mahatva significance in hindi

मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः।

तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।

 भावार्थ- मासों में  कार्तिक मास श्रेष्ठ है , देवताओं में भगवान विष्णु , तीर्थों में नारायण तीर्थ बद्रीकाश्रम श्रेष्ठ है कलयुग में यह तीनों ही बहूत दुर्लभ है। 

 कार्तिक मास में स्नान, दान, दीपदान, तुलसी विवाह, कार्तिक मास के महात्म‌ की कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहा जाता है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने इसी मास में दामोदर लीला की थी। कार्तिक मास में दामोदर अष्टकम पढ़ना चाहिए। 

 तुलसी पूजा - तुलसी भगवान श्री हरि विष्णु को अति प्रिय है। इस मास में तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। तुलसी को जल अर्पित करने और दीप दान करना चाहिए। इसी मास में भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह करवाया जाता है। तुलसी को पापों का नाश करने वाली और अभिष्ट फल‌ देने वाली माना गया है। 

दीनदान- कार्तिक मास में दीपदान का बहुत महत्व है। इस मास में किसी पवित्र नदी, तालाब आदि पर दीपदान करने से बहुत से कष्टों से मुक्ति मिलती है।‌ 

कार्तिक मास में हिन्दू धर्म के पर्व और त्योहार मनाएं जाते हैं। 

करवा चौथ व्रत - कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती है। 

रमा एकादशी - कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। दिवाली से चार दिन पूर्व पड़ने वाली इस एकादशी का विशेष महत्व है। 

धनतेरस- कार्तिक मास में ही धन्वतंरी भगवान अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। 

नरका चतुर्दशी - इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था।

दामोदर लीला -  कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहा जाता है।‌ श्री कृष्ण ने दिवाली ही दामोदर लीला की थी। मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को उखल से बांधा दिया था। जिससे उनका नाम दामोदर पड़ा अर्थात जिनका उदर(पेट) दाम (रस्सी) से बंध गया।

इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या लौटे थे तो सभी अयोध्या वासियों ने घी के  दियें जलाकर उनका स्वागत किया था। 

दीवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है। 

गोवर्धन पूजा- इसी मास में भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था। दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का विधान हैं । इस दिन श्री कृष्ण को 56 भोग लगाये जाते है।

गोपाष्टमी-  कार्तिक मास में ही भगवान कृष्ण ने गाय चराना आरंभ किया था। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गाय माता की पूजा की जाती है।

देवउठनी एकादशी - कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु 4 मास के शयन के पश्चात उठते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं । 

कार्तिक मास में तुलसी महारानी की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।‌ देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ तुलसी विवाह किया जाता है। 

कार्तिक मास में दीप दान का विशेष महत्व है। कार्तिक मास में मात्र एक दीपक अर्पित करने से भगवान श्री कृष्ण बहुत ही प्रसन्न होते है। 

देव दीपावली - कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है। 

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