MIRA BAI KE DOHE IN HINDI

 मीराबाई जयंती पर पढ़ें: मीराबाई के दोहे 

मीराबाई श्रीकृष्ण की परम भक्त थी। बचपन में ही उनके हृदय में कृष्ण भक्ति का बीज अंकुरित हो गया था। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शरद पूर्णिमा तिथि को मीराबाई की जयंती के रूप में मनाया जाता है। मीराबाई के गुरु रविदास जी थे। 

MERE TO GIRIDHAR GOPAL LYRICS IN HINDI 

  मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई


मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।

तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥।
छाड़ि दी कुल की कानि कहा करिहै कोई।।

संतन ढिंग बैठि-बैठि लोक लाज खोई।
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई।।

मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥
अँसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।।

अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई।
दूध की मथनियां बड़े प्रेम से बिलोई।

माखन जब काढ़ि लियो छाछा पिये कोई॥
भगत देख राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी मीरा लाल गिरिधर तारो अब मोही।।

PAYO JI MAINE RAM RATAN DHAN PAYO 

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो 



पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।

वस्तु अमोलिक दी मेरे सत्गुरु।
कृपा कर अपनायो।।

जन्म जन्म की पूंजी पायी।
जग मे सबी खुमायो।।

खर्च ना खूटे,चोर न लूटे।
दिन दिन बढत सवायो।।

सत कि नाव खेवाटिया सत्गुरु।
भवसागर तरवायो।।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर।
हर्ष हर्ष जस गायो ।। 



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